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शनिवार, 30 सितंबर 2023

जगन्नाथ मंदिर सकरा, पिपरी मुजफ्फरपुर Jagannath Temple Sakra, Muzaffarpur

पुरी के भगवान जगन्नाथ मंदिर के तरह मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड के अंतर्गत पिपरी, डिहुली गाम में भगवान जगन्नाथ के मंदिर अछि। ई मंदिर ओहि लोकनिक लेल विशेष अछि जे किछु कारणवश उड़ीसा के पुरी जा कऽ भगवान जगन्नाथ के दर्शन नहि कऽ पाबि रहल छथि। ई मंदिर देखै में ठीक उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर जंका अछि। ई जगन्नाथ मंदिर 86 फीट ऊँच अछि।

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एहि मंदिर क निर्माण 2009 मे शुरू भेल छल, जे 2018 मे पूरा भेल। एहि मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा 18 जून 2018 के भेल छल। एहि मंदिर के निर्माण के लेल सब कारीगर उड़ीसा सं आयल छलाह। वैह लोकनि एहि भव्य मंदिरक निर्माण केने छलाह।  एहि मंदिर मे भगवान जगन्नाथक मूर्ति उपस्थित अछि। एहि मंदिरक मुख्य आश्रम खोरदा जिला मे अछि ।
एहि मंदिर मे भगवान श्रीकृष्ण केर जीवनक विभिन्न लीला के देखाओल गेल अछि। संगहि एहि मंदिर मे भगवान श्रीकृष्ण केर सम्पूर्ण परिवार जेना हुनक भाई बलभद्र, बहिन सुभद्रा आ स्वयं भगवान् जगन्नाथक रूप मे आ हुनक माता सुदर्शन रूप मे विराजमान अछि। मुजफ्फरपुर के एहि जगन्नाथ मंदिर के भव्यता आ सुंदरता देखय योग्य अछि।

सोमवार, 12 जून 2023

पारसमणिधाम रहुआ-संग्राम | Parasmanidham Rahua Sangram

मधुबनी जिलाक मधेपुर प्रखंड के रहुआ-संग्राम गाम में स्थित पारसमणि स्थान संत शिरोमणि बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाईं के सिद्ध कार्यस्थल एवं कार्यस्थल रहल अछि।

पारसमणिधामक इतिहास सात सौ वर्ष पुरान अछि। गोसाईं जी के जीवन पर आधारित पुस्तक के अनुसार 1818 ई. में गोसाईं जी नेपाल में छलथि। ओहि समय जंगलक बाटे अपन जन्मभूमि परशर्मा गाम दिस विदा भेलाह। जंगलसँ गुजरैत काल रहुआ-संग्रामक एहि स्थान पर गुफासँ एकटा दिव्य ऋषि प्रकट भेल छलाह। उक्त भिक्षु गोसाईं जी के योग के जिज्ञासा के तृप्त करय के तरीका कहलखिन्ह। तखन रहुआ-संग्राम गाम सँ पूब ईसान कोन मे स्थित पारसमणि स्थान मे एकटा विशाल गाछक नीचा आध्यात्मिक साधना मे डूबि गेलाह। 
13म शताब्दीक प्रसिद्ध शिवलिंग एहि स्थान सँ 2006 मे चोरी भ गेल छल। एकर बाद 2007 मे गामक लोक बनारस सँ शिवलिंग कए आनि कए विध-विधान सँ प्राण प्रतिष्ठा केलक। एहि स्थान पर वर्ष 2007 मे गामक लोकक सहयोग सँ भव्य मंदिरक निर्माण सेहो कैल गेल।

