बुधवार, 29 अगस्त 2018

चन्देश्वर नाथ महादेव स्थान हररी मठ : झंझारपुर

मिथिला संस्कृति सौं धनी! झंझारपुर सौं पाँच किलोमीटर उत्तर पूर्व हररी गाम में विराजित छथि अंकुरित महादेव चन्देश्वर नाथ ( Baba Chandeshwar Nath Mahadev, Jhanjharpur )। सत्य मन से कयल कामना अवश्य पूर्ण होई छैक। औढरदानीक कृपा सौं कतेको लोक संतान संपत्ति प्राप्त केलथि। प्राचीन समय में इ क्षेत्र जंगलमय छल दिनों के लोक सब अबै से डराइ छला। 
एकदिन एकटा महात्मा अहि रस्ते जाई छला। कनिकाल आराम करक लेल कोनो गाछ पीठ सौं लगा बैसला आ निंदक भक लगलनि कि स्वप्न देखला जे महादेव कहि रहल छथि-हम ओहि साहोर गाछ तर में छी दरभंगा महाराज सौं कहि हमर स्थापना कराऊ। एतबे देखला कि चौंक के ऊठला कनि दूर में देखला सपना में देखल वेह साहोरक गाछ छल, टहलि के गेला त जंगल झारेटा नजैर एलनि। अनमनाह ढंग सौं सोचैत विदा भेला इ सपना छल कि सत्य? राजा के कहबनि आ जौं महादेव नै हेथिन त राजा हमरा जिवे नै देत, नै हम नै जेब दरभंगा दरबार में, सोचैत अपन गन्तव्य चल गेला। 

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राति में जखन सुतला त फेर देखलनि महादेव कहि रहल छथि हमरा पर विश्वास नहिं भेल आहाँ डर सौं नै गेलौ दरबार हम छी आहाँ जाऊ हमरा स्थापित करू। फेर चौंकि उठला राति भैर निंद नै भेलनि नाना प्रकारक शारिरिक मानसिक कष्ट भेलनि। भोरेभोर पहुंचला राजदरबार आ सब वृतांत राजा से कहला।दरभंगा महाराज स्वयं भक्त छला एतबे सुनि आनन फानन में सेना लय एतय आबि मजदूर सौं जंगल झाड साफ कराय खोघबेला त सत्य निकलल महात्माक बात। सुन्दर सन महादेवक लिंग भेटल। राजाक आदेश भेलनि खोधि के दरभंगा ल चलैलेल। जते खोधल जाई ओतेक नीचा महादेव गेल जाइथ तें मंदिरक गर्भगृह सहर जमीन सौं बहुत नीचा छनि, किछु कालक पश्चात ओहि खाधि सौं मधुमाछी पचहिया संग संग सांप कीडा सब निकलय लागल सब मजदूर भागल आ राजाक आदेश भेलनि अहिठाम मंदिरक निर्माण करै जाऊ महादेव अहिठाम रहता। मंदिरक निर्माण होमय लागल आ महाकवि विद्यापतिक पितामह धिरेश्वर ठाकुरक  जेठ भाई चंदेश्वेर ठाकुरक नाम पर चन्देश्वरनाथ महादेव नमकरण कयल गेलनि।

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मंदिरक पुजाक भार बोदइ निवासी के  भेटलनि। एखन धरि ओहि परिवारक पुजारी छथि जिनक दरमाहा एखनो धरि दरभंगा महाराज सौं भेटै छनि। समय बीतल गेल आरो देवता हनुमान, कृष्ण, गायत्री, अनेक मंदिर निर्मित भेल। बाबा स्थान में भक्तक द्वारा बराबर कीर्तन भजन होईत रहै अछि। लडडू जिलेबी नमकीन चाह पान आदिक दुकान अहिठाम अछि। भक्त सबहक बराबर भीड रहैये खासकय भोर साँझ त आनंद मंगल।

*ज्ञातव्य होई दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंहक मुण्डन संस्कार अहि मंदिर प्रांगण में चंदेश्वेरनाथक सम्मुख भेलनि।



शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

इ छथि भागलपुर के विधायक के बेटी एक्ट्रेस आएशा शर्मा

मिथिलाधरोहर : जॉन अब्राहम स्टारर 'सत्यमेव जयते' फिल्म 15 अगस्त 2018 पर रिलीज भेल छल। आएशा शर्मा अहि फिल्म मे एक्टर जॉन के अपोजिट किरदार निभेने छलथि। मॉडलिंग सँ अपन करियरक आरम्भ करय बाली बी-टाउन गर्ल आएशा के सिर्फ एक्टिंगे सँ नै बल्कि राजनीति सँ सेहो गहिर रिश्ता छनि। ओना त इ आएशा के पहिल फिल्‍म छल मुदा लाइम लाइट मे रहनाय और मीडिया के झेलनाय हुनका लेल नव नै छनि। दरअसल ओ भागलपुर के एकटा विधायक के बेटी छथि।

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मिथिला क्षेत्रक भागलपुर मे जन्मली आएशा ( Actress Aisha Sharma From Samastipur ) कमे उम्र मे दिल्ली आबि गेल छलथि। ओ स्कूल केलाक उपरांत दिल्ली के एकटा कॉलेज सँ आएशा बायोटेक्नोलॉजी मे ग्रेजुएशन केने छथि। पढ़ाई पूरा भेलाक बाद आएशा मॉडलिंग के दिस रुख केलनि जतय हुनका लैक्मे सहित दोसर ब्रांड्स के संगे काम करबाक अवशर भेटलनि। यैह नै, एहिके अलावा आएशा किंगफिशर कैलेंडर गर्ल सेहो रही चुकल छथि।और ओ आयुष्मान खुराना'क संगे 'एक वारी' वीडियो एल्बम मे सेहो नजर ऐल छली।

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एक्ट्रेस आएशा शर्मा कांग्रेस विधायक आ बिजनेसमैन अजीत शर्मा के बेटी छथि। 'सत्यमेव जयते' आएशा शर्मा के डेब्यू फिल्म छनि। अजीत शर्मा के एकटा और बेटी और आएशा के बहिन नेहा शर्मा सेहो बॉलीवुड जगत मे नाम कमा रहल छथि। एक्ट्रेस नेहा ''क्या सुपर कूल हैं हम'' और ''जयंतीभाई की लव स्टोरी'', ''यमला पगला दीवाना-2'', ''यंगिस्तान'' समेत दोसर भाषाक फिल्म मे लीड रोल निभा चुकल छथि।

शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

मधुश्रावणी पूजा कथा, आठम दिनक - गौरी-विवाहक वर-बरियाती

महादेव काशीमे सप्तर्षिकेँ बजेलनि। ओ लोकनि एला। वशिष्ठक संग हुनकर स्त्री अरुन्धती सेहो एली। महादेव सभकेँ विवाहक कथा लऽ हिमालयक ओतऽ पठेलनि। ऋषि लोकनिसँ महादेवक अनुरोध सुनि हिमालय आ मेना केर आँखिसँ नोर झहरऽ लगलनि। ऋषि-मुनि गौरीकेँ आशीर्वाद देलनि। अरुन्धती मेनाकेँ महादेवक महिमाक गुण-गान सुनेलनि। कथा ठीक हेबापर विवाहक दिन ताकल गेल। विवाहक दिन फागुन वदि चतुर्दशी निश्चित भेल। सप्तर्षि लोकनि प्रसन्न भऽ काशी घुरि एला। एहि ठाम आबि महादेवकेँ सभ बात कहलनि। महादेव प्रसन्न भऽ हुनका लोकनिकेँ बरियाती चलबा लेल हकार देलनि। ओहिठामसँ महादेव कैलाश एला। देवता लोकनिकेँ निमन्त्रण आ हकार देबाक भार नारद मुनिकेँ देलनि। महादेवक गण सभ बरियातीक तैयारी करऽ लगला। वरकेँ सजाओल जाय लागल। हुनका गहना की देल जेतनि? जे सभ हिनका लग गहना रहनि ताहिसँ हुनका सजाओल गेल। माथपर चन्द्रमाक मुकु ट, शरीरमे साँपक गहना। जटाकेँ झारि कऽ नीक जकाँ बान्हि देल गेलनि। नवका बाघम्बर ओढ़ाओल गेलनि। एतबे श्रृंगारमे महादेव परम सुन्नर लागऽ लगला।

