मंगलवार, 27 जून 2017

मैथिली पंचांग - Maithili Panchang - 2017 (द्वितीय) जुलाई सँ दिसम्बर धरि




हरिशयन 11 व्रत   --   4 जुलाई
आषाढी गुरु पूर्णिमा --  9 जुलाई
मौना पंचमी -- 14 जुलाई
मधुश्रावणी व्रत -- 26 जुलाई
नागपंचमी  -- 28 जुलाई

रक्षाबन्धन -- 7 अगस्त
कृष्णाष्टमी व्रत -- 14 अगस्त
स्वतन्त्रता दिवस -- 15 अगस्त
सोमवती आम० -- 21 अगस्त
हरितालिका व्रत -- 24 अगस्त
चौठचन्द्र व्रत -- 25 अगस्त

इंद्रपुजारम्भ  -- 3 सितम्बर
अनन्त व्रत -- 5 सितम्बर
अगस्त्याघ्रदान  -- 6 सितम्बर
पितृपक्षारम्भ  -- 6 सितम्बर
जिमूतबाहन व्रत -- 13 सितम्बर
विशवकर्मा पूजा  -- 17 सितम्बर
पितृपक्षान्त -- 20 सितम्बर
कलशस्थापन -- 21 सितम्बर
बेलनौती  -- 26 सितम्बर
निशा पुजा -- 27 सितम्बर
महाष्टमी व्रत -- 28 सितम्बर
महानवमी व्रत  -- 29 सितम्बर
विजया दशमी  -- 30 सितम्बर

कोजगरा  -- 5 अक्टूवर
धनतेरस --  17 अक्टूवर
काली पूजा  -- 18 अक्टूवर
दियावाती  -- 19 अक्टूवर
गोवर्धन पूजा -- 20 अक्टूवर
भ्रातृ द्वितीया -- 21 अक्टूवर
चित्रगुप्त पूजा  -- 21 अक्टूवर
छठि व्रतक नहा-खाय -- 24 अक्टूवर
छठि व्रतक खरना -- 25 अक्टूवर
छठी व्रत -- 26 अक्टूवर
अक्षय नवमी -- 29 अक्टूवर
देवोत्थान एकादशी -- 31 अक्टूवर

कार्तिक पूर्णिमा -- 3 नवम्बर
षा० रविव्रतारम्भा -- 19 नवम्बर
विवाह पंचमी -- 23 नवम्बर
गीता जयंती -- 29 नवम्बर

सोमवती आम० -- 18 दिसम्बर

शनिवार, 24 जून 2017

Raja Salhesh Ki Kahani | लोक देवता राजा सलहेस के इतिहास, किया पूजल जाइत छनि हिनका?

मिथिला धरोहर : महाराज सल्हेश केर जन्म मधुबनी जिला सँ सटल नेपाल के महिसौथा मे भेल छलनी। हिनक पिता के नाम सोमदेव और माँ के नाम शुभ गौरी छलनी। विराट नगर के राजा श्री हलेश्वर केर बेटी सत्यवती सँ हिनकर बियाह भेल छलनी। श्री सल्हेश पूर्व मे जयवर्द्धन केर नाम सँ जानल जाइत छलथि मुदा बाद मे सर्वसम्मति सँ राजतिलक केर समय हिनकर नाम श्री जयवर्द्धन सँ शैलेश पड़ि गेलनि। कालान्तर मे शैलेश सल्हेश भऽ भेलथि। श्री भंडारी तरेगनागढ़ के राजा छलथि, जिनका चाइर गो बेटि छल। बेटि सब मालिन सम्प्रदाय के स्वीकार कऽ छली और आजीवन अविवाहित रहबाक के व्रत लऽ रखने छली।कुसमा, जे सबसँ छोट छली, शिव उपासक आ सिद्ध योगिनी हेबाक संगे-संग राष्ट्र्हित्कारिणी सहो छली। एक पथ के पथिक हेबाक कारणे सल्हेश केर चारु बहिन सँ प्रेम भऽ गेलनि। सल्हेश दु भाई छलथि और हुनक एकटा बहिन बनसपती छली। ओ चीन और भूटान के आक्रमण सँ मिथिला के बेर-बेर रक्षा करैत रहली। हिनक प्रतिद्वंद्वी वीर चौहरमल छल, जे बहुते बड़का महर्षि योद्धा छल।
अलौकिक और दिव्य शक्ति प्राप्त कऽ बनलैथ पूजनीय
प्रो० राधाकृष्ण चौधरी लिखित “Mithila in The Age Of Vidyapati” मे राजा सल्हेश केर पूजा के और हुनकर गीत आ गाथा पर आधारित नृत्य के उल्लेख भेटय अछि स्पस्ट अछि जे राजा सल्हेश केर पूजा के परम्परा बहुते प्राचीन अछि ओहि समय मिथिला के मूलवासि मे सेहो शुद्र राजा भेल करैत छलथि और अपन अलौकिक कृति आ पौरुष केर कारण दिव्य व्यक्तित्व के प्राप्त कऽ पूजनीय भऽ जाइत छलथि। राजा सल्हेश ओहि कोटि केर मिथिलावासी छलथि जे अपन पराक्रम, शौर्य और विशिष्ट व्यक्तित्व के कारण तत्कालीन मिथिला के राजा बनलैथ आ अपन कार्यकाल मे अनेको कल्याणकार्य केलनि।  अपन कर्म के बल पर देवत्व प्राप्त कऽ देवता केर श्रेणी मे आबि गेलाह और आयधरी श्रद्धा, निष्ठां सँ घर-घर जन-जन मे हुनक पूजा होइत अछि।

