शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

Jur Sital 2024 : मिथिलाक परंपरागत पावैन जूड़ शीतल, कोन कारण सँ मनायल जाइत अछि इ पर्व आ की छैक एकर महत्व!

 Jur Sital Kab Hai 2024 Me, Jur Sital Festival Date
जुड़ शीतल 2024 तिथि - 14 अप्रैल 2024, रविवार

भारतीय पावैन - तिहार के वैज्ञानिक चिंतन के प्रत्यक्ष करै बला मिथिलाक लोकपर्व जूड़ शीतल 14 अप्रैल, (2024) रवि दिन ( सतुआइन 13 अप्रैल ) के मनायल जा रहल अछि। पावैन मनेनिहार परिवारक चूल्हा के आय लॉकडाउन रहैत अछि। पूरा मिथिलांचल के यैह हाल देखबाक लेल भेटत अछि। अहि पर्व के शुरुआत बड़- बुजुर्ग द्वारा अपन परिजन के माथ पर आय भोरे शीतल जल द ओकरा जुड़ेला सँ होइत अछि। गरमी बढ़ै के संगे - संग बेसी सँ बेसी जल सेवन दिस ध्यान खींचय बला  परंपराक संग कादो-माटि (कीचड़ -मिट्टी) खेलल जाइत अछि। लोग एक-दोसरक देह पर कादो-माटि लगाबैत अछि। ग्रीष्म-ऋतु में माटिक के लेप सँ कारगर रौद'क कारण बढ़य बला त्वचा रोग सँ बचाब लगेबाक संकेत भेटय अछि।

इहो पढ़ब :-

जूड़शीतल के दिन मिथिला मे चूल्हा नै जरायल जाइत अछि। त्योहार के एक दिन पूर्व यानी सतुआनी के राइत बनल बड़ी-भात के प्रसाद अपन ईश के भोग लगा लोग ग्रहण करैत छथि। संगेह बड़ी-भात कनि बेसी बनायल जाइत अछि, जहिसे अगिला दिन इ भोजन के लेल पर्याप्त होय। यैह कारण छैक जे एकरा बसिया पबिन सेहो कहल जाइत अछि। चूल्हा पर दही, समार, बसिया बड़ी आ भात चढेबाक परंपरा अछि।

इहो पढ़ब :-

● संघर्ष के मिसाल छथि मिथिला चित्रकला के कलाकार पद्मश्री दुलारी देवी


जलसंचित करबाक भेटय अछि संकेत : पावैन सं एक दिन पहिले राइत मे प्राय: सब बरतन मे पाइन भैर लेल जाइत अछि। इ गरमी मे पाइनीक किल्लत के देखाबैत जल संचित रखबाक दिस संकेत दइत अछि। दोसर दिस बाढ़िक बाद मिथिला क्षेत्र मे सर्वाधिक तबाही अगलगी सं होइत अछि। अहिसे बचाबाक लेल पाइन भैर के राखय आ दिन मे चूल्हा नै जरेला सं सेहो लोग जोइर के देखैय अछि। 

बाट पर छिटल जाइत पाइन : बहिन सब बाट पर पाइन पटा भाइक आगमन के बाट शीतल करैत छथिन। इ अहि मौसम मे गरदा (धूल) सं बचबाक माध्यम बनैत अछि। बहुते ठाम आइयो जूड़ शीतल सं प्रारंभ  बाट पर पाइन छिटबाक क्रम पूरा महीना धरि चलैत अछि। 

गाछ-वृक्ष मे पाइन देबाक परंपरा : जूड़ शीतल मे छोट गाछ सं ल के बड़का वृक्ष धरि मे पाइन देनाय, अहर्निश प्राण-वायु (ऑक्सीजन) प्रदान करय बला तुलसी के गाछ पर पनिसल्ला देबाक चलन अछि। इ बदलैत मौसम मे वनस्पति संरक्षण के दिस सेहो ध्यान खींचैत अछि। 

शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

होली गीत लिरिक्स मैथिली - Maithili Holi Geet Lyrics

● होली कुंजभवनमे खेलतु हैं लिरिक्स

होली कुंजभवनमे खेलतु हैं नन्दलाल
लाले श्याम लाल भेली राधा
लाले सकल बृजबाल,
होली कुंजभवनमे खेलतु हैं नन्दलाल

लाले रंग सब गोपियन रंगाय गेल
लाल भेला भूपाल, 
होली कुंजभवनमे खेलतु हैं नन्दलाल

अबीर गुलाल रंग पिचकारी
सब लेलनि कर सम्हारि, 
होली कुंजभवनमे खेलतु हैं नन्दलाल

मारतु हैं ताकि-ताकि छतियन पर
चोली भेल गुलजार, 
होली कुंजभवनमे खेलतु हैं नन्दलाल

हारि गेली राधा रस दंगलमे
हँसि खेलतु नन्दलाल, 
होली कुंजभवनमे खेलतु हैं नन्दलाल

सब सखियन बिच राधा सोहागिन
मानहु बाल मराल, 
होली कुंजभवनमे खेलतु हैं नन्दलाल

मधुर रस पिक गण मोहय
सुनत उठय उर ज्वार,
होली कुंजभवनमे खेलतु हैं नन्दलाल

राधा कृष्ण युगल जोड़ी छवि
ऋतु वसन्त विशाल,
होली कुंजभवनमे खेलतु हैं नन्दलाल

नीरस श्याम चरण के चाहत
छोड़ाउ सब जंजाल, 
होली कुंजभवनमे खेलतु हैं नन्दलाल




● होरी मे लाज ने करू गोरी लिरिक्स

होरी मे लाज ने करू गोरी, होरी मे...
हम ब्रजकेँ रसिया तो गोरी
करे मिलान इहो जोरी, 
होरी मे, होरी लाज ने करू गोरी

जे हमरा सौं होरी नहि खेलय
खेलब रंग बरजोरी, 
होरी मे, होरी मे लाज ने करू गोरी

सूरदास जी कहथि कृष्ण सँ
छुटलनि राधा गोरी, 
होरी मे, होरी मे लाज ने करू गोरी


 ● होरी केकरा संग खेलब माधव लिरिक्स 

होरी केकरा संग खेलब माधव हमरो विदेश
अपनो ने आबथि, लिखि ने पठाबथि
लिखियो ने भेजथि उदेश, 
होरी केकरा संग
होरी केकरा संग खेलब, माधव हमरो विदेश

केये संग रंग मचाउ हे सखि
आब तऽ होरी बीति गेल, होरी केये संग
होरी केये संग खेलब, माधव हमरो विदेश
बृन्दावनमे कुंजगलिन मे
केये मोर करत उदेस, होरी केये संग
होरी केये संग खेलब, माधब हमरो विदेश
राधा करत उदेश, होरी केये संग
होरी केये संग खेलब, माधव हमरो विदेश



 प्रीतम श्याम बिनु दुख कतेक दिन लिरिक्स

प्रीतम श्याम बिनु दुख कतेक दिन करब
कथी बिनु सुन भेल वन के हरिनियां
कथ बिनु झामरि देह
प्रीतम श्याम बिनु दुख कतेक दिन करब

खढ़ बिनु सुन भेल बनकेँ हरिनियाँ
पहु बिनु झामरि देह
प्रीतम श्याम बिनु दुख कतेक दिन करब

खाट तुराइ सेहो भेल सपना
भुइयां लोटे नामी-नामी केश
प्रीतम श्याम बिनु दुख कतेक दिन करब

तेल फुलेल सेहो भेल सपना
भस्म भुइयां लोटत इहो केश
प्रीतम श्याम बिनु दुख कतेक दिन करब

सूरदास प्रभु तोहरे दरस के
ईहो फागुन दिन चारि
प्रीतम श्याम बिनु दुख कतेक दिन करब



 अहाँ संग नहि खेलब होरी

अहाँ संग नहि खेलब होरी, अहाँ संग
फागुन मे हम फगुआ खेलायब
चैत खेलब बरजोरी, तुम्हरे संग..

