सरस्वती वन्दना - 1
जयति जय जय ज्ञानदात्री जयति शुभ्र वस्त्रा
जयति जय जय जगतव्यापणि जयति ज्ञान स्वरुपा,
अज्ञानके अन्धकार हटाउ माँ, ज्ञान ज्योति देखाउ हे माँ ।
श्वेतपद्मासना सुशोभिता, जयति मंगलाकारणी
जयति विद्यादायनी माँ, विद्या करियाँ प्रदान है माँ
मनवाञ्छित फल दिय हे मैया, कलजोरी करै छी प्रार्थना ॥
सरस्वती वन्दना - 2
“हे ! जग जननी ,मातु शारदे , बुद्धि ज्ञान भण्डार भरू माँ !
दास केँ नहि कखनहुँ बिसरू माँ , अज्ञानक अन्हार हरू माँ !
भव केर माया बिचरि रहल छी ,गरिमा ज्ञानक कोष भरू माँ ।
मोह जाल तुअ बिसरि रहल छी ,भाव बंधन मे ससरि रहल छी ,
महासरस्वती हे ,कुल देवी ,हे ,वरदायिनी ,दया करू माँ ।
सरस्वती वन्दना - 3
महाभाग्यवती मैया आऊ पुन हे मैया अहाँ आऊ पुनः हे मैया।
वेद वेदान्त वेदांग विद्या स्वरुपा मैया
सवदेवता सँ वन्दिता अहां थिकौ हे मैया ।
अयलहुँ शरण अहाँ के विद्या दिय हे मैया अहां के विद्या दिय हे मैया........!
सरस्वती वन्दना - 4
हे उदार बुद्धिवाली बुद्धि स्वरुपा मैया,
अज्ञानताक अन्धकार अहां हटाउ मैया।
अएलहू शरण अहां के बुद्धि दिय हे मैया अहां बुद्धि दिय हे मैया।
श्वेत कमलासन ज्ञानस्वरुपा मैया,
हे विशाल नेत्रवाली ज्ञानदात्री मैया।
ज्ञानरुपी ज्योती अहां देखाउ मैया, अहां देखाउ मैया।
जगतव्यापिणी छी आद्या थिक हे मैया,
मञ्जुल मूखवाली ब्रम्हाप्रिया छी मैया
विणा के सूरसं माँ जगके लुभाउ मैया, जग के लुभाउ मैया ।
स्वर लय तालमात्रा किरण ने किछु जनैया
सवहोय है माँ सुखी कलजोरिक कहैया
दियौ माँ सबके आशिष रहियौ माँ प्रसन्न रहियाँ माँ प्रसन्न रहियौ।
सरस्वती गीत- 5
हंसपर स्वेत कमल आसन ताहि उपर सरस्वती॥
शुभवस्त्र के धारण कयने वीणा सँ शुशोभिता ।
हंसपर स्वेत कमल आसन ताहि उपर सरस्वती।
दहिन हाथमे स्फटिक माला वाम हाथ पोथी नेने।
हंसपर स्वेत कमल आसन ताहि उपर सरस्वती।
ब्रम्हा विष्णु महेश जिनकर सदत स्तुती बंदिता।
सदा प्रशन्न रहु किरण पर दिअ अभय वरदान सबके।
हंस पर स्वेत कमल आसन ताही उपर सरस्वती।