सामा चकेबा पावनि भाई बहिनक प्रेम पर आधारित अछि जे मिथिलाक संस्कृति के प्रतीक अछि। सामा चकेवा के बारे मे प्रचलित अछि जे श्यामा श्री कृष्ण केर बेटी छलथि और साम्ब श्यामा केर भाई छलखिन जिनका मैथिली मे सतभईया के नाम सँ जानल जाइत छनि। दुनु मे असीम स्नेह छलनि। श्यामा केर बियाह चारुदत्त नामक ऋषि सँ भेलनि। श्यामा प्रकृति प्रेमी छलथि और चिड़िया ,फूल- पत्ता सँ खेलय छलथि। श्री कृष्णा केर मंत्री चुरक जिनका चुगला के नाम सँ बाद मे जानल गेलनि। चुगली कऽ के श्री कृष्ण के कान भरनाय शुरू केलनि जाहिसँ कृष्ण जी क्रुद्ध भऽके श्यामा के शाप सँ पक्षी बना देलखिन।
एमहर चारुदत्त शिवजी केर प्रसन्न कऽ पक्षी के रूप धारण कऽ लेलनि और दुनू चकवा और चकवी नाम सँ जंगल मे रहय लगला। चुरक दुनू के खत्म करबाक लेल जंगल मे आइग लगा देलक मुदा बारिश भऽ गेला सँ दुनू बैइच गेला।
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एमहर साम्ब गुरुकुल सँ शिक्षा ग्रहण कऽ के लौटला तऽ हुनका अपन बहिनक बारे मे पता चललनि तऽ श्री कृष्णा केर कठिन परिश्रम सँ मनेबा मे सफल रहला। तहन सँ श्री कृष्ण जी कहलनि कातिक महीने मे अहाँ के बहिन एती और पूर्णिमा के पुन: चली जेती। तहिया सँ इ भाई बहिनक पावनी मनायल जाइत अछि। सामा चकेवा के पावैन कातिक षष्ठी के यानी छैठ के खरना के दिन शुरू होइत अछि और पूर्णिमा के दिन खत्म होइत अछि।
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