बैसाखहिमे सखि गरमी लगतु हैं
जेठक गर्म मचे होरी, तुम्हरे संग...

आषाढ़ में सखि रिमझिम वर्षा
साओन सर्व मचे होरी, तुम्हरे संग...

भादवमे सखि निशि अन्धी रतिया
आसिन आस पूरल होली, तुम्हरे संग...

कार्तिक कनत नहि आएल सखि हे
अगहन धान मचे होरी, तुम्हरे संग...

पूसक जाड़ हाड़ मोर कांपे
माघक सर्द मचे होरी, तुम्हरे संग...


● परदेसिया के नारि सदा दुखिया लिरिक्स

परदेसिया के नारि सदा दुखिया, परदेशिया

चारि महीना के गरमी लगतु हैं
कहियो ने सुतलौं डोला के बेनिया, परदेशिया
परदेसिया के नारि सदा दुखिया

चरि महीना बुन्द पड़तु हैं
कहियो ने सुतलौं छेबा के बंगला, परदेशिया
परदेसिया के नारि सदा दुखिया

चारि महीना जाड़ लगतु हैं
कहियो ने सुतलौं भरा के सिरका
परदेसिया के नारि सदा दुखिया, परदेशिया



 होरी रंग महलमे खेलत लिरिक्स

होरी रंग महलमे खेलत अवध नरेश
अतर गुलाल अबीरक झोरी,
लखन सहित जगदीश
आनन्द अति छाय हृदयमे, खेलत अवध नरेश
झालि मृदंग पखावज बाजे
डफली बांसुरी झमकार, होरी रंग महल मे....
गान करत सब सखियन मिलि
ध्यान रहित भेला नरेश
वीणा धुनि कए नारद थकित भयो
ऋषि मुनि सभ धायो, तुरत इन्द्रादि देव सभ आयो
खेलय चाहत फनीश, मही मानो डोलत



● परदेशिया के धोतिया रंगा दे गोरिया लिरिक्स

परदेशिया के धोतिया रंगा दे गोरिया
जब परदेशिया नगर बिच आयल
सिकिया से अंगना बहारे गोरिया, परदेशिया

जब परदेशिया दरबज्जा बिच आयल
दूध से अंगना निपाबे गोरिया, परदेशिया

जब परदेशिया अंगना बिच आयल
दूध से चरण पखारे गोरिया, परदेशिया

जब परदेशिया असौरा बिच आयल
जल्दी से पुरिया छनाबे गोरिया, परदेशिया

जब परदेशिया घर बिच आयल
पलंगा पर तकिया लगाबे गोरिया, परदेशिया



● श्याम रंग दुलहा दुलहिन गोरी लिरिक्स

श्याम रंग दुलहा, दुलहिन गोरी
युग-युग बनल रहय जोड़ी, 
युग-युग बनल रहय युगल जोड़ी

रामजी के माथे शोभय मुकुटबा
सियाजी के शोभय पटोर जोड़ी, 
युग-युग बनल रहय युगल जोड़ी

सियाजी के माँग मके शोभय सिन्दुरबा
रामजी के भाल तिलक रोरी, 
युग-युग बनल रहय युगल जोड़ी
श्याम रंगे दुल्हा दुलहिन गोरी



● ब्रजमंडल रास रचाबे रसिया लिरिक्स

ब्रजमंडल रास रचाबे रसिया
ओहि रे ब्रजमंडल मोर बहुत छै
कुहकय मोरफटत छतिया, 
ब्रजमंडल रास रचाबे रसिया

ओहि रे ब्रजमंडल पपीहा बहुत छै
पिहुकत पपीहा फटत छतिया,
ब्रजमंडल रास रचाबे रसिया

ओहि रे ब्रजमंडल गौआ बहुत छै
दुहत दूध मटुक मटुकिया, 
ब्रजमंडल रास रचाबे रसिया

ओहि रे ब्रजमंडल नारि बहुत छै
खेलत होरी ब्रज रसिया
ब्रजमंडल रास रचाबे रसिया



● आब चलहुँ कुँवर हो खेलन होरी लिरिक्स

आब चलहुँ कुँवर हो खेलन होरी
जहाँ राधे श्याम बनल जोड़ी
अपने - अपने घर सँ निकसी
मोतियन माँ भरे गोरी, 
आब चलहुँ कुँवर हो खेलन होरी

श्याम के हाथ रंग-पिचकारी
राधा के हाथ अबीर झोरी, 
आब चलहुँ कुँवर हो खेलन होरी

सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस के
रंग खेलहुँ बलजोरी, 
आब चलहुँ कुँवर हो खेलन होरी



● यमुना तट श्याम खेलै होरी लिरिक्स

यमुना तट, यमुना तट श्याम खेलै होरी, 
यमुना तट,

सब सखियन मिलि जमुना नहइहौं
सबहक चीर भये चोरी, यमुना तट...

सब सखियन मिलि गोर लगतु छथि
चीर दिऔ हमर जोड़ी, यमुना तट...

श्याम के हाथ रंग - पिचकारी
बोड़ि देलनि हमर चुनरी, 
यमुना तट, यमुना तट श्याम खेलै होरी, 
यमुना तट



● रंग घोरू ने प्रिय मिथिला के गोरी लिरिक्स

रंग घोरू ने प्रिय मिथिला के गोरी
मिथिला के कुल-रीति एहन थिक
खेलत फागु सबै जोड़ी, 
रंग घोरू ने प्रिय मिथिला के गोरी

किनका हाथ कनक पिचकारी
किनका हाथ अबिर झोरी, 
रंग घोरू ने प्रिय मिथिला के गोरी

रामजी के हाथ कनक पिचकारी
सखियन हाथ अबिर झोरी, 
रंग घोरू ने प्रिय मिथिला के गोरी

खेलत फागु रंग - रस मातल
मिलत गले एक-एक टोली, 
रंग घोरू ने प्रिय मिथिला के गोरी



● माघक जाड़ निरायल लिरिक्स

माघक जाड़ निरायल, रंग होरी ओ ब्रज होरी हो
मोरो पिया चोलिया सियाबय, लाल रंग होरी
कय रग चोलिया सियाबय, रंग होरी ब्रज होरी हो
कय रंग फुदना लगाबय, लाल रंग होरी
आठे रंग चोलिया सियाबय, रंग होरी ब्रज होरी हो
नओ रंग फुदना लगाबय, लाल रंग होरी
सेहो चोलिया पहिरथु सुन्नरि, लाल रंग होरी
पहिरि चलू लट झारि, लाल रंग होरी



● बहुरिया खोलू ने केबरिया लिरिक्स

बहुरिया खोलू ने केबरिया, 
अहाँ संग खेलब अबीर
किनका के हाथ कनक पिचकारी, 
किनका के हाथ अबीर

रामक हाथ कनक पिचकारी, 
सियाजीक हाथ अबीर
किनका के पहिरन पियर पिताम्बर, 
किनका के पहिरन चीर

रामजी के पहिरन पियर पिताम्बर, 
सियाजी के पहिरन चीर
बहुरिया खोलू ने केबरिया, 
अहाँ संग खेलब अबीर