शुक्रवार, 28 अप्रैल 2023

माता सीता केर समर्पित ‘जानकी मंदिर’ जनकपुर, नेपाल

मिथिला धरोहर : नेपाल'क शहर जनकपुर विदेह राजा जनक के नगरी छलनि। एतय माँ जानकी केर विशाल मंदिर (  Janakpur Dham, Janakpur Mandir ) अछि। जनकपुर प्राचीन मिथिला राज्यक राजधानी छल। इ ओ पवित्र स्थान अछि, जाहिके धर्मग्रंथ, काव्य आ रामायण मे उत्कृष्ट वर्णन अछि। एतय स्थित जानकी मंदिर देवी सीता केर समर्पित अछि। एहि मंदिर के नौलखा मंदिरके नाम सँ सेहो जानल जाइत अछि।
सीता माता केर समर्पित जानकी मंदिर जनकपुर बाजारक उत्तर-पश्चिम मे स्थित अछि। वर्तमान जानकी मंदिरक निर्माण टीकमगढ़ के महारानी वृषभानु कुंअरि जी द्वारा १९६७ मे कैल गेल छल। मंदिर दूर सँ देखबा मे कुनो महल सन लागैत अछि। मंदिर के मुख्य गर्भगृह मे माता जानकी, राजा रामचंद्र और लक्ष्मण जी केर प्रतिमा छनि। मंदिर के बाहर विशाल प्रांगण अछि।

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झांकि मे सजल राम जन्म सँ जुड़ल कथा
मंदिरक अंदर २०१२ मे एकटा सुंदर गैलरी के निर्माण भेल, अहिमे राम जी केर जन्म सँ जुड़ल कथा झांकिक रूप मे देखल जा सकैत अछि। झांकिक संगे एतय मिथिला पेंटिंग के सुंदर संकलन अछि, जाहिमे रामकथाक कतेको प्रसंग अछि। झांकी मे माता सीता केर कैल जाय बला शृंगारक सामान सेहो देखल जा सकैत अछि। जनकपुर आबय बला श्रद्धालु मिथिला परिक्रमा सेहो करैत छथि, जाहिमे सीताजी सँ जुड़ल सब तीर्थ स्थल आबैत अछि। कहल जाइत अछि जे जनकपुर मे वैशाख शुक्ल नवमी के माँ जानकी केर अवतार भेल छलनि। अहि अवसर के जानकी नवमी के रूप मे मनायल जाइत अछि। जनकपुरक दोसर प्रमुख त्योहार विवाह पंचमी अछि। अहि दिन सीता जी के भगवान रामचंद्र जी सँ विवाह भेल छलनि। ओहि दिन इ मंदिर खूब सजायल जाइत अछि।
कोना पहुंचब जनकपुर
सीतामढ़ी सँ करीब ४१ कि० मी० उत्तर मे नेपालक तराई मे जनकपुर स्थित अछि। एतय पहुंचबाक सुगम रास्ता सीतामढ़ी शहर सँ अछि। सीतामढ़ी तक अहाँ रेलगाड़ी सँ पहुंच सकै छी। ओतय सँ बस द्वारा नेपालक सीमांत बाजार भिमोड़ और ओतय सँ बस द्वारा जनकपुर पहुंचल जा सकैत अछि। जनकपुर सँ नेपालक राजधानी काठमांडू के बस'क सफर १० घंटाक अछि।

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सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

प्रमाण अछि - मिथिला भूमि पर भेल छल होलिका दहन

मिथिला धरोहर : पूर्णिया जिलाकऽ बनमनखी प्रखंडकऽ सिकलीगढ़ मे एखनो ओ स्थान मौजूद अछि जतए होलिका प्रहलाद केँ अप्पन कोरा मे लऽकेँ जरैत चिता पर बैसल छलीह, भगवान नरसिंह केँ कारण प्रहलाद तऽ बचि गेलाह मुदा होलिका केँ दाह भऽ गेल छलैन। मिथिलांचल मे होलिका दहन केँ सम्मत (या सम्मन) कहल जाइत अछि।
माणिक्य स्तम्भ (नरसिंह खंभा), सिकलीगढ़
पौराणिक कथाकऽ अनुसार हिरण्यकश्यप केँ किला मे भक्त प्रहलाद के रक्षाक लेल एकटा खाम सँ भगवान नरसिंह केँ अवतार भेल छलनी। नरसिंह भगवान केँ अवतार सँ जुड़ल खम्भा (माणिक्य स्तम्भ) केँ एकटा छोट भाग एखनो एहि ठाम मौजूद अछि। लोगकऽ कहब अछि जे एहि स्तम्भ केँ कतेक बेरा तोड़बाक प्रयास कैल गेल मुदा इ नै टूटल।

