शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

Parichan Geet Lyrics | परिछन काल के गीत, मैथिली परिछन लोकगीत लिरिक्स

अहाँ केर बाबू दुलहा बहुत लेलनि गनाय Lyrics

अहाँ केर बाबू दुलहा बहुत लेलनि गनाय यो रघुवंशी दुलहा - 2
डाला भरि टाका लेलनि गनाय यो रघुवंशी दुलहा
अहाँ केर बाबु दुलहा बीत-बीत बेचबोलनि यो रघुवंशी दुलहा
हमरा बाबु के छनि एतेक हियाब यो रघुवंशी दुलहा
अहाँ के लेलनि खरीदि यो रघुवंशी दुलहा
मिथिलामे गेलौं बिकाय यो रघुवंशी दुलहा


बहिना गे कोना क परिछब लिरिक्स

बहिना गे कोना क परिछब सिया जि के बर के
लगैय हमरा डर गे ना । 
बहिना गे कोना क परिछब सिया जि के बर के
लगैय हमरा डर गे ना । 

बरके बापके पाकल दाढि, 
हुनका तीन तीनटा महतारि
बरके बापके पाकल दाढि, 
हुनका तीन तीनटा महतारि
बरके देखिके हमरा बुझाइय चित चोर गे, लगैय हमरा डर गे ना । 

बर छैथ बचपन सौ धनुष धारी 
उ त बनौलन पथल के नारी
बर छैथ बचपन सौ धनुष धारी 
उ त बनौलन पथल के नारी
हिनका देखिते देखिते भगेल साँझ स भोर गे, लगैय हमरा डर गे ना । 

परिछन चलियौ सखी लिरिक्स

कओने नगरिया सऽ एलै सुन्दर दुलहा Lyrics

कओने नगरिया सऽ एलै सुन्दर दुलहा, कतऽ एलै हे
पचरंगिया बजनमा कतऽ एलै हे
अवध नगर सँ एलै सुन्दर दुलहा, जकपुर हे
पचरंगिया बजनमा ओत्तहि बाजै हे
जब दुलहा अवध सऽ बहार भेल
सजाबे लगली हे सासु डाला ओ हारा, सजाबे लगली हे
जब दुलहा जनकपुर आएल, सजाबे लगलीह
सासु कोबर लाल पीअरसँ रंगाबे लगलीह
जब दुलहा द्वारे पर आयल, निरेखऽ लगली हे
सासु अपन जमइया निरेखऽ लगली हे
सतरंगिया बजनमा बजाबऽ लगली हे

एहो पढ़ब :- 

● सांझ गीत - मैथिली लोकगीत

कहु कहु घनश्याम Lyrics

कहु कहु घनश्याम, अपने के कीये अछि नाम
कोना आबि गेलहुँ मिथिला नगरिया मे

अहाँ के बाबू बड़ अनबूझ, सासुर कयलनि बड़ी दूर
चलऽमे भेलहुँ चूरमचूर, कने बैसि लिअ जनकजी के फुलबरिया मे

दुर्गानन्द कहथि कलजोड़ि, कनेता ई नयना खोलि
सखि सब करत किलोल महलियामे
कोना आबि गेलहुँ मिथिला नगरिया मे


मोहि लेलखिन सजनी मोरा मनवा Lyrics

मोहि लेलिखिन सजनी मोरा मनवा पहुनमा राघो -2

हे हो पहुनमा राघो हे सिया के सजनमा राघो
राजा दशरथ के दुलरुआ पहुनमा राघो
मोहि लेलिखिन सजनी मोरा मनवा पहुनमा राघो -2

अँखियाँ में कारी काजल होठवा में पानक लाली -2
लाले लाल सिर पर हई पगड़िया हे पहुनमा राघो
मोहि लेलिखिन सजनी मोरा मनवा पहुनमा राघो -2

चलू चलू परिछन सखी हे दूल्हा चुमावन सखि हे -2
चमचम चमके के हे मऊरिया हे पहुनमा राघो
मोहि लेलिखिन सजनी मोरा मनवा पहुनमा राघो -2


बड़ सुन्दर लागय दुलहा के सुरतिया Lyrics

बड़ सुन्दर लागय दुलहा के सुरतिया
चलू परिछन सखिया ना

सोनाकेँ डाला मंगायब
ओहिमे दीप जरायब
गायब गोबर मंगाएब आमक पतिया
चलू परिछन सखीया ना

दूभि अक्षत विराजे
दही पान शुभ काजे
मंगल गाबय सखी सहेलिया
चलू परिछन सखिया ना

देखि देखि दुलहाक रूप
चकित भेला सभ भूप
जुगल अहीं पर मारल नजरिया
चलू परिछन सखिया ना