● बाबाजी के बगियामे कुसुम फूल लिरिक्स

बाबाजी के बगियामे कुसुम फूल, 
फूल फुलय कचनार
लाल रंग होरी ओ ब्रजहोरी हो
फूल लोढ़य गेली सुन्नरि, रंग होरी जो ब्रजहोरी
बेसरि लटकल डारि
कानय लगली खीजय लगली सुन्नरि, रंग होरी ओ ब्रजहोरी
के देत बेसरि उतारि
घोड़बा चढ़ल ननदोसी आबय, रंग होरी ओ ब्रजहोरी
हम देब बेसरि उतारि
जौं तोरा बेसरि उतारि देब, रंग होरी ओ ब्रजहोरी
हमरो के कीये देब दान हो
तोहरो के देब हाथ मुनरी, रंग होरी ओ ब्रजहोरी
आओर देब गृमहार
डाहब जाड़ब हाथ मुनरी, रंग होरी ओ ब्रजहोरी
समुद्र भसायब गृमहार
लेबहुमे लेबहु ओहो दुनू यौवना
जाहि सँ खेलब सारी राति, रंग होरी ओ ब्रजहोरी



● माघ मास सिरपंचमी लिरिक्स

माघ मास सिरपंचमी, रंग होरी ओ ब्रज होरी हो
भोर सँ मचय घामार लाल रंग होरी ओ ब्रज होरी हो
ककरा सँ लिखनी लिखाय ककरा पठायब
केये जायत हुनि पास, खबरि हम पायब
कयथे सँ लिखनी लिखायब, हजमा पठायब
देओर जायत हुनि पास, खबरि हम पायब

शनिवार, 27 जनवरी 2024

मिथिला पद्धतिक अनुसार सरस्वती पूजा विधि मंत्र सहित - Mithila Saraswati Puja Vidhi Mantra

-: सरस्वती पूजा-विधि :-

पूर्व दिन निरामिष एकभुक्त कए प्रतिमा आदि पूजा - सामग्रीक संकलन करी ।

पूजाक दिन अपन नित्यकर्म कए (सूर्यादिपंचदेवताक आ विष्णुक पूजाकए) कुश, तिल आ जल लए- 

ॐ तत्सत् ॐ विष्णुः विष्णुः ।

संकल्प - ॐ अद्य माघे मकरार्के शुक्लपक्षे पञ्चम्यां
तिथावमुकगोत्रास्यामुकशर्मणः सदारापत्यस्य अतुलविभूतिपुत्रपौत्रादिसद्विद्या- लाभपूर्वकसरस्वतीप्रीतिकामो लक्ष्म्याद्यङ्गदेवतापूजनपूर्वकसरस्वतीपूजन महङ्करिष्ये।। 
प्रतिमा में, घटक जल में, शालग्राम मे, फोटो मे अथवा ऐनामे सरस्वती कें स्नान कराए।

सां एहि मन्त्र सँ मूर्ति में आँखिक स्पर्श कए, आँखि दए तीन बेरि प्राणायाम करी।

मूर्तिक हृदय पर दहिना हाथ दए वामा हाथ सँ कच्छप- मुद्रा बनाए एहि मन्त्र सँ ध्यान करी ।

ॐ तरुण- शकलमिन्दोर्बिभ्रती शुभ्रक्रान्तिः । 
कुचभर - नमिताङ्गी सन्निषण्णा सिताब्जे ।
निजकर-कमलोद्यल्लेखनीपुस्तकश्रीः । सकलविभवसिद्ध्यै पातु वाग्देवता नः ।।

ध्यान कए प्राणप्रतिष्ठा करी । तेकुशा हाथ मे लए नीचाँ लिखल मन्त्र पढी ।

ॐ आँ ह्रीं क्रीं यं रं लं वं शं षं सं हौं हं सः श्रीसरस्वतीदेव्या इह प्राणाः । 
ॐ आँ ह्रीं क्रीं यं रं लं वं शं षं सं हौं हं सः श्रीसरस्वतीदेव्या इह प्राणाः ।
ॐ आँ ह्रीं क्रीं यं रं लं वं शं षं सं हौं हं सः श्रीसरस्वतीदेव्या इह स्थितिः । 
ॐ आँ ह्रीं क्रीं यं रं लं वं शं षं सं हौं हं सः इह श्री सरस्वतीदेव्याः सर्वेन्द्रियाणि ।

ॐ आँ ह्रीं क्रीं यं रं लं वं शं षं सं हौं हं सः श्रीसरस्वतीदेव्या वाङ्मनः चक्षुः श्रोत्रघाणप्राणा इहागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा । 

ॐ मनोजूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमन्तनोत्वरिष्टं यज्ञं समिमन्दधातु विश्वेदेवास इह मादयन्तामोम् प्रतिष्ठ ॥ ॐ सरस्वतीदेवि ! इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठिता भव ॥

ॐ अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च । अस्यै देवत्वसंख्यायै स्वाहा ॥

देवीक हृदय पर हाथ धेने सां ई मूलमन्त्र तीन बेरि जप कए, देवीक शरीरक अङ्गन्यास आ करन्यास कए, ऐँ एहि बीज सँ संनिरोधनी मुद्रा देखाबी आ सां एहि मूलमन्त्रसँ पुष्पाञ्जलि दी।

-: कलश स्थापना :-

तखनि आसन पर बैसि कलश स्थापित करी। जल छीटि, बीचमे पूजा करी।

आवाहन - अक्षत लए, ॐ कलशाधारशक्ते इहागच्छ इह तिष्ठ ।

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ कलशाधारशक्तये नमः ।

श्रीखण्ड चानन - इदमनुलेपनं कलशाधारशक्तये नमः। 
रक्तचानन - इदं रक्तचन्दनम् कलशाधारशक्तये नमः।
रोली - इदं कुङ्कुमं कलशाधारशक्तये नमः। 
सिन्दूर - इदं सिन्दूरं कलशाधारशक्तये नमः। 
अक्षत- इदमक्षतं कलशाधारशक्तये नमः। 
फूल - एतानि पुष्पाणि कलशाधारशक्तये नमः।
नैवेद्य - एतानि नानाविधनैवेद्यानि कलशाधारशक्तये नमः । 
आचमन - इदमाचमनीयं कलशाधारशक्तये नमः । पुष्पाञ्जलि - एष पुष्पाञ्जलिः कलशाधारशक्तये नमः । 
भूमिक स्पर्श कए, ॐ भूरसि भूमिरसि अदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्री । पृथिवीं यच्छ पृथिवीं ह पृथ्वीं मा हिंसीः । 

गायक गोबरसँ निपबाक मन्त्र- ॐ मानस्तोके तनये मान आयुषि मानो गोषु मानोऽअश्वेषुरीरिषः । मानोव्वीरान् रुद्रभामिनोव्वधीर्हविष्मन्तः सदभित्त्वा हवामहे ।

गंगाजल छिटबाक मन्त्र - वेद्या वेदिः समाप्यते बर्हिषा बर्हि इन्द्रियम् । यूपेन यूपआप्यते प्रणीतोऽअग्निरग्निना ।।

एकर बाद एहि पर पिठारसँ अष्टदल कमल बनाबी। कमलक बीच में धान अथवा जौ राखी, तकर मन्त्र- धान्यमसि घिनुहि देवान् प्राणय त्वोदानाय त्वा व्यानाय त्वा । दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणि: प्रतिगृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि ।

खाली कलश रखबाक मन्त्र - ॐ आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्वन्दवः

पुनुरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्त्रं धुवोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशाद्रयिः । कलश पर दही आ अक्षतक लेप करी । तकर मन्त्र- ॐ दधिक्राव्णोऽअकारिषं जिष्णोरश्वस्य वाजिनः । सुरभि नो मुखाकरत्प्रण आयूंषि तारिषत् ।

लोटासँ कलश में जल भरबाक मन्त्र- ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्कम्भ सर्ज्जनीस्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद ।

पंचरत्न - ॐ सरलानि दाशुषे अरातिसहिता भगो भाग्यन्य तत्र मीमहे ।

सप्तमृत्तिका - ॐ उद्धृतासि वराहेण कृष्णेन शतबाहुना । नमस्ते सर्वदेवानां प्रभुवारिणि सुव्रते । 