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माणिक्य स्तम्भ (नरसिंह खंभा), सिकलीगढ़
क्षेत्रक लोग सभ केँ कहब अछि जे एहि ठाम एकटा हिरन नामक नदी बहैत अछि। किछु बरख पहिने धरि नरसिंह स्तम्भ मे जे छेद अछि ओहि मे पाथर देबा पर ओ हिरन नदी मे चैल जाइत छल। एहि स्थान पर भीमेश्वर महादेव केँ विशाल मंदिर अछि। मानल जाइत अछि जे हिरण्यकश्यप एहि ठाम बैस केँ पूजा करैत छलाह। मानल इहो जाइत अछि जे हिरण्यकश्यप केँ भाई हिरण्यकच्छ बराह क्षेत्रकऽ राजा छलाह, जे आब नेपाल मे पड़ैत अछि।

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हिन्दु केँ धार्मिक पत्रिका 'कल्याण' केँ ३१मा बरखकऽ विशेषांक मे सेहो सिकलीगढ़ के विशेष रूप सँ विवरण देल गेल अछि एहि पत्रिका मे एकरा प्रहलाद के भूमि आ नरसिंह भगवान के अवतार स्थल कहल गेल अछि। जतय मिथिलांचल सहित देश भैर मे रंग अबीर सँ होली खेलबाक परम्परा अछि, ओतय सकलीगढ़ मे एखनो छाउर आ माटि सँ होली (फगुआ) खेलल जाइत अछि। मानल जाइत ऐछ जे जेखन होलिका जरि गेल रहथि आ प्रहलाद चिता सँ सकुशल वापस आबि गेलैथ तखन लोक सभ राख आ माइट एक-दोसर केँ लगा क उत्सव मनेने छल आ तहिए सँ इ परंम्परा कायम अछि।

Tags : # Purnia # Banmankhi # Sikligarh

बुधवार, 15 फ़रवरी 2023

मिथिलाक प्रसिद्ध शिव मंदिर, मिथिला महादेव मंदिर, Mithila Famous Shiv Mandir

मिथिलाक शिव मंदिर - बिहार के प्रसिद्ध शिव मंदिर

Shiva Temples Of Mithila 

1.बाबा कुशेश्वर स्थान धाम, दरभंगा
2.विद्यापति धाम, समस्तीपुर
3.उगना महादेव , भवानीपुर, मधुबनी
4.बाबा गरीबनाथ धाम, मुजफ्फरपुर
5.एकादश रुद्र महादेव- मंगरौनी, मधुबनी
6.सोमनाथ महादेव, मधुबनी
7.शुकेश्वर नाथ महादेव, बसबिट्टा सीतामढ़ी
8.अजगैवीनाथ महादेव, सुल्तानगंज, भागलपुर 
9.बाबा कपिलेश्वर नाथ, ककरौल मधुबनी
10.सिंहेश्वर स्थान, मधेपुरा
11.भुवनेश्वर नाथ , देकुली धाम, शिवहर
12.बाल्मिकेश्वर नाथ महादेव : सुरसंड, सीतामढ़ी
13.बटेश्वर नाथ महादेव, कहलगांव, भागलपुर
14.इन्द्रदमनेश्वर महादेव, अशोकधाम, लखीसराय
15.बाबा बूढ़ानाथ महादेव, भागलपुर
16.थानेश्वर स्थान, समस्तीपुर
17.हलेश्वर स्थान, सीतामढ़ी
18.मुक्तेश्वरनाथ धाम, अंधराठाढ़ी, मधुबनी 
19.कल्याणेश्वर महादेव, बासोपट्टी, मधुबनी
20.बाबा भूतनाथ मंदिर, बेनीपुर, दरभंगा
21.बाबा खुदनेश्वर धाम, मोरवा, समस्तीपुर
22.मदनेश्वर धाम, मदनपुर, अररिया
23.चन्देश्वरनाथ महादेव, झंझारपुर
24.बसैटी शिव मंदिर, अररिया
25.बाबा सुन्दर नाथ धाम, सुंदरी मठ, कुर्साकांटा
26.हरिहरनाथ महादेव, हरिहरपुर, सीतामढ़ी
27.वानेश्वर महादेव सहरसा
28तिलकेश्वरनाथ महादेव, घनश्यामपुर
29.कपिलेश्वर मंदिर, बरूआरी, सुपौल
30.तिल्हेश्वरनाथ महादेव, सुखपुर, सुपौल

