मिथिला धरोहर : लखीसराय जिलाक सूर्यगढ़ा प्रखंड (बुधौली बंकर) मे स्थित अछि श्रृंगी ऋषि धाम आश्रम। ( Shringi Rishi Dham Ashram, Budhauli Bankar, Lakhisarai ) इ प्रसिद्ध अछि जे मिथिले मे श्रृंगी ऋषि केर द्वारा कैल गेल यज्ञ सं अयोध्या के राजा दशरथ केर भगवान राम सहित चारु पुत्र लक्ष्मण, शत्रुघ्न आ भरत के अवतरित हेबाक उपरांत हिनका चारु के मुड़न (चुड़ाकर्म) संस्कार सेहो एतए केने छलखिन।
श्रृंगी ऋषि के पहाड़ि, झरना आ कुंड आकर्षण के केंद्र अछि। शहर सं 23 किलोमीटर दूर सूर्यगढ़ा प्रखंड मे पहाड़क बीच श्रृंगी ऋषि धाम स्थित अछि। सफर मे पहाड़क चट्टान शंकु आकार मे भेटत। मंदिर पहुंचला पर ओतय पहाड़क ऊपरी हिस्सा आगु दिस झूकल अछि। जे भयावह के संगे ओतय के सुंदरता के और बेसी बढ़ाबैत अछि।
मान्यता अछि जे राजा दशरथ के पुत्र नै भेला पर एतय आबिके ऋषि विभांडक केर पुत्र ऋषि श्रृंग केर अपन समस्या खहलथि। अहिके उपरांत ऋषि श्रृंग केर तपस्या सं अग्नि देवता खीर के कटोरा ल के प्रकट भेलाह आ ओहि खीर के राजा अपन तीनु रानि के खुएलथि।
राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न केर अवतरित हेबाक पश्चात गुरु वशिष्ठ सब के नामांकरण केलथि, मुदा मुड़न कार्य अहि श्रृंगी ऋषि धाम मे भेल छल। श्रृंगि ऋषि केर एतय आबिके बसबाक पाछु सेहो कतेको किवंदंति अछि।
कहल जाइत अछि जे अंग प्रदेश के राजा रोमपाद के शाषणकाल मे एतए अकाल पड़ला पर गुरु वशिष्ठ केर सलाह पर लखिया नाम'क एकटा वेश्या श्रृंगि ऋषि के एतए आँनए के ठानल आ साधु भेश मे हुनका अपना दिस आकर्षित क एतए संग ल आनल। कहल जाइत अछि जे ऋषि श्रृंग केर आगमने सं एतए सुकाल सेहो आयल।
मंदिर के पंडित पंकज झा कहय छथि जे राजा रोमपाद अपन दत्तक पुत्री शांता, जे राजा दशरथ सं गोद लेने छलथि। हुनके सं ऋषि श्रृंग के विवाह रचेलनी। ऋषि श्रृंग केर विवाह उपरांत ऋषि विभांडक के आशीर्वाद लेल बजेने छलथि। अहि स्थल के नाम श्रृंगी ऋषि धाम कहायल। एतए पहाड़ सं बहय बला धारा के त्रिपद कामिनी सप्तधारा पातालगंग कहल जाइत अछि।
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