सर्वौषधी- ॐ या ओषधीः पूर्व्वा जाता देवेभ्यस्त्रियुगं पुरा । मनैनु बभ्रूणामहं शतं धामानि सप्त च ।

श्रीखण्ड चानन- ॐ गन्धद्वारां दुराधर्षा नित्यपुष्टां करीषिणीम ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपहये श्रियम् ।

सुपारी- ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः । बृहस्पति प्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्वं हसः ॥

पंचपल्लव अथवा केवल आमक पल्लव- ॐ अम्बे अम्बिके अम्बालिके न मानयति कश्चनः । ससस्त्यश्वकः सुभद्रिकाम् काम्पीलवासिनीम् । दूबि - ॐ काण्डात् काण्डात् प्ररोहन्ती परुषः परुषस्परि । एवानो दूर्वे प्रतनु सहस्रेण शतेन च ।

गंगाजल - ॐ इमम्मे वरुण श्रुधीहवमदद्या च मृडय त्वामवस्युराचके । गंगाद्याः सरितः सर्वाः समुद्राश्च सरांसि च । 
सर्वे समुद्राः सरितः सरांसि दलदायकाः ।
आयान्तु यजमानस्य दुरितक्षयकारकाः 

ॐ आपो हि ष्ठा मयोभुवः, ता नऽऊर्जे दधातन । महे रणाय चक्षसे । ॐ यो वः शिवतमो रसः, तस्य भाजयतेह नः । उशतीरिव मातरः । ॐ तस्माऽअरंगमामवो, यस्य क्षयाय जिन्वथ । आपो जन यथा च नः । 

पानक पात - ॐ प्राणाय स्वाहा । ॐ अपानाय स्वाहा । ॐ व्यानाय स्वाहा । 
पाइ - ॐ हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेकासीत । स दाधार पृथ्वीं ध्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम । 
नारिकेर - ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः । बृहस्पति प्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्वं हसः ।

वस्त्र - ॐ युवा सुवासाः परिवीत आगात् स उ श्रेयान् भवति जायमानः । तं धीरासः कवय उन्नयन्ति स्वाध्यो मनसा देवयन्तः । 
कलशक कात अरवा चाउर भरल ढकना राखी- ॐ धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणयत्वोदानाय त्वा व्यानाय त्वा । दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वरू सविता हिरण्यपाणिरू प्रतिगृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि ।

ओहि धान पर दीप राखी- ॐ अग्निर्ज्योतिः ज्योतिरग्निः स्वाहा। सूर्यो ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा। अग्निर्वर्चो ज्योतिर्वर्चः स्वाहा। सूर्यो वर्चो ज्योतिः वर्चः स्वाहा । ज्योतिः सूर्यः सूर्यो ज्योतिः स्वाहा । 

दही आ अक्षत लए कलशक स्पर्श करैत- ॐ मनोजूतिर्जुषता माज्यस्य बृहस्पति र्यज्ञमिमं तन्नोत्वरिष्टं यज्ञं समिमं दधातु । विश्वे देवास इह मादयन्तामों

प्रतिष्ठ। कलशस्थितगणेशादिदेवता इह सुप्रतिष्ठिता भवन्तु । ॐ कलशस्थितगणेशादिदेवताभ्यो नमः एहि मन्त्रसँ कलश पर पूजा करी ।
।। इति कलशस्थापन विधि ।।

कलश स्थापित कए विघ्नापसारण करी । पयरक एंडी पर तीन बेरि थपकी दए, तीन बेरि ताली बजाए, आँखि कड़ा कए चारूकात देखि, ॐ फट् एहि मन्त्रसँ तीन बेरि ताली बजा कए दसो दिशा मे चुटकी बजाबी । चानन आ फूलसँ हाथ के शोधित कए नाराच मुद्रासँ ओकरा ईशानकोण में फेंकि आसन पर बैसी -
ॐ पृथ्वीति मन्त्रस्य मेरुपृष्ठ ऋषिः, सुतलं छन्दः, कूर्मो देवता आसनोपवेशने विनियोगः ॥

ॐ पृथ्वि त्वया धृता लोका: देवि त्वं विष्णुना धृता । त्वं च धारय मां नित्यं पवित्रं कुरु चासनम् । ॐ आधारशक्तिकमलासनाय नमः ।

एहि तरहें आसनक पूजा कए - 
ॐ अस्त्राय फट् ई मन्त्र पढ़ेत पूर्व अथवा उत्तरमुख बैसि
वाम भागमे ॐ गुरुभ्यो नमः। 
दहिन भागमे ॐ गणेशाय नमः । 
सोझाँमे - ॐ सरस्वत्यै नमः । एहि मन्त्रसँ एक एक फूल राखी । तकर बाद ऋष्यादिन्यास करी - 
बिचला तीन आँगुरसँ माथक स्पर्श करी- ॐ ब्रह्मणे ऋषये नमः । 
बिचला तीन आँगुरसँ मुखक स्पर्श करी ॐ गायत्रीच्छन्दसे नमः । 
बिचला तीन आँगुरसँ हृदयक स्पर्श करी- ॐ ऐं सरस्वतीदेवतायै नमः । तकर बाद ऐं एहि बीजमन्त्रसँ तीन बेरि प्राणायाम कए कराङ्गन्यास करी । यथा -
आं हृदयाय नमः || बिचला तीन आँगुरसँ हृदयक स्पर्श करी ई शिरसे स्वाहा । बिचला तीन आँगुरसँ माथक स्पर्श करी ॐ शिखायै वषट् । बिचला तीन आँगुरसँ टीकक स्पर्श करी ऐं कवचाय हुम्। दूनू हाथक बिचला तीन आँगुरसँ उलटा कए दूनू कान्हक स्पर्श करी । (दहिना हाथसँ वामा कान्ह आ वामा हाथसँ दहिना कान्ह । )

ॐ नेत्रत्रयाय वौषट् । अनामिका सँ वामा आँखि, मध्यमासँ भोंह आ तर्जनीसँ दहिना आँखिक स्पर्श करी ।

घुमाए वामा तरहत्थी पर अः अस्त्राय फट् ।। दहिना हाथ के पाँछा दिस सँ बिचला तीन आँगुरसँ थपडी बजाबी ।

एहि प्रकारें करन्यास कए यथाशक्ति प्राणायाम कए सामान्यार्घ स्थापित करी। अपन वामा कात में रक्त चाननसँ त्रिकोण लीखि, फूल, अक्षत चाननसँ पूजा करी।

ॐ आधारशक्तये नमः । ॐ अनन्ताय नमः । ॐ कूर्माय नमः, ॐ पृथिव्यै नमः । एहि प्रकारें पूजा कए, ओतए शंखक बैसना राखि, फट् एहि मन्त्रसँ शंख कें ओहि बैसना पर स्थापित कए शंखक तीन भाग जलसँ भरि,

अंकुश मुद्रासँ - 
ॐ गङ्गे च यमुने चौव गोदावरी सरस्वती ।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेस्मिन् संनिधिं कुरु ।

तीर्थक आवाहन कए

सां एहि मन्त्रसँ ओहि में चानन, पूल, अक्षत दए, धेनुमुद्रा देखा कए आठ बेरि सां जपि, ओहि जलसँ अपना कें आ आनो सामग्री कें सिक्त कए दी।

तखनि पंचोपचारसँ निम्नलिखित देवताक पूजा करी 
सूर्य - भगवन् सूर्य इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवते श्री सूर्याय नमः। इदमनुलेपनं भगवते श्री सूर्याय नमः। इदं रक्तचन्दनम् भगवते श्री सूर्याय नमः। इदं कुङ्कुमं भगवते श्री सूर्याय नमः। इदमक्षतं भगवते श्री सूर्याय नमः। एतानि पुष्पाणि भगवते श्री सूर्याय नमः। एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवते श्री सूर्याय नमः। इदमाचमनीयं भगवते श्री सूर्याय नमः। एष पुष्पाञ्जलिः भगवते श्री सूर्याय नमः ।

