रविवार, 24 दिसंबर 2017

अहिल्या स्थान, कमतौल : मिथिलाक ऐतिहासिक गौरव

मिथिला धरोहर : श्रीमद वाल्मीकि रामायण के बाल-कांडक ४८वां सर्ग मे वर्णित कथा अछि - मुनि विश्वामित्र राम आ लक्ष्मण केर संग मिथिला नरेश जनक केर राजधानी जनकपुर जा रहल छलखिन। किछ दूर गेलाक बाद हुनका एकटा विराट आश्रम देखेलनी जे सून पड़ल छल। जिज्ञासावश रामचंद्र जी विश्वामित्र सँ पूछलनी यदपि इ आश्रम अतेक भव्य अछि फेर किओ ऋषि-मुनि नै देखा रहल अछि। रामचंद्र केर प्रश्न सुनी विश्वामित्र कहलखिन जे इ महर्षि गौतम के आश्रम अछि आ इन्द्र - अहिल्या प्रसंग आ महर्षि गौतम द्वारा दुनु के श्राप देबाक कथा सुनेलनी। फेर रामचंद्र केर चरण स्पर्श सँ अहिल्या के उद्धार भेलनि, जेना की श्रापक आदेश छलै।
यैह स्थान अहिल्या स्थानक ( Ahilya Sthan, Ahiyari,  Kamtaul ) नाम सँ जानल जाइत अछि। १६३५ ई. मे दरभंगा के तत्कालीन राजा छत्र सिंह द्वारा एकटा भव्य मंदिरक निर्माण कैल गेल छलनि। अहि मंदिर मे सीता-राम आ लक्ष्मण संगे हनुमान आ अहिल्या-गौतम के स्फुटित मूर्ति विद्यमान अछि। महाराजा छत्र सिंह एहने एकटा विशाल मंदिर सौराठ ग्राम मे सेहो बनबेने छलखिन आ शिव लिंग केर स्थापना केने छलथि।

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करीब 50 बरख पहिले दछिण भारत सँ रामानुज अनुयायी के एकटा टोली सीता-राम सम्बंधित स्थलक जानकारी लेबाक क्रम मे एतय आयल छल। ओसब अहिल्या उद्धारस्थल पर एकटा स्तम्भ आ पिंड के निर्माण करबेने छलथि। इ एखनो मौजूद अछि, एतय आशाराम बापू के आश्रम छनि जतय धार्मिक आ सामाजिक काज होइत रहैत अछि। अहि स्थानक लगे मे गौतम कुण्ड अछि जे खिरोई नदी के तट पर अछि, एतय गौतम ऋषि केर आश्रम छनि। याग्लाव्य मुनि के आश्रम जगवन आ श्रृंगी मुनि केर आश्रम सब ५ किलो मीटरक दायरा मे अछि।

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अहिल्या स्थान दरभंगा जिला मे दरभंगा-सीतामढ़ी रेल पथ के कमतौल स्टेशन सँ दछिण दिशा मे २ किलो मीटरक दूरी पर अवस्थित अहियारी गामक मध्य मे स्थित अछि। एतय दरभंगा-मधवापुर राज्य उच्च पथ संख्या ७५ सँ कमतौल आ टेकटार सँ सेहो गेल जा सकैत अछि। इ स्थान सीता केर जन्मस्थली सीतामढ़ी सँ ४० किमी पूर्व मे स्थित अछि।

आलेख : रुनु झा, मैथिली अनुवाद : प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी'

रविवार, 17 दिसंबर 2017

Maithili Panchang 2018 - मैथिली पंचांग २०१८

पौषी पूर्णिमा, कौशिकी स्नान  -  २ जनवरी
मकर (तिला) संक्रान्ति   -  १४ जनवरी
नरक निवारण व्रत   -  १५ जनवरी
माघी मैनी अमावस्या   -   १९ जनवरी
वसंत पंचमी, सरस्वती पूजा  -  २२ जनवरी
अचला सप्तमी  -  २४ जनवरी
महानवमी व्रत    -       २५ जनवरी
माघी पूर्णिमा     -    ३१ जनवरी   

शिवरात्रि पूजा    -   १४ फरवरी

होलिकादहन      -    १ मार्च
फगुआ (होली)   -    २ मार्च
सप्ताडोरा बंधन  -    २ मार्च

सोमवती आम०  -    27 मार्च
पापमोचनी व्रत, बुढ़वामंगल  -  १३ मार्च
खरमास आरंम्भ    -  १६ मार्च
महावारुणी योग   -  १४ मार्च
चैती कलशस्थापन   -  १८ मार्च
चैती छठि व्रत      -    २३ मार्च
रामनवमी      -     २५ मार्च
देवी वीसर्जन, विजया दशमी   -   २६ मार्च
चैती पूर्णिमा   -  ३० मार्च

सतुआइन      -      १४ अप्रैल
जुड़शीतल     -      १५ अप्रैल
सोमवारी व्रत    -    १६ अप्रैल
अक्षय तृतीया   -    १८ अप्रैल
जानकी नवमी     -    २४ अप्रैल
मैथिली दिवस     -    २४ अप्रैल
षा० रविव्रतान्त   -     २९ अप्रैल