चारिम दिन महादेवक बरियाती हिमालयक ओतऽ पहुँचल। हिमालय अपन कुटुम्बक संग बरियाती लोकनिक सत्कारमे लागि गेला। मेनाकेँ बड़ मोन लागल छलनि जे जाहि वर लेल गौरी एतेक कष्ट सहलनि अछि से वर केहन अछि? ओ नारद मुनिकेँ संग लऽ दुआरिपर वर देखबा लेल गेली।

सभसँ पहिने गन्धर्वराज एला हुनकर सुन्दरता देखि मेनाकेँ भेलनि जेना यैह वर छथि। ओ प्रसन्न भेली। नारद कहलथिन जे ई देवता लोकनिक गबैया छथि। तकारा बाद धर्मराज एला। मेनाकेँ एहि बेर भेलनि जे यैह वर छथि, मुदा नारद फेर बजला जे ई तँ धर्मराज छथि। महादेव तँ हिनका लोकनिसँ बड़ बेसी सुन्नर छथि। एहिना क्रमश: सुन्दर देवता लोकनि अबैत गेला, मेना सभकेँ पहिने वर बुझथि। नारद बेराबेरी सभक परिचय मेनाकेँ दैत गेलथिन। मेना गौरीक भाग्यपर गर्व करऽ लगली। महादेव ई बात बूझि गेला। ओ किछु तमाशा करऽ चाहलनि। आब नारद कहलनि जे वैह देखू वर आबि रहल छथि। हुनका देखि अपन आँखि जुड़ाउ।

मेना सावधान भऽ हुलसि कऽ देखऽ लगली। पहिने महादेवक सेवक भूत, प्रेत, पिशाच सभ आयल। ओकरा सभक पहिरन-ओढ़न, बाजब भूकब, नाचब-गायब देखि मेना डेरा गेली। जी धक धक करऽ लगलनि। एहने ने वर होथि। ताबत महादेव सेहो आबि गेला। बसहापर चढ़ल, पाँच मुँह, तीन आँखि, दस गोट हाथ, देहमे छाउर लेपने, कौड़ीक माला पहिरने, माथपर चन्द्रमा, एक हाथमे खप्पर, दोसरमे भिक्षापात्र, तेसरमे पिनाक, चारिममे तीर, पाँचममे त्रिशूल, छठममे अभय। एहि तरहेँ सभ हाथमे किछु ने किछु भरल। हाथीक चाम पहिरने, ऊपरसँ बाघम्बर ओढ़ने, सौँसे देहमे साँप लपटायल, आँखि मुनने आ थरथर कपैत।
नारद कहलनि यैह वर महादेव छथि। ई देखैत मेना बेहोश भऽ गेली। मेना कहलनि जे- ‘गे जिद्दी छौड़ी ई की केलेँ। एहन वरक संग कोनो रहबेँ? ( साभार : अमलेंदु शेखर पाठक/ गंडकी )


गुरुवार, 2 अगस्त 2018

पायर धोयबा काल के गीत - मैथिली लोकगीत

कोना कऽ चरण पखारू | Maithili Lokgeet

कोना कऽ चरण पखारू हे छोट बभना के
हमर धिया छथि सोइतक बेटी
अहाँ छोट लोकक बेटा हे, छोट बभना के कोना ....
सुनू-सुनू ओझा बात, रुपैया लियऽ हाथ
अपन बहिनि करू दान, हमर भइया लय
सुनू-सुनू सरहोजि बात, नै अछि रुपैया पैसा हाथ
भइया लयलहुँ साथ, छोटकी सारि लय

मधूश्रावणी पावनिक गीत, आंखि मूनवाकालक गीत आ टेमी कालक गीत

पावनिक गीत 
पाबनि पूजू आजू सोहागिन प्राण नाथ के संग मे
कारी कम्बल झारि गंगाजल काजर सिन्दूर हाथ मे
चानन घसू पीसू मेहदी पीसू लिखू मैना पात मे
पावनि सजी भरि आनल जाही जूही पात मे
कतेक सून्दर साज सजल अछि लिखल मैना पात मे

आंखि मूनवाकालक गीत 
नहू नहू धरू सखी बाती धरकय मोर छाती
नहू नहू पान पसारह नहूं नहूं दुग दूहू  झांपह
मधूर मधूर उठ दाह मधूर मधूर अवगाहे
कूमर करह विधि आजे मधूश्रावणी