विष्णु - भगवन् विष्णो इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवते श्री विष्णवे नमः । इदमनुलेपनं भगवते श्री विष्णवे नमः । एते यवतिलाः भघवते श्रीविष्णवे नमः । एतानि पुष्पाणि भगवते श्री विष्णवे नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवते श्री विष्णवे नमः । इदमाचमनीयं भगवते श्री विष्णवे नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवते श्री विष्णवे नमः ।

शिव - भगवन् शिव इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवते शिवाय नमः । इदमनुलेपनं भगवते शिवाय नमः । इदं रक्तचन्दनम् भगवते शिवाय नमः । इदं कुङ्कुमं भगवते शिवाय नमः । इदमक्षतं भगवते शिवाय नमः । एतानि पुष्पाणि भगवते शिवाय नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवते श्री शिवाय। इदमाचमनीयं भगवते शिवाय नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवते शिवाय नमः ।

दुर्गा - भगवति दुर्गे देवि इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । इदमनुलेपनं भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । इदं रक्तचन्दनम् भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । इदं कुङ्कुमं भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः। एदं सिन्दूरं भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । इदमक्षतं भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । एतानि पुष्पाणि भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । इदमाचमनीयं भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः।

अग्नि - भगवन् अग्निदेव इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवते अग्निदेवाय नमः । इदमनुलेपनं भगवते अग्निदेवाय नमः । इदं रक्तचन्दनम् भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । इदं कुङ्कुमं भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । इदमक्षतं भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । एतानि पुष्पाणि भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । इदमाचमनीयं भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः ।

केशव - भगवन् श्रीकेशव इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवते श्रीकेशवाय नमः । इदमनुलेपनं भगवते श्रीकेशवाय नमः। एते यव-तिलाः भगवते श्रीकेशवाय नमः । एतानि पुष्पाणि भगवते श्रीकेशवाय नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवते श्रीकेशवाय नमः । इदमाचमनीयं भगवते श्री केशवाय नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवते श्रीकेशवाय नमः ।

कौशिकी - भगवति कौशिकि देवि इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवत्यै कौशिक्यै नमः । इदमनुलेपनं भगवत्यै कौशिक्यै नमः । इदं रक्तचन्दनम् भगवत्यै कौशिक्यै नमः । इदं कुङ्कुमं भगवत्यै कौशिक्यै नमः । इदं सिन्दूरं भगवत्यै कौशिक्यै नमः । इदमक्षतं भगवत्यै कौशिक्यै नमः । एतानि पुष्पाणि भगवत्यै कौशिक्यै नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवत्यै कौशिक्यै नमः। इदमाचमनीयं भगवत्यै कौशिक्यै नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवत्यै कौशिक्यै नमः ।

आदित्यादिनवग्रह - आदित्यादिनवग्रहाः इहागच्छत इह तिष्ठत। एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । इदमनुलेपनं आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । इदं रक्तचन्दनम् आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । इदं कुङ्कुमं आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । इदमक्षतं आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । एतानि पुष्पाणि आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । इदमाचमनीयं आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । एष पुष्पाजलि: आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः ।

इन्द्रादिशदिक्पाल - इन्द्रादिदशदिक्पालाः इहागच्छत इह तिष्ठत । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । इदमनुलेपनं ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । इदं रक्तचन्दनम् ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । इदं कुङ्कुमं ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । इदमक्षतं ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । एतानि पुष्पाणि ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । इदमाचमनीयं ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । एष पुष्पाञ्जलिः ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

तखनि लक्ष्मीक ध्यान करी-
ॐ पाशाक्षमालिकाम्भोज शृणिभिर्याम्यसौम्ययोः  ।प्रसनास्थां ध्यायेच्च श्रियं त्रैलोक्यमातरम् । गौरवर्णा सुरूपाञ्च सर्वालङ्कारभूषिताम् । रौक्मपद्मव्यग्रकरां वरदां दक्षिणेन तु । 
ध्यान कए पाद्य आदि उपलब्ध वस्तुसँ ॐ लक्ष्मीदेव्यै नमः एहिसँ पूजा कए,

ॐ लक्ष्मीदेव्यै नमः ई दस बेरि जप करी ।
ॐ नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरिप्रिये ।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्त्वदर्चनात् । 
एहिसँ पुष्पाञ्जलि दए स्तोत्र आदि पाठ कए लक्ष्मीकें प्रणाम करी ।


-: सरस्वतीक पूजा :-

ध्यान - ॐ तरुणशकलमिन्दोर्बिभ्रती शुभकान्तिः ।
कुचभर - नमिताङ्गी सन्निषण्णा सिताब्जे ।
निजकर - कमलोद्यल्लेखनीपुस्तकश्रीः । सकलविभवसिद्धयै पातु वाग्देवता नः ।। 
ध्यान कए अपन माथ पर एकटा फूल राखि मनहिं मन सरस्वतीक पूजा करी । तकर बाद, ॐ ऐं भगवति सरस्वति स्वकीयगणसहिते इहागच्छ इहागच्छ, इह तिष्ठ, इह सन्निधेहि इह सन्निरुद्धा भव, अत्राधिष्ठानं कुरु, मम पूजां गृहाण स्थां स्थों स्थिरा भव ॥

एहिसँ आवाहन कए - 
जल - इदं पाद्यम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

अर्घ्य - एषोर्घ्यः ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । ( अरघा में जल, चानन, अक्षत, दूबि, दूध, दही, कुशक अगिला भाग, पीरा सरिसब, तिल दए ) 
जल - इदमाचमनीयम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

जल - इदं स्नानीयम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः

जल - इदं पुनराचमनीयम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । वस्त्र - इदं शुक्लवस्त्रं वृहस्पतिदैवतम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

श्रीखण्ड चानन - इदमनुलेपनम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

सिन्दूर - इदं सिन्दूरम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

अबीर- इदम् अबीरकं ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । अक्षत इदमक्षतम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।
फूल - एतानि पुष्पाणि ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । 
आमक मज्जर - इदम् आम्रमञ्जरीकं ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।
माला - इदं माल्यम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । 
आभूषण - इदं भूषणम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।
सौन्दर्य-प्रसाधन - एतानि नानाविधसौन्दर्यप्रसाधनानि ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।
धूप - एष धूपः ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

दीप - एष दीपः ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । 
नैवेद्य - एतानि नानाविधनैवेद्यानि ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । फल - एतानि नानाविधफलानि ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । पकमान- एतानि नानाविधपक्वान्नानि ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । 
जल - इदमाचमनीयम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।
फूल - ॐ पुष्पं मनोहरं दिव्य सुगन्धं देवनिर्मितम् । हृद्यमभुतमायं देवि! तत् प्रतिगृह्यताम् ॥ एष पुष्पाञ्जलिः ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः एहि प्रकारें षोडशोपचारसँ सरस्वतीक पूजा करी ।
तकर बाद पुस्तक पर ॐ पुस्तकाय नमः एहि मंत्रसँ पञ्चोपचारसँ पूजा करी ।

मोसिदानी पर ॐ मस्याधाराय नमः । एहि मंत्रसँ पञ्चोपचारसँ पूजा करी ।

कलम पर ॐ लेखन्यै नमः । एहि मंत्रसँ पञ्चोपचारसँ पूजा करी । 
चक्कू पर ॐ सर्वशस्त्रेभ्यो नमः । एहि मन्त्रसँ पञ्चोपचारसँ पूजा करी । 
ॐ अस्त्रेभ्यो नमः । एहि मंत्रसँ पञ्चोपचारसँ पूजा करी । आरती कए पुष्पाञ्जलि दी