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मंगलवार, 9 अगस्त 2022

माता स्थान पुर्णिया - Mata Sthan Purnia

पुर्णिया जिलाक कृत्यानंद नगर थाना क्षेत्र के बनभाग चुनापुर पंचायतक आदमपुर गांव स्थित ( Mata Sthan Chunapur Banbhag, Purnia ) प्रसिद्ध माता स्थान 250 वर्ष पुराना अछि। लगभग 250 वर्ष पूर्व मंदिरक पुजारी अयोद्धा प्रसाद के पूर्वज के माछ मारबाक क्रम मे जाल मे स्थापित आपरूपी मां दुर्गा के मूर्ति भेटल छल। अयोद्धा प्रसाद के पूर्वज कोशी नदी मे जाल सं माछ पकरै छल। बेर-बेर जाल फेंकला पर पत्थर सं बनल मूर्ति जाल मे फैंस गेल तहन जा क नदी मे उतैर मूर्ति रूपी पत्थर के निकाइल बाहर फेंक देल गेल। ओहि रात्रि मे मां दुर्गा स्वप्न देलखिन हम साक्षात दुर्गा छी। तु हमरा स्थापित क हमर पूजा भक्ति कर। तोरे पूजा हमरा स्वीकार्य होयत। तहन हिनकर पूर्वज ओहि आपरूपी मां दुर्गा मूर्ति के स्थापित क पूजा-अर्चनाक शुरूआत क देलैथ।
 
जहन एहि माता स्थान के ख्याति बढ़य लागल त स्थानीय लोगक द्वारा पुजारी अयोद्धा प्रसाद के पूर्वजों द्वारा कैल जाय बला पूजाक बहिष्कार होमय लागल आ पंडित द्वारा पूजाक शुरूआत कैल गेल। पंडित के द्वारा जहन पूजा-पाठ के शुरूआत कैल गेल त माता ओहि पंडित के स्वप्न देलखिन जे तु हमर पूजा छोइड़ दे नै त तोहर वंश'क नाश भ जेतै।तत्पश्चात फेर स हिनके पूर्वज द्वारा पूजा-पाठ होमय लागल। एतय माता के पूजा मंत्रोच्चारण सं नै कैल जाइत अछि। केवल ध्यान मग्न भ के पूजा कैल जाइत अछि।

बुधवार, 1 जून 2022

मां कामाख्या मंदिर भवानीपुर, पूर्णिया - Maa Kamakhya Mandir Purnia

(छवि साभार - वरुण वर्मा)
पूर्णिया जिलाक केनगर अंतर्गत मजरा पंचायत के भवानीपुर गांव स्थित माता कामरू कामाख्या करूणामयी छथिन ( Maa Kamakhya Sthan Bhawanipur Majra )। एतय कुष्ठ रोगी के इलाज दैवीय कृपा सं होइत अछि। मान्यता ऐछ जे असम के कामरू कामाख्या मंदिर सं मां एतय आयल छलखिन, बाद मे एतय मुगल काल मे मंदिरक निर्माण कैल गेल छल। 
मान्यता छैक जे लगभग साढ़े चाइर सौ वर्ष पूर्व मजरा निवासी भागीरथ झा कर्जक बोझ आ सेठक दबदबा सं तंग छल। उपर सं दुटा कुमाइर कन्या के विवाहक लेल ओतय के फौजदार हुनका पर दबाव बना रहल छल। एहि चिंताक संग ओ असम के कामगिरी पर्वत पर स्थित माता कामरू, कामाख्या स्थान पहुंच गेलाह। हुनकर भक्ति सं प्रसन्न भऽ के देवी माता हुनका साक्षात दर्शन देबय आ संकट हरय के उपाय बतेलनी। हुनका माटीक किछ अवशेष दऽ के पंडित आ सेठ मानिक फौजदार के बीचक दूरी पर स्थापित करबाक सलाह देलथि। 

