गुरुवार, 19 अप्रैल 2018

उत्तरायनी गंगा केर बीच में विराजित छथि भागलपुर केर अजगैवीनाथ महादेव

मिथिला धरोहर : भागलपुर सँ २६ कि०मी० पश्चिम में सुल्तानगंज स्थित अजगैवीनाथ ( Ajgaibinath Mahadev, Bhagalpur,  Sultangang ) अंग जनपदक महत्वपूर्ण स्थल अछि। प्रागौतिहासिक काले सँ अहिके उल्लेख भेटय अछि। पुराण सँ लऽ कऽ महाकाव्य धरि अंग जनपदक वर्णन भेटय अछि। सन ९३८ में ह्वेन शांग नामक चीनी यात्री अपन यात्रा वृतांत में अहिके वर्णन केने अछि।
अजगैवीनाथ नाथ धाम गंगा अवतरण सँ संबद्ध  अछि। अहि ठामक पहाड़ पर जाह्नु ऋषि के आश्रमक उल्लेख पुराण में अछि। आय यैह पहाड़ अजगैवीनाथ पहाड़क नाम सँ जानल जाइत छैक। कहल जाइत छैक जे शिव मुनि सँ प्रसन्न भऽ अजगव नामक धनुष हुनका प्रदान केने छलथि। अजगव धनुष अहि आश्रम सँ भेटबाक कारणे हिनक नामांकरण अजगैवीनाथ पहाड़ी पड़लनि।

पौराणिक कथा
एहन मान्यता अछि जे जहन भागीरथ के प्रयास सँ गंगा के स्वर्ग लोक सँ पृथ्वी पर अवतरण भेल छलनि तऽ ओहि समय हुनक वेग बहुते तेज छलनि। भागीरथ के रथक पाछु पाछु बहैत जहन गंगा सूल्तानगंज पहुंचलनि तऽ एकटा पहाड़ पर स्थित जाह्नु ऋषि केर आश्रम के भसा (बहा) कऽ लऽ जेबाक लेल ऐर गेलथि। अहिसँ जाह्नु ऋषि बहुते क्रोधित भऽ गेला और अपन तपो बल सँ गंगा के अपन आंचुर (चुल्लू) में उठा कऽ पी गेलथि। फेर भागीरथक बहुते आग्रह केला पर जाह्नु ऋषि किछु नरम भेलथि और अपन जांघ के चीर कऽ गंगा के बाहर निकालथि। जाह्नु मुनि केर जंघा सँ निकलबाके कारण गंगा केर नाम जाह्नवी पड़लनी। 
दोसर पौराणिक कथा अछि जे जहन गंगा के स्वर्ग लोक सँ पृथ्वी लोक पर अवतरण भेल छलनि तऽ हुनकर गति के रोकबाके लेल भगवान शिव जी अपन जटा खोली के गंगा केर प्रवाह मार्ग में आबि के ठाड़ भऽ गेलथि। शिवजी के अहि चमत्कार के देखी कऽ गंगा ओतय सँ  गायब भऽ गेली। बाद मे देवता के निवेदन पर भगवान शिव अपन जाँघ के नीचा सँ गंगा के  बहय के मार्ग देलथि। यैह कारण छैक जे भारत वर्ष में केवल एतय पर गंगा उत्तरभिमुख भऽ के बहै छथि। भगवान शिव एतय स्वयं आपरूप सँ उत्पन्न भेल छलथि जाहि कारण ओ अजगवी महादेव कहेलखिन। 

एकटा आन कथाक अनुसार आदि काल में मन्दिरक कुनो महंथ अजगैबीनाथ मन्दिर सँ देवघर मन्दिर के जोड़य बला भूमि के नीच्चे सँ एकटा गुप्त मार्ग बनेने छलथि। अहि गुप्त मार्ग सँ भऽ के ओ प्रति दिन देवघर केर बाबा बैद्यनाथ के मन्दिर में जल चढ़ेबाक लेल प्रति दिन जाय छलथि। ओहि गुप्त मार्ग के पता लगेबाक लेल आधुनिक इंजीनियर बहुते प्रयास केलक, मुदा ओ सफल नै भेल। अहि गुप्त मार्गक दरबाजा आइयो भी मन्दिरक पास स्थित अछि।

शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018

बड़ी भात विधि - Badi Bhaat Recipe

बड़ी - भात मिथिला मे एकटा प्रसिद्ध व्यंजन अछि। इ व्यंजन जुड़शीतल पावनिक अवसर पर प्रायः सब मैथिल परिवार मे बनैल जाइत छैक। मिथिला में भोजक अवसर पर सेहो इ व्यंजनक रूप में दही दै सँ पहिले परसल जाइत छैक।