टेमी कालक गीत 
शीतल हबथू समीर दहो दिश शीतल लेथू उदासे
शीतल भानू लहूक लहू उगथू शीतल भरल अकासे
शीतल सजनि गीत पूनि शीतल शीतल विधि व्यवहारे
शीतल मधूश्रावणी विधि हो शीतल वसन सिंगारे
शीतल घुत शीतल वरू वाती  शीतल कामनि आंगे
शीतल अगर शूशीतल चानन शीतल आबथू मांगे
शीतल कर लय नयन झापावह शीतल देलह पाने
शीतल हो अहिवात कूमर संग शीतल जल सनाने
कांपय दल सन थर थर कापय मधूश्रावणी आजे
सकल सिंगार समारि सजथि सब मधूमय कैल समाजे
कमल नयन पर पानक पट दै नागर जखनहि झांपै
विधिकरी हाथ चद्रकर बाती देखी सगर तन कांपै
आजू सोहागिन सहमल बैसल मूख किये पड़ल उदासे
अम्मा मूख हेरय बहाबह गाइनि गाबथि गीते
बड़ अजगूत मधूश्रावणी विधि परम कठिन इहो रीते

बुधवार, 1 अगस्त 2018

मधुबनीक मंगरौनी मे विराजैत छथि एकादश रुद्र महादेव

मिथिलांचल मे कतेको प्रसिद्ध शिवालय छैक, जाहि मे मंगरौनी स्थित एकादश रूद्र शिव मंदिर के अलगे महत्व छैक ( Ekadash Rudra Mahadev Temple Mangrauni ) । एहि मंदिर मे एक्के गोट वेदी पर ११ गोट शिवलिंग स्थापित अछि। एहेन मान्यता छैक जे एकादश रूद्र केर पूजा-अराधना कएला सँ ग्यारह गुना फल केर प्राप्ति होएत छैक।
मधुबनी जिला अंतर्गत राजनगर प्रखंडक मंगरौनी गाम मे एकादश रुद्र महादेव मंदिर अवस्थित अछि ( Ekadash Rudra Mandir )। वर्ष १९५३ मे प्रसिद्ध तांत्रिक मुनीश्वर झा द्वारा एहि मंदिरक स्थापना कयल गेल।

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एतुक एकादश स्वरूप कारी ग्रेनाइट सँ बनल शिव¨लिंग केर चमक दर्शक-आगन्तुक संग भक्त लोकनि केँ अपना दिशि काफी आकर्षित करैत छैक।
इतिहास
साधक-आराधक केर सर्व मनोकामना सिद्ध करनिहार एकादश रुद्र महादेव केर मंदिर मे पहुँचयवला भक्त लोकनि मे जिला, सूबा केर अलावा विदेशहु केर भक्त सब शामिल छथि। बाबा आत्माराम (बाबूबरही निवासी ) केर देखरेख मे कतेको दशक सँ एतय नियमित रूप सँ पूजा-अर्चना होएत आबि रहल अछि। सावन केर प्रत्येक सोमवारी पर एकादश रुद्र केर महाश्रृंगार अनुष्ठान मे बड़ पैघ संख्या मे भक्त समाज हिस्सा लैत छथि। कहल जाएछ जे एतय कांचीपीठ केर शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती, जगरनाथ पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती सेहो पहुंचि चुकला अछि।

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कोना पहुंचब एतय
शिवरातिक बाद सावन मे एतय पूजा-अर्चना करबाक लेल एनिहार आस्थावान भक्त-आराधक लोकनिक भारी भीड़ जुटैत अछि। जिला मुख्यालय सँ करीब सात किलोमीटर केर दूरी पर अवस्थित एकादश रुद्र मंदिर जेबाक लेल जिला मुख्यालय सँ सड़क मार्ग मार्फत जा सकैत छी। मंदिर तक पहुंचबाक लेल रिक्शा, ऑटो केर सवारी उपलब्ध अछि। हालांकि एहि सड़क मार्ग देने बस सभक आवाजाही सेहो होएत छैक। राजनगर सहित आसपास केर गामक लोक एतय पैदल चलिकय पहुंचैत छथि।
लेख -मिहिर कुमार झा, "बेला" मधुबनी