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छवि साभार - जर्नादन मेहता
भागीरथ झा नंग-धड़ंग पैदले भवानीपुर पहुंचलैथ आ ओ मिट्टी स्थापित कऽ पूजनोत्सव शुभारंभ कऽ देलैथ। एहिके उपरांत भागीरथ झा शक्तिरूपा माता के आदेशानुसारे अपन दुनु कन्या के विवाह मानिक फौजदारक संग करबाक संदेशा भेज देलैथ। मानिक फौजदार बरियाती लऽ के देवी माता स्थान धरि पहुंचते माता के माया रूपी खेल शुरू भऽ गेलनि।

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जाहिसँ सबटा बरियाती आपसे मे खूनी लड़ाई होमय लागल। देखिते-देखिते सबटा बरियाती सहित क्रूर सेठ मानिक फौजदार सेहो मइर गेल। तहन पंडित भागीरथ झा के ओतय सब मंगदिन के विधिवत पूजन करबाल आदेश भेटलनि। ओतय पंडित के दुनु कन्या श्यामा आ सुंदरी देवी माता के स्थान सं सटल पूबक धरती मे समा गेलीह। अखनो भी माता मंदिर सं सीधे उत्तर जाय बला सड़क कल्याणपुर मार्ग मे सेठ मानिक फौजदार गढ़ के टीला अवस्थित अछि। एहन मान्यता ऐछ जे सब मंगलदिन के असम स्थित माता कामरू कामाख्या मंदिर के दरबाजा दुपहर मे बंद रहैत अछि। एतय आबय बला सब श्रद्धालु माता के पूजनोत्सव के संगे-संग सती श्यामा सुंदरी, मानिक फौजदार, हनुमान मंदिर, शिव परिक्रमा अवश्य करैत अछि।

रविवार, 1 मई 2022

बाबा हरिहरनाथ अंकुरी महादेव, हरिहरपुर खेढी- Baba Harihar Nath Mahadev Temple Hariharpur, Khedhi

बाबा हरिहरनाथ अंकुरी महादेव मंदिर, समस्तीपुर जिलाक खानपुर प्रखंडक हरिहरपुर खेढी गांव मे बूढ़ी गंडक नदी सं मात्र दु किलोमीटर पर इ मंदिर अवस्थित अछि। एतय महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु सब बहुते संख्या मे भोले बाबा केर दर्शन करबाक लेल आबय अछि। महाशिवरात्रि के दिन सांझ मे बहुते भव्य जुलूसक संग बरियाती निकालल जाइत अछि आ रात्रि मे शिव विवाह बहुते धूमधाम सं मनायल जाइत अछि। शिव विवाह सम्पन्न भेलाक उपरांत भोरे सं बेसी संख्या मे जिला आ लगपासक एवं विभिन्न क्षेत्र सं भक्तगण शिव जी के दर्शन लेल आबैत अछि।

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एहि ठामक मेलाक तैरपत्ता आ जिलेबी प्रसिद्ध अछि। बाबा हरिहरनाथ महादेव शिवलिंग के प्रति भक्तक आस्था सदियों बरख पुराण अछि। बाबा हरिहरनाथ अंकुरी महादेव मंदिर मिथिला के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महादेव मे सं एक अछि। महादेव अंकुरित अछि जे चरबाहा स्थल पर प्रकट भेल छल। आय सं बहुते वर्ष पहिले चरबाहा गाय चराबय जाइत छल त एक दिन ओ देखलक जे गाय अपन सबटा दूध एकटा खास स्थान गिरा दएत छल। इ घटना निरंतर कतेको दिन धरि चलल तहन चरबाहा ग्रामीण के सूचना देलक ग्रामीण ओहि स्थल पर जा क खोदाई केलक त शिवलिंग प्रकट भेल।

एकटा भक्तक कोबला पूरा भेला पर एतय मंदिर के निर्माण करौलक। बाबा हरिहरनाथ महादेव कोबला आ आस्थाक सबसं बड़का केंद्र अछि।  