वटसावित्री        -    १५ मई
मलमासारंम्भ    -   १५ माई
गंगा दशहारा     -    २४ माई

निर्जला 11 व्रत    -    जून
मलमासान्त    -   १३ जून
सौराठ सभा आरम्भ   -  २७ जून

योगिनी  व्रत     -   ९  जुलाई
जगन्नाथ रथ यात्रा  -  १४ जुलाई
चन्द्रग्रहण स्पर्श    -   २७ जुलाई
(रात्रि ११:२५, मोक्ष ०३:४९)
हरिशयन ११ व्रत   -   २३ जुलाई
आषाढी गुरु पूर्णिमा  -  २७ जुलाई

मौना पंचमी  --  ०२ अगस्त, ब्रहस्पैत दिन
मधुश्रावणी पूजा  --  १४ अगस्त, मंगल दिन
स्वतंत्रता दिवस  --  १५ अगस्त, बुध दिन
नागपंचमी  --  १६ अगस्त, ब्रहस्पैत दिन
रक्षाबन्धन  --  २६ अगस्त, रैव दिन

कृष्णाष्टमी व्रत  --  ०२ सितम्बर, रैव दिन
हरितालिका व्रत  --  १२ सितम्बर,  बुध दिन
चौठचन्द्र व्रत  --  १२ सितम्बर,  बुध दिन
विशवकर्मा पूजा  --  १७ सितम्बर, सोम दिन
इंद्रपुजारम्भ  --  २१  सितम्बर, शुकर दिन
अनन्त व्रत  --  २३  सितम्बर, रैव दिन
अगस्त्याघ्रदान  -- २५  सितम्बर, मंगल दिन
पितृपक्षारम्भ  -- २५  सितम्बर, मंगल दिन

जिमूतबाहन व्रत  --  ०२  अक्टूबर, मंगल दिन
सोमवती अमा०  --  ०८  अक्टूबर, सोम दिन
पितृपक्षान्त  ०९  अक्टूबर, मंगल दिन
कलशस्थापन  --  १० अक्टूबर, बुध दिन
बेलनौती  --  १५  अक्टूबर, सोम दिन
निशा पुजा  --  १६  अक्टूबर, मंगल दिन
महाष्टमी व्रत  --  १७  अक्टूबर, बुध दिन
महानवमी व्रत  --  १८  अक्टूबर, ब्रहस्पैत दिन
विजया दशमी  --  १९  अक्टूबर, शूकर दिन
कोजगरा  --  २४ अक्टूबर, बुध दिन

धनतेरस  --  ५ नवम्बर,  सोम दिन
काली पूजा  --  ६ नवम्बर, मंगल दिन
दियावाती  --  ७ नवम्बर, बुध दिन
कालिदासजयंती -- ८ नवम्बर, ब्रहस्पैत दिन
गोवर्धन पूजा  -- ८ नवम्बर, ब्रहस्पैत दिन
भ्रातृ द्वितीया  --  ९ नवम्बर, शूकर दिन
चित्रगुप्त पूजा  --  ९ नवम्बर, शूकर दिन
छठि व्रतक नहा-खाय  --  ११ नवम्बर, रैव दिन
छठि व्रतक खरना  --  १२ नवम्बर, सोम दिन
छठी व्रत  --  १३ नवम्बर, मंगल दिन
सामा पूजारम्भ  -- १४ नवम्बर, बुध दिन
अक्षय नवमी -- १७ नवम्बर, शैन दिन
देवोत्थान एकादशी -- १९ नवम्बर, सोम दिन
सामा विसर्जन  --  २२ नवम्बर, ब्रहस्पैत दिन
कार्तिक पूर्णिमा  --  १३ नवम्बर, शूकर दिन
वीड पंचमी  --  १७ नवम्बर, मंगल दिन

षा० रविव्रतारम्भा  --  ०९ दिसम्बर, रैव दिन
विवाह पंचमी  --  १२ दिसम्बर, बुध दिन
गीता जयंती  --  १८ दिसम्बर, मंगल दिन

शुक्रवार, 8 दिसंबर 2017

Kharmas 2023 : खरमास की अछि? खरमास मे किया नै होइत अछि मांगलिक कार्य

मिथिला धरोहर : वैदिक ज्योतिष आ हिन्दू पंचांग गणनाक अनुसार सूर्य एकटा राशि मे एक महीना धैर रहैत अछि। जेखन सूर्य १२ राशि'क भ्रमण करैत बृहस्पति राशि'क धनु और मीन, मे प्रवेश करैत अछि, तहन अगिला ३० दिन अर्थात एक महीनाक अवधि के खरमास कहल जाइत छैक। एकरा मीन संक्रांति या मल मास सेहो कहल जाइत छैक और इ साल मे दु बेरा आबैत अछि।