ॐ यथा न देवो भगवान् ब्रह्मा लोकपितामहः । त्वां परित्यज्यं सन्तिष्ठेत्तथा भव वरप्रदा ।। वेदा: पुराणशास्त्राणि नृत्यगीतादिकं च यत् । न विहीनं त्वया देवि तथा मे सन्तु सिद्धयः ।। विशदकुसुमतुष्टा पुण्डरीकोपविष्टा धवलवसनवेशा मालतीबद्धकेशा । शशधरकरवर्णा सुभ्रताटङ्ककर्णा जयति जितसमस्ता, भारती वेणुहस्ता । 
पुष्पाञ्जलिक बाद प्रणाम करी 
ॐ सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमोनमः । वेदवेदान्तवेदाङ्गविद्यास्थानेभ्य एव च ( स्वाहा ) । । 
एहिसँ प्रणाम कए प्रार्थना करी । 
ॐ लक्ष्मीर्मेधा धरापुष्टिगौरी तुष्टिः प्रभा धृतिः । एताभिः पाहि तनुभिरष्टाभिर्मा सरस्वति ।। रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भवगति ! देहि मे । धर्मान् देहि धनं देहि सर्वाविद्याः प्रदेहि मे ॥ सा मे वसतु जिह्वायां वीणां पुस्तकधारिणी । मुरारिवल्लभा देवि ! सर्वशुक्ला सरस्वती ।। भद्रकाल्यै नमो नित्यं सरस्वत्यै नमो नमः । वेदवेदान्त- वेदाङ्ग विद्यां देहि नमोस्तु ते ।। 
एहिसँ प्रार्थना कए प्रणाम करी ।

नाच-गान करैत दिन-राति बिताए, भोरे विसर्जन करी । तखनि कुश, तिल आ जल लए -
ॐ कृतैतत्साङ्गसपरिवार सरस्वती पूजनकर्म-प्रतिष्ठार्थमेतावद्दव्यमूल्यक - हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे । ब्राह्मणकें दय दी।

।। इति सरस्वतीपूजाविधिः॥

शनिवार, 13 जनवरी 2024

मिथिलाक संस्कृति सं जुड़ल पावनि अछि तिला-संक्रांति

मिथिला धरोहर, प्रभाकर मिश्र : मिथिलाक महान संस्कृति सँ जुडल एक टा महान पर्व अछि "तिला-संक्रांति"। एहि बेर तिला-संक्रांति (मकर संक्रांति) के पर्व 15 जनवरी (2024) के मनायल जायत। ज्योतिषाचार्य डॉ सदानंद झा के अनुसार पौष शुक्ल षष्ठी पर उत्तर भाद्र पद नक्षत्र, परिधि योग, कौलवकरण मे मिथिला पंचांगक अनुसार १४ जनवरी रविदिन के सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करताह। १४ जनवरी २०१८ के सूर्य के धनु राशि सँ मकर राशि मे कक्षा के परिवर्तन भ रहल अछि, ताहिलेल तिला-संक्रांति के पर्व एहि दिन मनायल जायत। एहि दिन सूर्य अपन कक्षा मे परिवर्तन क दक्षिणानयन सँ उत्तरायण भ के मकर राशि मे प्रवेश करैत छथि। एहि दिन खरमास समाप्त भ जायत आ पुन: शादी-बियाहक लग्न शुरू भ जायत एहिके अलावा उपनयन, देवादि प्रतिष्ठा, मुंरन एहन शुभ कार्य खरमास समाप्ति के उपरांत प्रारंभ भ जायत।

इहो पढ़ब:-

अहि पावनि में खान पान मौसम के अनुरूप अनिवार्य राखल गेल अछि। स्वास्थ्य सँ जुड़लअहि पावनि मे गुड आ तिल के प्रधानता रहैत अछि, संगे तिलबा, चूरा-मुड़ही दही, लाई - चुरलाई आदि आ खिचड़ी के सेहो स्थान देल गेल अछि। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद भगवती के चढायल अरबा चाउर,(पानी मे फूलल) तिल गुड सँ ज्येष्ठ जन (बेटा-पुतोह, नैत-नातिन) के तिल बहअ (कर्तव्य निर्वहन) के वचन लेबाक परंपरा अछि सेहो अछि। नवविवाहित के लेल "जराउर" के नाम सँ सेहो प्रचलित अछि। 

इहो पढ़ब:-

शास्त्रक अनुसार, सूर्य के दक्षिणायण रहबाक पूरा दौर देवता लेल निशा-काल होइत अछि, जेखन की उत्तरायण के अवधि दिनक समय। ताहिलेल मकर संक्रांति के नकारात्मकता के दूर क सकारात्मकता मे प्रवेश करवाक अवसर सेहो मानल जाइत अछि। एहि अवसर पर गंगा-कमला और तीर्थराज प्रयागक संगम सँ ल'के गंगा-सागर के महासंगम धरी मे स्नान-दान आदि करवाक प्रावधान अछि। पौराणिक संदर्भ इहो अछि जे भगीरथक तप के उपरांत पृथ्वी पर उतरलि गंगा ऋषि-शाप सँ भस्म भेल महाराज सगर के साइठ हजार पुत्र के तारवा के पश्चात कपिल मुनि के आश्रम सँ होइत एहि तिथि के सागर मे प्रवेश केने छलथि।

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मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

पुरहित चतुर सतानंद लिरिक्स - Purhit Chatur Satanand Lyrics

राम सीता मैथिली विवाह गीत

पुरहित चतुर सतानंद मंत्र पढ़ाबथी हे
आहे पुरहित चतुर सतानंद मंत्र पढ़ाबथी हे
आहे मात्रिक पूजथी रानी परम सुख पावथी हे
आहे मात्रिक पूजथी रानी परम सुख पावथी हे

सुरभि के गोबर मंगाबथी थावन करवाथी हे
आहे सुरभि के गोबर मंगाबथी थावोन करवाथी हे
आहे पूजी प्रथम गणराज ही कलश धारावथी हे
आहे पूजी प्रथम गणराज ही कलश धारावथी हे

पंच देवी पूजी रानी सुरक्षिका मनावथी हे
आहे पंच देवी पूजी रानी सुरक्षिका मनावथी हे
आहे पूजथी निज कुल देवी बहुत गोहरावथी हे
आहे पूजथी निज कुल देवी बहुत गोहरावथी हे

तियागन मंगल गावथी प्रेम जगावथी हे
आहे तियागन मंगल गावथी प्रेम जगावथी हे
आहे स्नेहलता एहो पूजन गाबि सुनाबथी हे
आहे स्नेहलता एहो पूजन गाबि सुनाबथी हे

पुरहित चतुर सतानंद मंत्र पढ़ाबथी हे
आहे पुरहित चतुर सतानंद मंत्र पढ़ाबथी हे
आहे मात्रिक पूजथी रानी परम सुख पावथी हे