सोमवार, 11 अप्रैल 2022

कपिलेश्वर महादेव मंदिर, बरुआरी, सुपौल

महत्वपूर्ण शिवालय मे सं एक बाबा कपिलेश्वर महादेव के मंदिर सुपौल जिला मुख्यालय लगभग 14 किलोमीटर के दूरी पर गढ़ बरुआरी मे स्थित अछि। ( Kapileshwar Mahadev Temple Baruari, , Supaul ) कपिलेश्वर महादेव मंदिर के भक्त मे एकटा अलगे महिमा अछि। ओना स्थापना काल लऽ के लोगक अलग-अलग मत अछि। मुदा गढ़ बरुआरी निवासी पंडित कृष्णदेव झा द्वारा लिखित पुस्तक मे एहि मंदिरक स्थापना काल 1024 ईशा पूर्व मानल गेल अछि।

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पडित कृष्णदेव झा एहि मंदिर के स्थापना काल के लऽ कऽ देल गेल तर्क मे एतय भेटल अवशेष के आधार बनेने छथि। कहल जाइत अछि जे तंत्र साधनाक लेल प्रसिद्ध कपिलेश्वर महादेव मंदिर के इ स्थान प्राचीन काल मे हरिद्रा नदी के कात एकटा टाल पर अवस्थित छल। जतए कपिल मुनि तपस्या करैत छलथि। इ धारणा अछि जे कपिल मुनि केर नामे पर अहि मंदिरक नाम कपिलेश्वर नाम पड़ल। कहल जाइत अछि जे भक्त एतय नीक मोन सं कोबला लऽ के आबैत अछि हुनक मनाेकामना पूर्ण  होइत अछि। कहल जाइत अछि जे कालांतर मे एहि मंदिर के राजा - महाराज विकसित केलक।

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मंदिरक ल के दंतकथा अछि जे मिथिलांचलक इ क्षेत्र ऋषि-मुनि आ महापुरुष के कर्मक्षेत्र रहल अछि। जे अध्यात्म साधना के लेल एहि क्षेत्रक विभिन्न आश्रम मे ध्यान-भजन करैत छलैथ। कहल जाइछ जे एहि धर्म स्थल के बाद मे मंदिरक रूप दऽ के पूजा-अर्चना कैल जाय लागल। मिथिला अहि क्षेत्र मे सिंहेश्वर महादेव मंदिर, उग्रतारा, चंडी, कुशेश्वर, गौतामा आश्रम, बाल्मिकी आश्रम, याज्ञवाल्कयम आश्रम, योगेश्वर जनक स्थान, कौशिकाश्रम समेत कपिलेश्वर के इ मंदिर धर्मावलंबि के लेल प्राचीन काले सं आस्थाक केंद्र रहल अछि। इतिहासकारक अनुसार एहि मंदिर परिसर के भौगोलिक आ आन बनावट के देखिते लोग एहि स्थान के कपिल मुनि सं जोड़लक। जे बाद मे कपिलेश्वर के नाम सं प्रसिद्ध भेल।

बुधवार, 2 मार्च 2022

वानेश्वर महादेव सहरसा : देवन वन बाबा के नाम सं छथिन प्रचलित

छवि साभार - अनिकेत गुप्ता
सहरसा जिलाक नवहट्टा प्रखंड मुख्यालय सं लगभग दु किलोमीटर पश्चिम पूर्वी कोसी तटबंध के कात शाहपुर गांव मे स्थापित अछि देवन वन बाबा (Devan Van Mandir, Saharsa ) के मंदिर। प्रखंडक लग-पासक गामक अलावा सुपौल, दरभंगा, मधुबनी जिलाक श्रद्धालु भक्त सेहो बाबा के भक्त जलाभिषेक करबाक हेतु आबैत अछि। 

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इतिहास
लोक कथाक अनुसार हजारों साल पहिले कोसी इलाका मे राजा शल्य के शासन छल। ओहि समय एकटा चरवाहा गाय ल क बोन मे चरेबाक लेल ल जाइत छल। ओहि टोलीक एकटा गाय सब दिन एकटा पाथरक सोंझा ठार भ अपन सबटा दूध खसा दइत छल। राजा शल्य के जहन एहि बातक भनक लगलैन त पूरा जानकारी ल'के मंदिर बनेबाक निर्णय लेलैथ। खोदाइक उपरांत ओहि पाथर के शाल्य वानेश्वर महादेव के रूप मे पूजय जाय लागल। घनगर बोन मे हेबाक कारण इ स्थान देवन वन बाबा के नाम सं प्रचलित भेल। लोगक कहब ऐछ जे देवन वन बाबा के महिमा अपरंपार छैन।