16 दिसंबर 2022 के खरमास प्रारंभ होयत आ एक मास उपरांत 14 जनवरी 2023 के समाप्त

खरमास मे लोग नै करैत छथि इ काज
लौकिक मान्यता छै जे खरमास मे बियाह आदि शुभ काज वर्जित अछि। भवन-निर्माण संबंधित काज सेहो नै कैल जाइत ऐछ। कुनो नया निवेश या व्यवसाय आदि सेहो नै शुरू कैल जाइत ऐछ। अहि अवधि मे बच्चाक मुंड़न संस्कार सेहो नै होइत छैक। संगेह लोग नवका घर के घरवास (गृह-प्रवेश) सेहो नै करैत अछि।

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अहि काल मे की करबाक चाही
लौकिक मान्यता छै जे खरमासक दौरान कतेको शुभ काज नै कैल जाइत ऐछ, जेना बियाह, मुंड़न, संस्कार आदि एहन काज नै होइत अछि। लोग सब अहि काल मे ईश्वर-भजन, पूजा-पाठ आदि क सकैत छैथ। मान्यता छै जे अहि अवधि मे अनुष्ठान, यज्ञ, पूजा-पाठ, हवन आदि केनाय नीक मानल जाइत अछि। सामूहिक रूप सँ रामायण कथा और भगवत कथा सेहो सुनबाक चाही।

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मान्यता की कहैत छैक
भागवत पुराण के आनुसार जाहि व्यक्ति के मृत्यु खरमास अर्थात पौष मास मे होइत छैक त ओ नरक के भागी बनैत छैक। अहि बातक पुष्टि माहाभारत सँ होइत ऐछ जखन अर्जुन भीष्म पितामह के धर्म युद्ध मे बाण सँ मारने छलैथ तहन ओहि समय सेहो खरमासे छल। ताहिलेल सैकड़ों बान सँ घायल होबाक  बावजूदो भीष्म पितामह प्राण नै त्यागने छलनी। खरमास मे प्राण त्यागता त हुनका आगिल जन्म नर्क मे होयतनी।

रविवार, 3 दिसंबर 2017

छोटका पर्दा के सबसँ चर्चित हीरोइन मे एक छथि श्रीति झा

मिथिला धरोहर : श्रीति झा छोटका पर्दा के सबसँ चर्चित और पसंदीदा हीरोइनों मे सँ एक छथि। ओ जे भी किरदार निभेलनी, सब मे खूब पसंद कैल गेली। मूल रुपे दरभंगाक रहय वाली श्रीति झा ( Actres Sriti Jha From Darbhanga ) के जन्म २६ फरवरी १९८६ मे बेगुसराय मे भेल छनि। किछु समय उपरांत हिनक परिवार कोलकाता रहय चली गेला और हिनक पढ़ाई-लिखाई ओतहि भेलनि। कोलकाता मे १० साल बितेलाक बाद श्रीति परिवारक संग काठमांडु नेपाल रहय चैल गेली और ओतहु सँ पढ़ाई केलनि।
श्रीति झा बीए अंग्रेजी के पढ़ाई दिल्ली के वेंकटे्श्वरा कॉलेज सँ केलनि जतय कॉलेज के अंग्रेजी ड्रामा सोसाइटी सँ जुड़ली और आगू चैल के ओकर प्रेसिडेंट सेहो बनली। मुदा एक्टिंग के संगे - संगे श्रीति डांस मे सेहो बहुते नीक छथि। श्रीति झा के पसंदीदा फिल्म 'प्यासा' और 'काजग के फूल' अछि। हीरोइन मे हुनका वहीदा रहमान बहुते पसिन छनि। दिल्ली मे पढ़ाई करैते करैत हुनका पहिल सीरियल 'धूम मचाओ धूम' के लेल चुनल गेल छनि।श्रीति झा अहि सीरियल मे एकटा शर्मीली और अंधविश्वासी लड़की मालिनी शर्मा के किरदार निभेलनि।

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ताहिके उपरांत श्रीति के 'जिया जले' के लेल चुनल गेलनि। ताहि पश्चात हिनका बहुते ऑफर भेटय लगलनि। फेर 'ज्योती' मे सुधा के रोल निभेबाक अवशर भेंटलनि। ओहि समय दोसर सीरियल 'शौर्य और सुहानी' मे सेहो राजकुमारी सुहानी के लीड रोल क रहल छली। एकर बाद 'रक्त संबंध' नामक सीरियल ऑफर भेलनि जाहिमे ओ एकटा आन्हर (अंधी) लड़की बनल छली। एकर उपरांत हिनक जिनगी बदलय बला ऑफर भेंटलनि, ओ सीरियल छल लाइफ ओके के 'दिल से दी दुआ..सौभाग्यवति भव:?' और कलर्स के चर्चित सीरियल 'बालिका वधु' जाहिमे ओ गंगा के रोल निभेने छली।

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श्रीति इ सीरियल कयै रहल छली कि हुनका जी टीवी के सबसँ लोकप्रिय सीरियल 'कुमकुम भाग्य' मे लीड रोल करबाक ऑफर भेंट गेलनि।बस ओहि दिन सँ एखन धरि प्रज्ञा के किरदार मे सबके चहेती बनल छथि।