शनिवार, 23 दिसंबर 2023

मिथिला पंचांग मुंडन दिन 2024 - Mundan Muhurat 2024 Mithila Panchang

2024 में मुंडन के शुभ तिथि, Mithila Panchang Mundan Dates 2024

मुंडन शुभ मुहूर्त जनवरी 2024 : 19, 31
 
मुंडन शुभ मुहूर्त फरवरी 2024 : 19, 21, 22, 26, 27

मुंडन शुभ मुहूर्त मार्च 2024 : 11 

मुंडन शुभ मुहूर्त अप्रैल 2024 : 15

मुंडन शुभ मुहूर्त मई 2024 : 9, 10, 20, 27

मुंडन शुभ मुहूर्त जून 2024 : 7, 10, 17

मुंडन शुभ मुहूर्त जुलाई 2024 : 8, 12 

बुधवार, 20 दिसंबर 2023

राम जी से पूछे जनकपुर के नारी लिरिक्स Ram Ji Se Puche Janakpur Ki Nari Lyrics

Ram Ji Se Poochhe Janakapur Ke Naari Lyrics

राम जी से पूछे जनकपुर के नारी,
बता दऽ बबुआ लोगवा देत काहे गारी,
बता दऽ बबुआ।

तोहरा से पुछु मैं ओ धनुषधारी,
एक भाई गोर काहे एक काहे कारी,
बता दऽ बबुआ लोगवा देत काहे गारी,
बता दऽ बबुआ।

इ बूढ़ा बाबा के पाकल पाकल दाढ़ी,
देखन में पातर खाये भर थारी,
बता दऽ बबुआ लोगवा देत काहे गारी,
बता दऽ बबुआ।

राजा दशरथ जी कइलन होशियारी,
एकटा मरद पर तीन-तीन गो नारी,
बता दऽ बबुआ लोगवा देत काहे गारी,
बता दऽ बबुआ।

कहथिन सिनेह लता मन में बिचारिन,
हम सब लागैछी सरहोज सारी,
बता दऽ बबुआ लोगवा देत काहे गारी,
बता दऽ बबुआ।

राम जी से पूछे जनकपुर की नारी,
बता दऽ बबुआ लोगवा देत काहे गारी,
बता दऽ बबुआ।

शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2023

मैथिली भगवती लोकगीत लिरिक्स - Maithili Bhagwati Geet Lyrics

मैथिली देवी गीत लिरिक्स - दुर्गा माँ के मैथिली गीत Maithili Devi Geet Lyrics - Maithili Kali Geet Lyrics


सभकेर सुधि अहाँ लै छी लिरिक्स

सभहक सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे, 
हमरा किए बिसरै छी हे 
सभहक सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे, 
हमरा किए बिसरै छी हे 
हमरा किए बिसरै छी हे अम्बे, 
हमरा किए बिसरै छी हे
सभहक सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे, 
हमरा किए बिसरै छी हे 

थिकहुँ पुत्र अहींकेर जननी
से तऽ अहाँ जनै छी हे 
थिकहुँ पुत्र अहींकेर जननी
से तऽ अहाँ जनै छी हे 
एहन निष्ठुर किए अहाँ भेलहुँ
कनिको दृष्टि नहि दै छी हे
सभहक सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे, 
हमरा किए बिसरै छी हे 

क्षण-क्षण पल-पल ध्यान करै छी
नाम अहींकेर जपै छी हे
क्षण-क्षण पल-पल ध्यान करै छी
नाम अहींकेर जपै छी हे
रैनि-दिवस हम ठाढ़ रहै छी
दर्शन बिनु तरसै छी हे
सभहक सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे, 
हमरा किए बिसरै छी हे 

छी जगदम्बा, जग अवलम्बा
तारिणि तरणि बनै छी हे
छी जगदम्बा, जग अवलम्बा
तारिणि तरणि बनै छी हे
हमरा बेरि किए ने तकै छी
पापी जानि ठेलै छी हे
सभहक सुधि अहाँ लै छी हे अम्बे, 
हमरा किए बिसरै छी हे 



◆ 
इन्द्र गहि-गहि, चक्र गहि-गहि लिरिक्स

इन्द्र गहि-गहि, चक्र गहि-गहि, खर्ग लिअ माता भगवती
अड़हुल फूल भकनार भयो, देखि पुनि आनन्द भयो
सोनाके आसन रत्न सिंहासन, आबि बैसाउ माता भगवती
सोनाके झारी गंगाजल पानी, चरण पखारब माता भगवती
सोनाके थारी छत्तीसो व्यंजन, भाग लगाउ माता भगवती
सोनाके सराइ कपूरक बाती, आरती देखाउ माता भगवती
अड़हुल फूल भकनार भयो...



खोलू ने केबार हे जननी लिरिक्स

खोलू ने केबार...
खोलू ने केबार हे जननी, खोलू ने केबार

माँ के द्वार पर फूल नेने ठाढ़ छी
माँ के द्वार पर फूल नेने ठाढ़ छी
पूजन करब तोहार हे जननी, पूजन करब तोहार
खोलू ने केबार हे जननी, खोलू ने केबार

माँ के द्वार पर धूप नेने ठाढ़ छी
माँ के द्वार पर धूप नेने ठाढ़ छी
आरती उतारब तोहार हे जननी, खोलू ने केबार
खोलू ने केबार हे जननी, खोलू ने केबार

माँ के द्वार पर माखन नेने ठाढ़ छी
माँ के द्वार पर माखन नेने ठाढ़ छी
भोग लगाएब तोहार हे जननी, खोलू ने केबार
खोलू ने केबार हे जननी, खोलू ने केबार



कतेक दुख सुनायब हे जननी लिरिक्स

कतेक दुख सुनायब हे जननी
कतेक दुख सुनायब

तंत्र-मंत्र एको नहि जानल
की कहि अहाँ के सुनायब हे जननी
की कहि अहाँ के सुनायब

मूर्ख एक पुत्र अहाँ के भुतिआयल
रखबनि संग लगाय हे जननी
कतेक दुख सुनायब

सूरदास अधम जग मूरख
तारा नाम तोहार हे जननी
दुर्गा नाम तोहार
कतेक दुख सुनायब



माँ के द्वार पर अड़हुल फुल गछिया

माँ के द्वार पर अड़हुल फुल गछिया
माँ हे फड़-फूल लुबधल डारि
दछिन पछिम सँओ सूगा एक आयल
माँ हे बैसि गेल अड़हुल फूल गाछ
फड़ो ने खाय सुगा फूलो ने खाय
माँ हे पाते पाते खेलय पतझार
कहाँ गेल किए भेल डीहबार ठाकुर
माँ हे अपन सूगा लीअ ने समुझाय
भनहि विद्यापति सुनू जगदम्बा हे
माँ हे सेवक पर रहबइ सहाय



जगदम्बा हे लीअ ने खबरिया हमार लिरिक्स

जगदम्बा हे लीअ ने खबरिया हमार
जगदम्बा हे लीअ ने खबरिया हमार

जखन जगदम्बा मईया घरसं बहार भेली
जखन जगदम्बा मईया घरसं बहार भेली
जगदम्बा हे कोढ़िया काया लय ठाढ़
जगदम्बा हे लीअ ने खबरिया हमार

जखन जगदम्बा मईया आंगन सं बहार भेली
जखन जगदम्बा मईया आंगन सं बहार भेली
जगदम्बा हे अन्हरा नयना लय ठाढ़
जगदम्बा हे लीअ ने खबरिया हमार

जखन जगदम्बा मईया दरबज्जा सं बहार भेली
जखन जगदम्बा मईया दरबज्जा सं बहार भेली
जगदम्बा हे बाँझिन पुत्र लय ठाढ़
जगदम्बा हे लिअ ने खबरिया हमार

जखन जगदम्बा मईया गाम सं बहार भेली
जखन जगदम्बा मईया गाम सं बहार भेली
जगदम्बा हे निर्धन धन लय ठाढ़
जगदम्बा हे लीअ ने खबरिया हमार



◆ अम्बे अम्बे जय जगदम्बे लिरिक्स

अम्बे अम्बे जय जगदम्बे
जय-जयकार करै छी हे
जय-जयकार करै छी हे अम्बे
जय-जयकार करै छी हे
अम्बे अम्बे जय जगदम्बे
जय-जयकार करै छी है

