शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

सरस्वती पूजा पर निबंध मैथिली में

Saraswati Puja Par Lekh Maithili Mein
मिथिला धरोहर: देवी दुर्गा केर नौ अवतार मे सँ सबसँ अहम अवतार सरस्वती माँ के मानल जाइत छनि। देवी सरस्वती ज्ञान के देवी छथि। एही अंधकारमय जीवन सँ इंसान के सही राह पर लऽ जेवाक सबटा बीड़ा वीणा वादिनी सरस्वती माँ के कन्हा पर छनि।

वसंत पंचमी के दिन विद्या के देवी सरस्वती के जन्म भेल छलनि। ताहि लेल एही दिन मिथिलांचल सहित पूरा भारत मे देवी सरस्वती के पूजा-अर्चना कैल जाइत छनि। सरस्वती मनुष्य मे जड़ता दूर कऽ के ज्ञान संपन्न बनावैत छथि। वाणी और सात्विक बुद्धि के अधिष्ठात्री देवी के विपुल नाम प्राचीन ग्रंथ मे वर्णित कैल गेल छनि। 

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वसंत पंचमी उमंग, उल्लास, उत्साह, विद्या, बुद्धि और ज्ञान के समन्वयक पर्व अछि। माँ सरस्वती विद्या, बुद्धि, ज्ञान आ विवेक के अधिष्ठात्री देवी छथि। हिनकासे हम विवेक आ बुद्धि प्रखर हेबाक, वाणी मधुर आ मुखर हेबाक और ज्ञान साधना मे उत्तरोत्तर वृद्धि हेबाक कामना करैत छी। पुराण के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन ब्रह्माजी के मुख सँ माँ सरस्वती प्राकाट्य भेल छली और जड़-चेतन के वाणी भेटल छल। ताहि लेल वसंत पंचमी के विद्या जयंती सेहो कहल जाईत अछि और एही दिन सरस्वती पूजाक विधान अछि।

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पद्म पुराण मे वर्णित माँ सरस्वती के रूप प्रेरणादायी अछि। माँ शुभ वस्त्र पहिरने छथि। हिनका चारीगो हाथ अछि, जहि मे वीणा, पुस्तक और अक्षरमाला अछि। हिनक वाहन हंस अछि। माँ श्वेत वस्त्र धारण केने छथि जे हमरा सभ के प्रेरणा दैइत अछि जे हम अप्पन भीतर सत्य अहिंसा, क्षमा, सहनशीलता, करुणा, प्रेम आ परोपकार आदि सद्गुण के बढाबी और काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार आदि दुर्गुण सँ स्वयं के बचाबी।

Tags : # saraswati puja # Vasant Panchami

रविवार, 18 जनवरी 2015

आइएएस बनवाके लेल पसिन्न कैल जा रहल अछि मैथिलि

मि.ध.: साल 2002 मे भरतीय संविधानक अष्टम् अनुसूची मे मैथिलि भाषा के सामिल कैल गेला के बाद अही विषय के छात्रक संख्यां मिथिला क्षेत्र सँ बाहर बढे लागल अछि। खासकेर संघ लोक सेवा आयोग के परीक्षा मे वैकल्पिक विषयक रूप मे मैथिलि के चयन करै वला के संख्या मे एका-एक बिर्धि भेल। मैथिलि केर वैकल्पिक भाषाक रूप मे राखी आ पास कऽ के आइएएस बनै वला क्षात्रक संख्या दू दर्जनक पार पंहुच गेल अछि। बिहार लोक सेवा आयोग मे मैथिलि पहिलेही सँ शामिल अछि। अखन धरी बहुत रास विद्यार्थी वैकल्पिक विषयक रूप मे राखी बीपीएससी के परीक्षा पास कऽ के और आई विभित्र प्रशासनिक पद पर काज कऽ रहल छथी। 
मधुबनी के अनुज  बनलैथ पहिल आइएएस
वर्ष 2008क यूपीएससी परीक्षा मे मैथिलि माध्यम सँ मधुबनी जिलाक अनुज कुमार झा सफलता पेलक अछि। अगिला बरख 2009 मे मैथिलि विषय सँ आइएएस बनै वला केर संख्या दू पर पहुची गेल। मधुबनी के अमरीश कु० झा आ सहरसा जिलाक चैनपुर निवासी सरोज ठाकुर मातृभाषाक माध्यम सँ प्रशासनिक सेवा मे सामिल भऽ मैथिलि सहित क्षेत्र के गौरवान्वित केलक अछि। फेर अगिला साल 2010 मे अहि भाषाक सहारे आइएएस बनै वला के संख्या नौ गुना बढहैत 18 पहुच गेल।

शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

मैथिलि फ़िल्म ललका पाग - Maithili Movie LALKA PAAG

मि.ध.: मैथिलि सिनेमाक निर्माण पिछला दू-तीन बरख मे जोर पकरलक अछि। मुदा की मैथिलि सिनेमाक अप्पन पेहचान भेटी सकल, जा धरी सिनेमाक कथा, विषय-वस्तु पर धेयान नै देल जायत ता धरी मैथिलि सिनेमाक पहचान भुतलैल रहत। एहि बातक धेयान राखि, युवा फ़िल्म निर्देशक प्रशान्त नागेन्द्र जी राजकमल चौधरी जी के ‘ललका पाग’क कथा वस्तु पर आधारित एकटा सुन्नर फ़िल्म लाबि रहल अछि जकर नाम अछि “ललका पाग” ।


निर्माता रत्नेश शाह द्वरा निर्मित मैथिलि फ़िल्म “ललका पाग“ मैथिली संस्कॄतिक महत्ता आ मैथिल स्त्रीक संस्कार, चरित्र आ त्याग  पर आधारित पारिवारिक फ़िल्म अछि । फ़िल्ममे मानवीय भावना आ मूल्यक नीक चित्रांकन कएल गेल अछि । एहि फ़िल्मक सूटिंग सम्पूर्ण मिथिला (भारत एवं नेपाल) केर भिन्न भिन्न स्थान पर कएल गेल अछि।
फ़िल्ममे मुख्य कलाकार भूमिका मे छैथ रौशन राज, श्वेता वर्मा, मीना गौतम, प्रेमलता मिश्र प्रेम, राम सेवक ठाकुर आदि। फ़िल्ममे संगीत द’ रहल छैथ सीताराम सिंह आ गीत लिखने छैथ प्रख्यात नाट्य-निर्देशक एवं साहित्यकार कुणाल जी। एही फ़िल्म के जनवरी, 2015 मे प्रदर्शित कएल जायत।

बुधवार, 7 जनवरी 2015

मिथिला राज्य आन्दोलन: २०१४ केर समीक्षा

● प्रवीण नारायण चौधरी: जहिना २०१३ निर्णायक बनि मुद्दा केँ उठौलक, २०१४ मे आम निर्वाचनक कारण देश मे परिवर्तन अनबाक दौड़ मे ई आन्दोलन कनेक मत्थर गति सँ चलैत रहल। 
सालक शुरुआत नीक रहल, बहुत रास राजनीतिकर्ता लोकनि एहि मुद्दा संग अपना केँ जोड़ि लेलाह, लेकिन शनै:-शनै: वोट ग्रहण करबाक समय तक लेल ओ जोश आ जुनून छल से स्पष्ट भेल। समस्या यथावत् छैक - जाबत जनाधार नहि, ताबत एहि मुद्दा केँ उत्थान समग्र स्वीकार्यता नहि पाओत। समस्या ओतहि आइयो कायम छैक जे 'खरात' पर जीवन-निर्वाह करबाक आदति बिगड़ल मैथिल केँ भले राज्य सँ कि सरोकार। समस्या ओतहि कायम छैक जे भले मजुरी कमाय लेल देशक कोनो भाग पलायन करब, लेकिन अपन संवैधानिक अधिकार लेल अग्रसर नहि बनब। समस्या कायम छैक जे चिक्कन-चुनमुन बात बनायब, मुदा छोट-छोट स्तरक जन-जागरण अभियान नहि चलायब। समस्या आइयो ओतहि छैक जे हमर बुद्धि सुन्दर बाकी मे छुछुन्दर। समस्या बहुत रास - समाधान एकमात्र, जन-जागरण आ ताहि लेल जाहि जोशक संग २०१३ मे काज भेलैक से २०१४ मे नगण्य काज। बस किछु समर्पित लोकक यात्रा निरंतरता मे रहलैक, बाकी सब नेता बनि गेल, सांसद भवन, राष्ट्रपति भवन, राजधानी बड़ी आ छोटी दुनू पर कब्जा... फेसबुक सँ फुकास्टिंग भैर साल चलल, लेकिन जमीन पर कोनो मर्दक लाल गप्फारीलाल नहि अभरल। जे सड़क पर उतरल वैह असल युद्ध जारी रखने अछि। मुद्दा जीवित छैक। राजनीतिक दल मे जेहो विश्वास बनैत छैक तेकरा कतहु-न-कतहु नकारात्मक बात केनिहार निकम्मा-ढोंगी केर बातक फाँस मे फँसैत देखल गेल। यथार्थ सब दिन यथार्थे रहत। तैँ एहि कठिन घड़ी मे सेहो जे कियो काज करैत रहला वैह सच मे मिथिलाक असल पुत्र सब छथि। 