इहो पढ़ब :- 


परिछन करय हरषि चलू सजनी गे Lyrics

परिछन करय हरषि चलू सजनी गे
दुलहा अवध किशोर सजनी गे
जिनकर रूप मन हरलक सजनी गे
जग भरि भेल अति शोर सजनी गे
देखैत फूल सन सुन्दर सजनी गे
तोड़लनि धनुष कठोर सजनी गे
जे विधि सिया निरमाओल सजनी गे
विधना लगाओल जोर सजनी गे
दुलहा परीछि मंडप चलू सजनी गे
देखि देखि चयन विभोर सजनी गे
परिछन चलू हरषि कय सजनी गे
अरीछि परीछि अवध किशोर सजनी गे


बड़ा भारी जुलुम केलौं हे मेना Lyrics

बड़ा भारी जुलुम केलौं हे मेना, नारद पर विश्वास केलौं
बड़ा भारी जुलुम केलौं हे मेना, नारद पर विश्वास केलौं

दाँत टुटल केश पाकल वर केँ, कोना परीछि आनि लेलौं
नहि छनि बरकेँ घर घरारी, ने छनि बाड़ी झारी
गौरीक गला हलाल केलौं, हे नारद पर विश्वास केलों

सह सह साँप करै छनि, गले नाग फुफकार छोड़ै छनि
गौरी केँ सन्ताप देलौं, नारद पर विश्वास केलौं
बड़ा भारी जुलुम केलौं हे मैना, नारद पर विश्वास केलौं


आयल छथि दुलहा जनकजी के द्वार Lyrics

आयल छथि दुलहा जनकजी के द्वार
चलू सब परिछन राजकुमार
आयल छथि दुलहा जनकजी के द्वार
चलू सब परिछन राजकुमार

डाला बीच साँठि लियऽ चानन काजर
पानक खिल्ली लियऽ अति सुन्दर
आओर जे लियऽ सखि चाउर पिठार
चल सब परिछन राजकुमार

हाथमे शोभनि सोनक कंगन
माथमे शोभनि हीरा - मोतीक मौर
गला बीच शोभनि पुष्प हार
चलू सब परिछन राजकुमार

गाबथि स्नेहलता सुनू ए सुनयना
वरकेँ परीछि कए लऽ चलू अंगना
अहिठाम भेल आब विध व्यवहार
चलू सब परिछन राजकुमार


सोना के डाला लय चलली Lyrics

सोना के डाला लय चलली सोआसिन हे परीछू सखी
कय लेल सोलह शृंगार हे परीछू सखी

कओने नगरियासँ एलै बरिअतिया हे परीछू सखी
कओने नगरिया भेलै शोर हे परीछू सखी

अवध नगरियासँ एलै बरिअतिया हे परीछू सखी
जनक नगरिया भेलै शोर हे परीछू सखी

एहन बरिअतिया हम कतहू ने देखल हे परीछू सखी
देखिते लागय तोहाओन हे परीछू सखी

ब्रह्मा ओ विष्णु मिलि अयला बरिअतिया हे परीछू सखी
बाजन बाजे घनघोर हे परीछू सखी

दस-पाँच सखी मिलि परिछन चलली हे परीछू सखी
पहिरन लहंगा - पटोर हे परीछू सखी

शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018

साउथ फिल्मक टॉप हीरोइन छथि दरभंगा के कावेरी झा

मिथिला धरोहर : मूलत: दरभंगा (Darbhanga) जिलाक रहनिहारि कावेरी झा -  Kaveri Jha के जन्म २१ मई १९८३ भेल छनि। सहरसा हिनक नानी गाम छनि। प्रारंभिक आ उच्च शिक्षा प्राप्त केला उपरान्त कावेरी मोडेलिंग केँ अपन कैरियर चुनलनि। २००५ मे कावेरी फेमिना मिस इंडिया मे मिस पर्सनालिटीक पुरस्कार सँ सम्मानित भेली संगे हिनका मिस महाराष्ट्रक खिताब सेहो भेंटि चुकल छनि। कला विषय में उपाधी ग्रहण केलाक पश्चात कावेरी झा अपन फिल्मी करियरक शुरुआत भूल भुलैया मे २००७ सँ केलनि। साजिद खान के नेतृत्व मे ओ टीवी शो के मेजबानी सेहो केलनि। कावेरी झा एयर इंडिया मे एयर होस्टेस के काज सेहो क चुकल छथि।
दक्षिण भारतीय सिनेमा (तेलगु) मे ब्रेक भेटलाक बाद अपन अभिनय आ सुन्दरताइ सँ जल्दिये टप स्टार एक्ट्रेस केर रूप मे प्रसिद्धि प्राप्त केली। हाइजैक, जेल, सिंघम, बम-बम भोले, ए फ्लैट आदि हिन्दी फिल्म मे सशक्त भूमिकाक संग तमिल, तेलगु, मलयालम मे हिनक तीन दर्जन सँ बेसी फिल्म बतौर नायिका छन्हि। तेलगु आ मलयालम फिल्म मे नागरम, ओह चित्राम, ना गर्ल फ्रेन्ड बगा रिच, सलीम, कन्दाहार, इत्यादि छन्हि। एकर अलाबा ओ कतेको विज्ञापन मे सेहो उल्लेखनीय कार्य क चुकल छथि।