सामग्री : बड़ी (पकौड़ा) लेल
१ कप बेसन
१/२ छोटका चम्मच बेकिंग पॉउडर
१/२ छोटाका चम्मच गरम मसल्ला
१/२ छोटाका चम्मच जीर
चुटकी भैर हींग
१/४ छोटाका चम्मच नून (नमक)
१ कप पैइन

कढी (रस) लेल
३ कप पैइन
१/२ कप बेसन
१ कप दही
१/४ छोटाका चम्मच हरैद
१ छोटाका चम्मच निमक
१ छोटाका चम्मच जीर पाउडर
१ छोटाका चम्मच धनियाँ पाउडर
१/२ छोटाका चम्मच मिर्च पाउडर
छौंकय लेल
१ बड़ाका चम्मच तेल
१/४ छोटाका चम्मच जीर
चुटकी भैर हींग
२-३ तैर पत्ता
२-३ सुखल लाल मिर्ची

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बिधि : पहिल स्टेप 
बड़ी (पकौड़ा) के सबटा सामग्री के मिलाबू, संगे धीरे धीरे पैइन दैत जाउ जाहिसँ गाढ़ मुलायम पेस्ट बैन सकै। लगभग ५ मिनट धैर नीक जंका फेंटू जाबे तक हल्का नै भ जाय। बर्तन मे आब तेल गर्म क, बड़ी के घोल क थोड़ थोड़ ल'के ओकरा छानी लिअ।

दोसर स्टेप 
अब एकटा गंहिर बर्तन मे २ कप पैइन ल के रसक (कढ़ी) सामग्री के नीक जंका मिलाबू।आब ओकरा ६ मिनट धरि तेज आँच पर पकाबु, बीच मे एकरा एक बेरा हिलाबु आ तुरंते बड़ीक पकौड़ा द और ओकरा सेहो ५ मिनट धरि पकाबु।

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तेसर स्टेप
छौंकय के लेल गरम तेल मे जीर, हींग, सुखल लाल मिर्ची, तैर पत्ता डालू। ओकरा लाल होमय दियौ। आब कढ़ीक ऊपर द दियौ। अंत मे हरीयरका धनियाँ पत्ता द दियौ। आब एकरा भातक संगे परोसु।

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बुधवार, 11 अप्रैल 2018

नाक पकड़बा काल के गीत - मैथिली लोकगीत

 Naak Pakarba Kaal Ke Geet Lyrics

माइ हे नासिका दबाइ बरकेँ Lyrics

माइ हे नासिका दबाइ बरकेँ जाँचू बहिना
माइ हे योगी छथि की भोगी, से हम बुझबनि कोना
वस्त्र बहार कए देखू बहिना
माइ हे मोट छथि कि पातर, हम बुझबनि कोना
माइ हे हाथ पयर निकालि कनी जाँचू बहिना
हाथ सोझ छनि कि टूटल, देखू बहिना
चलाय - फिराय वरकेँ देखू बहिना
माइ हे चलै छथि कि नाँगर, से देखू बहिना
माइ हे हँसाय - बजाय हिनका देखू बहिना
माइ के पंडित छथि कि बकलेल, जाँचू बहिना

दुर्गा सन गौरी छथि सुन्दर

दुर्गा सन गौरी छथि सुन्दर
तिनका वर भेलखिन जोगी हे
पानक पात लए नाक पकड़बनि
नाक देबनि हम तोड़ि हे
हमरा गोरी दिस दृष्टि घुमयता
नयना देबनि हम फोड़ि हे
गरदनिमे चादरि लगएबनि
गरदनि देबनि हम तोड़ि हे
बसहा बरद सन मंडप घुमयबनि
करता कहथिन जे गौरी हे
दुर्गा सन गौरी छथि सुन्दर
तिनका वर भेलखिन जोगी हे

शनिवार, 7 अप्रैल 2018

दूर्वाक्षत मंत्र - Durwakshat Mantra : विधि और अर्थ

Durwa Akshat Mantra - दूर्वा अक्षत मंत्र
"ॐ आब्रह्मन ब्राह्मणों ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्यौऽतिव्याधि महारथी जायताम दोघ्री धेनुर्वोढाऽनड्वानाशुः सप्ति पुरन्ध्रिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवाऽस्ययजमानस्य वीरोजायाताम निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न औषधयः पच्यन्ताम योगक्षेमोनः कल्पताम् मंत्रार्था: सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः। शत्रुणां बुद्धिनाशोऽस्तु मित्राणामुदस्तव।"
दूर्वाक्षत देबाक विधि
उम्र में जेष्ठ आ बियाहल पांच गोटे (या बेसी) पुरुख अपन माथा झाँपि के अपन हाथ में दूभि, धान, अक्षत (चाउर) लऽ कऽ दूर्वाक्षत मन्त्र पढ़लाक उपरांत तीन बेरा दीर्घायु भवः, दीर्घायु भवः, दीर्घायु भवः पढ़ैत हाथ सँ दूभि, धान अक्षत बर या बरुआ के ऊपर फेकि कऽ एक बेर बैस कऽ उठी के आशीर्वाद देल जाएत अछि।