तीन भुवन के मातु अहाँ छी
तीन नयनसँ तकै छी हे
तीन भुवन के मातु अहाँ छी
तीन नयनसँ तकै छी हे
सिंह पर एक कमल राजित
ताहि ऊपर बइसल छी हे
अम्बे अम्बे जय जगदम्बे
जय-जयकार करै छी है

भूत प्रेत सभ झालि बजाबय
योगिन के नचबइ छी हे
भूत प्रेत सभ झालि बजाबय
योगिन के नचबइ छी हे
राक्षस के संहार करै छी
दुनियाँ के जुड़बै छी हे
अम्बे अम्बे जय जगदम्बे
जय-जयकार करै छी है



भजै छी तारिणी सब दिन लिरिक्स

भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने

जयन्ति मंगला काली सदा-शिव नाम थीक अपने
शरण एक छि अहिंक अम्बे होयत की आन लग कहने
भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने

कृपा सं हेरू हे जननी विकल छी पाप के तपने
शरण एक छी अहिंके हम कियै छी दृष्टि के झपने
भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने

कहब हम जाय ककरा सँ अपन दुख दीनता अपने
कयह जगदीश सब दिन सँ भगत प्रतिपालिका अपने
भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने



महिमा अगम अपार, अम्बे माँ हे

महिमा अगम अपार, अम्बे माँ हे
महिमा अगम अपार
महिमा अगम अपार, अम्बे माँ हे
महिमा अगम अपार

कथी के आसन माँ हे, कथी के सिंहासन
कथी के आसन माँ हे, कथी के सिंहासन
कओने नाम धराय, जगदम्बे माँ हे
कओने नाम धराय

सोना के आसन, रतन सिंहासन
सोना के आसन, रतन सिंहासन
काली नाम धराय, देवी माँ हे
काली नाम धराय

तोहेँ देवी काली माँ हे, तोहेँ श्रीसुन्दरि
ज्योति जरय दिन-राति, आनन्दी माँ हे
ज्योति जरय दिन-राति

जे इहो गाओल माँ हे, पूर्ण फल पाओल
दिन-दिन पाबय वरदान, आनन्दी माँ हे
महिमा अगम अपार, अम्बे माँ हे
महिमा अगम अपार



• मैथिली काली गीत लिरिक्स 

कमल कर गहि कमलवर्णी लिरिक्स

कमल कर गहि कमलवर्णी,
कमल कोर बिच शोभिता
सिंह उपर एक कमल राजित,
ताहि ऊपर भगवती
दाँत खटखट, जीह लह,
सोने दाँत मढ़ाबिती
असुर धय धय, खप्परि भरि भरि,
शोणित पिबति माँ कालिका
हेमन्त पति के इहो निवारण,
नाम थिक देवी कुमारिका



दुखियाक दिन बड़ भारी लिरिक्स

दुखियाक दिन बड़ भारी हे काली मइया
कोखियामे पुत्र नहि, सींथो सिनुर नहि
कोना कऽ दिवस गमायब हे काली मइया

सेर न पसेरी काली, द्वार ने दरबज्जा काली
कथी लए दिवस गमेबइ हे काली मइया

सूरदास प्रभु तोहरे दरस के, सदा रहब रछपाल
हे काली मइया, दुखियाक दिन बड़ भारी



कालिका, एलौं तोरे द्वार लिरिक्स

कालिका, एलौं तोरे द्वार, पूजन बेरिया 
कालिका, एलौं तोरे द्वार, पूजन बेरिया 

के चढ़ाबे अक्षत-चानन, केयो फूल-कलिया 
सेवक चढ़ाबे अक्षत-चानन, भगत चढ़ाबे फूल कलिया
कालिका, एलौं तोरे द्वार, पूजन बेरिया

के चढ़ाबे उजरा छागर, के छागर करिया 
सेवक चढ़ाबे उजरा छागर, भगत चढ़ाबे छागर करिया
कालिका, एलौं तोरे द्वार, पूजन बेरिया

के चढ़ाबे गेरू, के चढ़ाबे अंचरिया
सेवक चढ़ाबे गेरू, भगता चढ़ाबे अंचरिया
कालिका, एलौं तोरे द्वार, पूजन बेरिया

कल जोरि मिन्ती करै छी हे माता
सदा रहब रछपाले हे कालिका
कालिका, एलौं तोरे द्वार, पूजन बेरिया


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तारा नाम तोहार लिरिक्स

तारा नाम तोहार
तारा नाम तोहार जननी, काली करथि पुकार

सतयुग कलयुग दुइ प्रति हारल
तीनू भुवन तोहार जननी, तारा नाम तोहार

अष्टभुजा लए सिंह पर चढ़ली
देखइत सकल संसार जननी, तारा नाम तोहार

सुर-नर-मुनि सभ ध्यान धरतु हैं
गले बैजन्ती माल जननी, तारा नाम तोहार
तारा नाम तोहार जननी, काली करथि पुकार



स्वर्गसँ अयली माता काली लिरिक्स

स्वर्गसँ अयली माता काली, आनन्द लागय
सिंह सवार मइया डामरु बजाबय
रिमझिम बाजए नूपुर, आनन्द लागय

कोने फूल ओढ़न माँ के, कोने फूल पहिरन
कोने फूल कालीक शृंगार, आनन्द लागय

बेली फूल ओढ़न माँ के, चमेली फूल पहिरन
ओड़हुल फूल माँ के शृंगार, आनन्द लागय
स्वर्गसँ अयली माता काली, आनन्द लागय



हे महरानी सिया लिरिक्स

हे महरानी सिया, काली के महिमा अगम अपार
गंगा यमुनासँ माटि मंगायब, हे महरानी सिया
ऊँच कए पीड़िया बनायब, हे महरानी सिया
कौने फूल ओढ़न सिया, कौने फूल पहिरन
कौने फूल माता के शृंगार, हे महरानी सिया
बेली फूल ओढ़न माँ के, चमेली फूल पहिरन
अड़हुल फूल माँ के शृंगार, हे महरानी सिया
पहिरि ओढ़िए काली ठाढ़ि भेली गहबर
सूर्यक ज्योति मलीन, हे महरानी सिया
महिमा अगम अपार, हे महरानी सिया
भनइ विद्यापति सुनू माता कालिका
सेवक पर होइअउ ने सहाय, हे महरानी सिया





◆ नया शहर दरभंगा हो राजा लिरिक्स

नया शहर दरभंगा हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली
नया शहर दरभंगा हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली

केओ चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी
सेवक चढ़ाबे माँ के अक्षत चानन, माँ हे माली चढ़ाबे फुलहारी
नया शहर दरभंगा हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली

केओ चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे केओ चढ़ाबे फुलहारी
सेवक चढ़ाबे माँ के करिया छागर, माँ हे मालिन चढ़ाबे फुलहारी
नया शहर दरभंगा हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली



स्वर्गसँ अयली माता काली लिरिक्स

स्वर्गसँ अयली माता काली, आनन्द लागय
स्वर्गसँ अयली माता काली, आनन्द लागय

सिंह सवार मईया डामरु बजाबय
सिंह सवार मईया डामरु बजाबय
रिमझिम बाजए नूपुर, आनन्द लागय
स्वर्गसँ अयली माता काली, आनन्द लागय

कोने फूल ओढ़न माँ के, कोने फूल पहिरन
कोने फूल ओढ़न माँ के, कोने फूल पहिरन
कोने फूल कालीक शृंगार, आनन्द लागय
स्वर्गसँ अयली माता काली, आनन्द लागय

बेली फूल ओढ़न माँ के, चमेली फूल पहिरन
बेली फूल ओढ़न माँ के, चमेली फूल पहिरन
ओड़हुल फूल माँ के शृंगार, आनन्द लागय
स्वर्गसँ अयली माता काली, आनन्द लागय