सोमवार, 12 फ़रवरी 2018

आध्यात्मिक प्रगति आ मिथिला संस्कृति के अभिव्यक्ति बसैठी (अररिया) के शिव मंदिर

मिथिला धरोहर, अररिया : रानिगंज प्रखंड के बसैठी के ऐतिहासिक मतेश्वर शिव मंदिर मिथिला संस्क़ृति आ आध्यात्मिक प्रगति के कलात्मक अभिव्यक्ति अछि। रानीगंज प्रखंड मुख्यालय सँ १२ किलामीटर पूब दिशा मे इ ऐतिहासिक शिव मंदिर स्थित अछि जो बसेटी मठ के नाम सँ लोगक आस्थाक केंद्र बना अछि। १७८४ ईस्वी मे पहुसरा ड्योढ़ी के महाराजा इन्द्रनारायण राय के निधनक उपरांत विदुषी मिथलानी के विधवा महारानी इंद्रावती अपन विलक्षण प्रतिभा सँ बागडोर संभालनी। हुनकर जमींदारी व्यवस्था के अमर गाथा अखनो धरि कायम अछि।

इहो पढ़ब - 


 
जानकारीक अनुसार सन १७९५ ईस्वी मे महारानी इंद्रावती बाबाधामक यात्रा सँ एला के बाद बसेटी गांव मे एकटा शिवालय ,चंद्रदीप कुवाँ आ शिव गंगा सरोवर बनेबाक फरमान देलनी। ओहि समय के प्रसिद्ध वास्तु शास्त्र शिल्पकार के बजैल गेल और मंदिर निर्माणक काज शुरू भेल। काशी के प्रख्यात शिल्पी के शिवलिंग और राज पंडित शम्भू नाथ मिस्र के प्रस्तावित पत्र तैयार करबाक लेल कहल गेल।प्रस्तावित पत्र के दस श्लोक एखनो मंदिरक मुख्य द्वार पर चिपकल अछि। अहि मे दसटा श्लोक अछि जे संस्कृत आ तिरहुत भाषा मे अछि। अहिमे राजा इन्द्रनारायण राय के बांसवाली, आ मंदिर निर्माणक तिथि अंकित अछि। सन १७९७ ईस्वी के फागुन षुल्क के दुतिया तिथि के अहि मंदिर मे प्राण प्रतिष्ठाक संग शिवलिंग के स्थापित कैल गेल, अहि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान मे सैकड़ो वैद, राजा महाराजा, छोट जमींदार, आ हजारो सर्द्धालुक उपस्थिति छलाह। अहि ऐतिसाहिक शिव मंदिर के खासियत इ अछि जे बाहर सँ देखबा पर तीन अलग अलग गुम्बज सँ तीन मंदिर दिखाई पडैत अछि मुदा भीतर जेबा पर एकेटा मंदिर अछि। इ अद्भुत शिल्पकारी के नायाब नमूना अछि। Tags : # Araria # Raniganj # Basaithi

रविवार, 4 फ़रवरी 2018

Baba Singheshwar Sthan | सिंहेश्वर स्थान मधेपुरा: विष्णु द्वारा स्थापित अछि शिवलिंग

मधेपुरा जिला मुख्यालय सँ १६ किलोमीटरक दूरी पर स्थित सिंघेश्वर स्थान ( Singheshwar Sthan, Madhepura ) मे भगवान शिव केर दिव्य शिवलिंग स्थापित छनि। जे अपन ऐतिहासिक आ धार्मिक महत्वक कारण बहुते प्रसिद्ध अछि। कहल जाइत अछि जे सिंहेश्वेर के अहि शिव मंदिर के कुनो काल मे स्वयं भगवान विष्णु जी बनबेने छलखिन। अनुश्रुतिक अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मक निमित्‍त पुत्रेष्टि यज्ञ सेहो एतय भेल छल।