एहि वर्ष जनजागरणक बौद्धिक पहल केँ निरंतरता मे राखल गेल। बेसी सँ बेसी बुद्धिजीवीवर्ग मे ई मुद्दा गंभीरतापूर्वक प्रवेश पओलक। कोनो एहन सभा नहि जतय विषय भले किछु हो, स्वत: मिथिला राज्यक औचित्य एकटा स्वस्फूर्त प्रश्न बनि लोकक सोझाँ आयल। इहो तय बात छैक जे जाबत समाजक बुद्धिजीवी वर्ग एहि तरफ संवेदनशील नहि बनता - अपन पहिचानक संवेदना हुनका सब मे नहि भरतैन, ताबत भले ओ निराक्षर आ मुह-तकनिहार वर्ग कोना अगुआ बनि जनसेना बनत आ मिथिला राज्यक पहिचान केँ आपसी कराओत। निश्चित रूप सँ एहि वर्ष किछु गंभीर प्रकृतिक कार्य संभव भेल आ लगभग हरेक प्रमुख नगर आ ठाम पर विषय प्रवेश उचित रूप मे केलक। ई दौड़ २०१५ केर विधानसभा चुनाव तक चलबाक उम्मीद अछि। २०१५ केर राज्यक चुनाव मे मुद्दा स्थापित करबाक दृष्टिकोण सँ मिथिलावादी सेहो चुनाव लड़त ई तय अछि। जखन कि चुनाव आइ-काल्हि खुलेआम धन-दौलतक खेल भऽ गेल छैक, मुद्दा कोनो नहि, टका सर्वोपरि, तथापि आध्यात्मिक संघर्ष सँ चलि रहल मिथिला आन्दोलन २०१५ केर चुनाव दिशि मुह ताकि रहल अछि। एहि मे कियो एक दल आबय वा तीन-तीन दल तेरह-तेरह तर्क सँ, मुदा सबहक लक्ष्य एक्कहि छैक आ ओ थिकैक मिथिला लेल सोराज! इन्तजार करू २०१५ केर!
जय मिथिला - जय जय मिथिला!!

शनिवार, 3 जनवरी 2015

मिथिला धरोहर : एक बरख मातृभाषाक लेल

मिथिला धरोहर : जा धरी गाम मे छलो ता धरी अप्पन मातृभाषाक प्रति किछ करवाक  अतेक चाह नै छल। मुदा गाम छोरला के बाद अप्पन मातृभाषाक प्रति तेहन ने भुत सवार भेल जे इन्टरनेट पर राईत-दिन अगवे मिथिली आ मैथिलि सर्च करैत रही। कहल गेल अछि जे 'आवश्कता अविष्कार के जननी होईत अछि, गाम सँ दूर भेलक बाद अप्पन मातृभाषाक संग लगाव "मिथिला धरोहर" ब्लॉगक निर्माण केलक।

30 दिसंबर, 2014 के 'मिथिला धरोहर' (ब्लॉग) अप्पन एख बरख पूर्ण क लेलक अछि। अप्पन मात्रि भाखा मैथिलि लेल कैल गेल एही प्रयास के पसंद करवा के लेल हमर मिथिला धरोहर टीम तमाम पाठक के ऋणी छिं।

एही एख बरख मे अहाँ सभ गोटे 'मिथिला धरोहर' के जे सनेह प्रदान केलो ओ मैथिली पत्रकारिता के लेल अमृतक समान अछि। 

एही सनेह के देखैत 'मिथिला धरोहर' के डॉट कॉम (.com) बना देल गेल। मि.ध. टीम नव साज-सज्‍जा के संग कंटेंटक आ बहुते किछ बदलै के कोशिश क रहल अछि। उम्‍मीद अछि जे अहाँ सभ के इ बदलाव पसिन आयत। पाठक ओ अपन सभ सहयोगीक प्रति आभार प्रकट करैत नव बरख मे नूतन चुनौतीक संग आओर बेसी निक कार्य करब ताहि शुभकामना संग नव वर्षक बधाइ. जय मिथिला! जय मैथिली!  
- प्रभाकर मिश्रा : संस्थापक / सम्पादक