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कोना होइत अछि हुनकर पूजा ?
मिथिलांचलक गाँव मे सल्हेश पूजा केर समय हुनक भगत अथवा भगता अर्द्धनग्न शरीर पर लाल रंगक जंघिया गर्दन मे माला, एक हाथ मे अक्षत और दोसर हाथ मे बेंत राखैत भाव-विभोर भऽ जाइत अछि। झाल-मृदंग पर भाव -गीत गाबैत लोग सल्हेश केर अध्यात्म मे पारलौकिकता के अनुभव करैत छथि। गह्वर के सोंझा माटिक E टाइप कऽ पिंड बनायल जाइत  अछि। अहिक बगल मे बेदी बनायल जाइत अछि। ओतहि अड़हुल, कनैल के फुल सरर , अगरवत्ती, चीनी कऽ लड्डू खीर, पान, सुपारी, गांजा, खैनी, पीनी, जनेऊ,अरवा चाउर, झांप, फल, प्रसाद आदि सामग्री राखल जाइत अछि।

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सब ग्रामीण साफ़-सुथरा वस्त्र मे निष्ठां सँ डाली लगाबै छथि। भगता के ऊपर बारी-बारी सँ सल्हेश आ हुनक पार्षद के भाव आबय अछि। गोहारि होइत अछि। प्रसाद अक्षत लऽ के मंगल कामनाक संगे लोग अपन-अपन घर जाइत अछि। भगत के खीर कऽ भोजन कराओल जाइत अछि। पूजा आरम्भ करबा सँ पहिले भगत सब लोकदेवता के आवाहन भगत गाबि कऽ और पूजा ढ़ार कऽ करैत अछि। व्यक्तिगत पूजाक संग-संग साल मे एक बेरा सामूहिक पूजा सेहो उत्सब कऽ रूप मे कैल जाइत अछि।

Tags # King Salhesh # Raja Salhesh Pooja # Raja Salhes Nach

सोमवार, 19 जून 2017

Maithil Wedding - मैथिल बियाहक विध-व्यवहार, बाप रे बाप

मिथिलाधरोहर : मिथिलांचल मे वैवाहिक रीति-रिवाज थोर भिन्न होइत अछि। बेसीकाल हमर सबक जीवन शैली सँ अनचिन्हार लोग के हमरा सबक बियाहक विध - व्यवहार बेतुक और दीर्घावधि लागैत छै। मुदा इ सर्वविदित अछि जे मैथिल दम्पति मे जे पारस्परिक प्रेम भाव होइत छै, एक दोसरके प्रति जे सम्मान के भावना होइत छै, ओ गौर करय वला गप्प अछि। कखनो- कखनो निहायत बेमेल विवाह सेहो सफल भ जाइत छै।
 