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मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

दिगंबर जैन मंदिर - श्री वासुपूज्य दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र, भागलपुर

छवि साभार - जैन 24
Champapur Digambar Jain Mandir Bhagalpur - भागलपुर जिलाक पश्चिमी क्षेत्र नाथनगर ( Nathnagar ) आ चंपानगर जैनि के अति पवित्र तीर्थ स्थल अछि। यैह एकटा एहन क्षेत्र अछि, जतए कुनो तीर्थंकर के पांचों कल्याणक एके स्थान पर भेल। जैन धर्म के 12मा तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य के गर्भ जन्म, तप, दीक्षा आ मोक्ष मे पांचों कल्याणक भेल अछि। अहि दृष्टि सं अहि नगरी के विशेष महत्व अछि। एकरा पंचकल्याण मंदिर के नाम सं सेहो जानल जाइत अछि। 24मा तीर्थंकर भगवान महावीर ढाई हजार वर्ष पूर्व तीन चातुर्मास चंपापुर मे व्यतीत केने छलथि। अहि मंदिर के निर्माण जयपुर के राजा सरदार श्रीदत्त संघवी करेने छलखिन।
छवि साभार - अशोक कुमार
मंदिरक विशेषता :-
करीब पांच एकड़ मे पसरल चंपापुर दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र श्रद्धालु आ पर्यटक के आकर्षित करैत अछि। मंदिरक प्रवेश द्वार जयपुर के हवामहल के तर्ज पर अछि। अहिमे 11 गुंबज अछि आ 12 गुंबज भगवान वासुपूज्य के मंदिर के अछि। मंदिर मे पाषाण आ धातु के प्रतिमा स्थापित कैल गेल अछि। परिसर मे 19 टा बड़का मंदिरक संग 49 वेदि अछि। अहिमे 24 तीर्थंकर के प्रतिमा स्थापित अछि।

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छवि साभार - अशोक कुमार
मूल मंदिर मे भगवान वासुपूज्य के तीन हजार वर्ष पुराना वासुपूज्य चरण चिह्न आ मूंगा वर्ण के प्रतिमा विराजमान अछि। मंदिर के पश्चिमी दिशा मे देशक सबसं ऊंचगर भगवान वासुपूज्य के वेदी सहित 40 फीट ऊंच प्रतिमा अछि। रामायण, महाभारत आ जैन महापुरुष के जीवन चरित्र के सचित्र वर्णन कांच पर अछि। मुख्य मंदिरक सोझा दुगो कीर्ति स्तंभ अछि। एकटा सुरंग मंदार पर्वत आ दोसर गिरीडीह के सम्मेत शिखर तक जाइत छल। इ  स्तंभ ईरानी शैली मे अछि। 

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आवागमन के साधन
भागलपुर रेलवे स्टेशन के पश्चिम सड़क मार्ग सं 3.5 कि०मी० दूरी पर मंदिर अछि। नाथनगर रेलवे स्टेशन सं डेढ़ कि०मी० दूरी पर अछि। 

शनिवार, 8 जनवरी 2022

मिथिला के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल - मिथिला के प्रसिद्ध मंदिर - Mithila Temple List

Famous Religious Places of Mithila | Famous Temples of Mithila | Famous Temples of Bihar | Mithila Ke Famous Mandir | Mithila Tourist Place

मिथिला मे देवी-देवताक उपासना के प्राचीन परंपरा रहल ऐछ। पूजा उपासना'क सशक्त परंपरा आ देवी-देवताक स्थाक कड़ी के बीच शहर सँ गाम धरि मंदिर के श्रृंखला अछि। सब मंदिर मे ओहिके महिमा के इतिहास छुपल अछि। नीचा मिथिलाक प्रसिद्ध धार्मिक स्थलक सूची अछि। अहाँ लिंक पर क्लिक कऽ मंदिरक बारे विस्तार सं पढ़ी सकै छी।
मिथिला के फेमस मंदिर - बिहार के प्रसिद्ध मंदिर - 
मिथिला के पर्यटक स्थल











































































● मणिपुर माता मंदिर, समस्तीपुर