सिंघेश्वर स्थानक सन्दर्भ वराह पुराण मे सेहो देखल गेल अछि। पुराणक अनुसार अहि स्थान पर घनगर जंगल होइत छल। कतेको चरबाहा एतय घास चरबाक लेल आबय छल। ओहि मवेशि मे एकटा एहन गाय छल जे घास चरै के क्रम मे एकटा ख़ास स्थान पर ढांड़ भ अपन थन (स्तन) सँ प्रति दिन दूध गिरा दै छल। इ सब दिनक घटना छल। लोग इ देख क अचंभित छल। एक दिन लोग सब ओहि स्थान के खोदलक जतय सँ एकटा शिव लिंग भेटल। लोग सब ओहि दिन सँ ओहि शिव लिंग के पूजा-पाठ केनाय शुरू क देलक। फेर धीरे-धीरे ओहि स्थान पर एकटा शिव मंदिर बनि क तैयार भ गेल जे आगू चैल क सिंघेश्वर स्थान भ गेल। मंदिर बनेनिहार भागलपुर के एकटा व्यापारी छल जिनक नाम हरि चरण चौधरी छलनि।
वराह पुराण मे एकटा दोसर कथा सेहो अछि जे अहि प्रकार अछि - एक बेरा भगवान विष्णु, भगवान ब्रम्हा और भगवान इंद्र, देवों के देव महादेव सँ एगो महत्वपूर्ण वैश्विक घटनाक पहलू पर विचार विमर्श करबाक लेल कैलाशपुरी गेला। मुदा भगवान शिव अपन नन्दी संग कैलाशपुरी सँ केतउ अज्ञात जगह चली गेल छलखिन। शिव के ओतय न देखी ओ मायूस भ गेला।

इहो पढ़ब:-

ओमहर शिव अपन नन्दी संगे एकटा जंगल मे ध्यान करय लगला। संगे नन्दी के कैह देने छलखिन जे हमरा बारे मे केकरो पता नै चलबाक चाहि जे हम एतय ध्यान मे लीन छिं।तहिना भेल नन्दी एगो जगह बैठ क पहरेदारी करै लगला। ब्रम्हा, विष्णु और इंद्र शिव के ताकैत-ताकैत ओतय पहुंच गेला। नन्दी सँ शिव केर पता पूछला मुदा नन्दी हुनका सब के शिव केर ठेकान नै कहलखिन।

शिव जी तीनो देवगण के चिह्न लेलनि। ओ शीघ्र  एकटा नमहर सिंग बला हिरनक रूप मे आबी गेला। तीनो देवों सेहो ओहि विचित्र नमहर सींघ बला हिरन के देखी क शिव के चिन्ह लेलनि। ओ सब ओहि हिरन के पकड़बाक लेल दौड़ला, इंद्र सिंग के उपरका भाग के पकड़लनी, ब्रम्हा जी बीचला भाग के और विष्णु जी सिंघ'क जैड़ के पकरलखिन। आब तीनो देवगण बहुते ताकतक संग हिरन के अपना दिस खींचला। फेर एकाएक ओ हिरन बिलै (गायब) गेल और स्वर्ग सँ आकाशवाणी भेल जे अहाँ सब भगवान शिव के पेबा मे असमर्थ भेलहुँ।

इंद्र के हाथ मे जे सिंघक भाग छल ओकरा  स्वर्ग में इंद्र स्थापित क देलथि। ब्रम्हा जी सेहो अपन हिस्सा बला सिंघ के स्वर्ग मे स्थापित क देलखिन जहनकी विष्णु जी अपन हिस्सा बला सिंघ के पृथ्वी पर स्थापित क देलखिन।

इहो पढ़ब:-

विष्णु जी द्वारा पृथ्वी के जाहि स्थान पर सिंघ के स्थापित कैल गेलनि वैह जगह कालान्तर मे सिंघेश्वर स्थान कहायल। यैह कारण अछि जे शिव केर पूजा एतय वैष्णव संस्कृति सँ होइत छनि। वराह पुराण'क अनुसार आहिक दु गो सीमा एकटा मुन्द्रान्चल शिखरक उत्तर मे आ एकटा मुन्ज्वर शिखरक दक्षिण मे अवस्थित अछि।

वर्तमान मे सिंघेश्वर मंदिरक संचालन बिहार सरकार द्वारा स्थापित ट्रस्ट'क द्वारा होइत अछि। एवं मंदिरक सम्पति के सार्वजनिक घोषित क देल गेल अछि।