नैना जोगिन
फेर कोहबर मे नैना -जोगिन। जाहिमे होय वाली पत्नी और साईर के बिना देखने (दुनु कपड़ा के नीचा नुकैल रहय छथि) एकटा के चुननाय। एहिमे लोग के बहुते मनोरंजन त होइते अछि संगे बर के पारखी नजैर समझ मे आबैत अछि। एकर बाद समाज परिवार के बुजुर्ग'क संगे मिल क ओठंगर कुटल जाईत अछि। मतबल सगरो समाज के स्वीकृति के संग गृहस्त जीवन मे प्रवेश के अनुमति। चाहे ओठंगर कूटनाय हो या भाईक संग मिल क धानक लावा छीरयेनाय, एहि सबटा विधक पाछु कुनो नय कुनो व्यवहारिक तर्क होइत अछि।
फेर आमक लकड़ि के प्रज्वलित क ओहिके समक्ष मन्त्र द्वारा बियाह संपन्न करवैल जाइत अछि ओहि अग्नि पर ओठंगर मे कुटल धानक चाउर सँ बर खीर बनाबय छथि अर्थात गृहस्तथी मे पूर्ण सहयोग के तैयारी। वधु के पहिल सिंदूर दान 'भुसना सिंदूर' सँ कैल जाइत अछि। मतलब एखन बर के परीक्षा संपन्न नय भेल ऐछ! 
एहि विवाह के उपरांत बर - वधु कोहबर मे जाइत छथि। कोहबर के चित्र द्वारा सजायल गेल रहय छै जाहिमे सांकेतिक रूप मे गृहस्त जीवनक महत्व के देखायल जाइत अछि। एहि दिन सुहाग शैया नय सजायल जाइत अछि बल्कि जमीन पर सुतवाक व्यवस्था कैल जाइत ऐछ। कोहबर मे विधकरी वघू के ल'क आबय छथि और बर - वधु के झिझक के तोड़य के माध्यम बनैत छथि। अगिला तीन दिन धरि यैह क्रम चलैत अछि। बर - कन्या बिधकरी के माध्यमे सँ भेटैत अछि एहि तीन दिनक दौरान वर - वधु के भोजन मे नुन खाय लेल नय देल जाइत अछि। विध- वैबहारक दौर पूरा दिने चलैत रहैत ऐछ। बर-वधु एक दोसर के निक जंका बुईझ लैत छथि। हँ, बरयाति गन बर के छोइड़ के वापस चैल जाइत छथि। 

असल विवाह चारिम दिन पुनः होइत अछि, जेकरा चतुर्थी कहल जाइत छैक। चतुर्थी के उपरांत लोग सब अपन सुविधानुसार आ शुभ-अशुभक मुताबिक बिदा कैल जाइत छैक। जेकरा द्विरागमन कहल जाइत अछि।

अहि पोस्ट मे व्यक्त विचार ब्लॉगर के अपन विचार अछि। यदि अहाँक अहि पोस्ट मे केतउ कुनो भी बात पर आपत्ति ऐछ त कृपया अहाँ कमेंट या mithiladharohar@gmail.com पर इ-मेल करू।