नोट - बर - कनियाँ संग रहला पर तीन बेरा दीर्घायु भवः आ तीन बेरा सौभाग्यवती भवः कही के आशीर्वाद देल जाइत छैक।

दूर्वाक्षत मन्त्र के अर्थ
हे भगवान अपना देश में सुयोग्य और सर्वज्ञ विद्यार्थी उतपन होथि, और शत्रु के नाश केनिहार सैनिक उतपन होथि। अपन देशक गाय खूब दूध दिअ, बैइल बड़द भार वहन करय में सक्षक होथि आ घोड़ा त्वरित रुपे दौड़य बला होय। स्त्रीगण नगरक नतृत्व करवा में सक्षक होथि, और युवक सभा में ओजपूर्ण भाषण देबैय बला और नेतृत्व देबय में सक्षक होथि। अपन देश में जखन आवश्यकता होय तखन बर्षा होय, आ औषधिक जड़ी-बूटी सर्वदा परिपक्व होइत रहय। एवं क्रमें सब तरहे हमरा सभक कल्याण होय। शत्रुक बुद्धि के नाश होय। मित्रक उदय होय।

सोमवार, 2 अप्रैल 2018

ऑल इन वन - सब कला मे निपुण छथि रामसेवक ठाकुर

मधुबनी : मधुबनी जिलाक लखनौर प्रखंड अन्तर्गत महुली गांव निवासी आ आयाची मिथिला महिला कालेज बहेड़ा मे संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो० रामसेवक ठाकुर( Ramsevak Thakur  ) साहित्यिक मंचक स्थापित उद्घोषक रूप मे प्रख्यात छथि। हास्य व्यंग्यक संपुट सँ श्रोता के मंत्रमुग्ध करबाक अप्रतिम क्षमताक संगे-संग नुक्कड़ नाटकक माध्यम सँ जागरुकता पसारबाक कला प्रो० ठाकुर मे खूब छनि। 
करीब एक दर्जन मैथिली सिनेमा मे हास्य कलाकारक रूप में प्रो० ठाकुर अपन अभिनय क चुकल छथि। 'चट मंगनी पट भेल बियाह, 'ललका पाग, 'हीरो तोहर दिवाना, 'एक चुटकी सिनूर, 'संत लक्ष्मीनाथ गोसाइं' इत्यादि सिनेमा मे ओ भूमिका निभा चुकल छथि। संगीत एवं नाट्य प्रभाग दरभंगाक माध्यम सँ एड्स, पोलियो, कुष्ठ, दहेज इत्यादिक ज्वलंत समस्या पर जागरुक नुक्कड़ प्रस्तुत क प्रो. ठाकुर चर्चित होइत रहल छथि। 

सरस्वती सम्मान बलौर सँ, महेन्द्र सम्मान रहिका सँ आ मिथिला विभूति सम्मानक अतिरिक्त लक्ष्मीनाथ गोसाइं सम्मान हिनका हिनक विशिष्ट करतब पर भेटल छनि। बिहार, बंगाल, झारखंड सहित देशक विभिन्न भाग मे आ परोसी देश नेपाल मे ओ मंच उद्घोषक के रूप मे खुब थोपरि बटोरने छथि।
हिनक मूल रचना
नुक्कड़ नाटक, कुष्ठ, पोलियो, एड्स, मानल जे सिया इत्यादि प्रो. ठाकुर की मूल रचना छनि। एकर अतिरिक्त विभिन्न पत्र-पत्रिका मे पांच सौ सँ बेसी कविता प्रकाशित छनि। आकाशवाणी दरभंगा, जमशेदपुर आ पटना सँ निरंतर कार्यक्रम होइत रहैत छनि। प्रो० ठाकुर मंच उद्घोषक के संगे साहित्यिक रचना मे सेहो लागल छथि। हिनक दु टा पुस्तक - 'अबियौ ने गाम, दो पाटन के बीच में यथाशीघ्र' प्रकाशित भेल छनि।