Tags : Maithil Vivah Unique Tradition # Vidh Vaivhar

शनिवार, 10 जून 2017

सौराठ सभा : सात सौ साल सँ चली रहल अछि इ प्रथा

मिथिला धरोहर, मधुबनी : सौराठ सभा मधुबनी जिला ( Saurath Sabha, Madhubani ) के सौराठ नामक स्थान पर 22 बीघा जमीन पर लागैत अछि। 'सौराठ सभा' यानी दूल्हा के मेला, इ परंपरा आयो कायम अछि। एकरा 'सभागाछी' ( Sabha Gachhi ) के रूप मे सेहो जानल जाइत अछि। सौराठ गुजरात के सौराष्ट्र सँ मिलैत-जुलैत नाम अछि। गुजरातक सौराष्ट्र जँका एतहु सोमनाथ मंदिर अछि।
मिथिलांचल क्षेत्र मे मैथिल ब्राह्मण दूल्हा के इ मेला प्रतिवर्ष ज्येष्ठ या अखाड़ (अषाढ़) महीना मे सात सँ 11 दिन धैर लागैत अछि, जाहिमे कन्या के पिता योग्य बर के चुइन अपना संगे लऽ जाइत छथि और फेर 'चट मंगनी पट ब्याह' वला कहावत चरितार्थ होइत अछि।
अहि सभा मे योग्य बर अपन पिता आ आन अभिभावक संगे आबैत छथि। कन्या पक्ष के लोग बार आ हुनक परिजन सँ गप्पचीत कऽ एक-दूसरक परिवार, कुल-खानदान कऽ बारे मे पूरा जानकारी इकट्ठा करैत छथि और दूल्हा पसिन एला रिश्ता तय कऽ लैत छथि।
स्थानीय लोग कहै छथि जे करीब दु दशक पहली धैर सौराठ सभा मे चिक्कन भीड़ देखाइत छल, मुदा आब एकर आकर्षण कम होइत देखा रहल अछि। उच्च शिक्षा प्राप्त बर एहि हाट मे बैठनाय पसिन नय करय छथि।
सौराठ सभा मे पारंपरिक पंजीकार केर भूमिका महत्वपूर्ण होइत अछि। एतय जे रिश्ता तय होकेत अछि, ओहिके मान्यता पंजीकारे दैत छथि। पंजीकार लग बर और कन्या पक्ष के वंशावली रहैत अछि, ओ दुनु दिसनक सात पीढ़ि कऽ उतेढ़ (बियाहकऽ रिकॉर्ड) के मिलान करैत छथि। दुनु पक्षक उतेढ़ देखला पर जेखन पुष्टि भऽ जाइत अछि जे दुनु परिवारक बीच सात पीढ़ि मे अहिसे पहिले कुनो वैबाहिक संबंध नय भेल अछि, तखन पंजीकार कहै छथि, 'अधिकार होइए!' अर्थात पहिले सँ रक्त संबंध नय अछि। ताहि लऽ रिश्ता पक्का करबा मे कुनो हर्ज नय।
सात सौ साल सँ चली रहल इ प्रथा
"मैथिल ब्राह्मण 700 साल पहिले करीब सन् 1310 मे इ प्रथा शुरू के छलैथ, ताकि बियाह संबंध नीक कुल'कऽ बीच तय भऽ सकय। सन् 1971 मे एतय करीब डेढ़ लाख लोग आयल छल। 1991 मे सेहो करीब पचास हजार लोग आयल छल, मुदा आब एकर संख्या बहुते घैट गेल अछि।

शनिवार, 3 जून 2017

फिल्म जय गंगाजल मे काज सँ भेटलनि मिथिलाक अहि बेटा के पहचान

मिथिला धरोहर : मिथिलांचल मे प्रतिभा के कुनो कमी नय अछि। जेखन कखनो अवसर भेटल, एतय के प्रतिभा अपन रंग देखा देलक। एहने मिथिलांचल के एकटा और युवा छथि जिनकर नाम अछि दीपक मिश्रा उर्फ कुमार आर्यन। फिल्म जय गंगाजल मे काज करवाक उपरांत हुनका बॉलीवुड मे काज भेटय लगलनि।

सुपौल जिलाक प्रतापगंज प्रखंड अंतर्गत गोविंदपुर निवासी 27 वर्षीय दीपक मिश्रा उर्फ कुमार आर्यन के बालीवुड मे आज जलवा अछि। अपन अभिनय के दम पर ओ दर्शक के चहेता बनल छथि। जानकारीक अनुसार कखनो कालिकानाथ कला परिषद (गोविंदपुर, सुपौल) के रंगमंच पर एकटा लोटा पानी, भगत प्रह्लाद, अर्जुन बुद्ध भक्त रावण, कालीदास आदि नाटक मे अभिनय क चुकल आर्यन के अचानक मौक भेटलनि।

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बता दी जे 2014 मे बॉलीवुड मे कुमार आर्यन बनी के ओ नेता तुम्ही हो कल के, भूख, शपथ, पांचाली, एनआरआइ दूल्हा, आहूति आदि टीवी सीरियल्स एवं शार्ट फिल्म्स मे भूमिका निभेलथि। आर्यन बड़का पर्दा पर देशी धमाल, सत्ता परिवर्तन, जय गंगाजल आ देदुआ द टाईगर आदि फिल्म मे किरदार निभेने छथि। संगेह मैथिली धारावाहिक 'सर्ग नही बिन मुइने' मे सेहो काज क चुकल छथि।

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आर्यन कहै छथि जे हुनका पर निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा केर पारखी नजर पड़लनी और ओ जय गंगाजल मे हुनका भूमिका दे देलनी। ओ कहै छथि जे वे 'ले न सके कोई मांझी की तकदीर, ये लम्हें हैं प्यार के तथा पटना मेरी जान आदि हुनकर आबय बला हिन्दी फिल्म अछि।