शनिवार, 10 मार्च 2018

ताजमहल एहन एकटा कलाकृति मिथिला मे सेहो अछि

अहि दुनु तस्वीर मे हमरा ख्याल सँ समानान्तर अध्ययनक आवश्यक अछि, दुनु मकराना संगमरमर के बनल अछि, बेल बूटे, नक्कासी दुनु मे उम्दा किस्मक अछि। दुनु के अपन इतिहास छैक। एगो मुगलक कृति अछि त एकटा भारतीय हिन्दू शासक द्वारा निर्मित, एकटा मे प्रेमक प्रतिरूप अछि त दोसर मे आस्थाक स्वरूप अछि।
राजनगर, मधुबनी मे 18वीं सदी में निर्मित इ माँ काली मंदिर केर बनावट, नक्काशी, बेलबूट के देखबा सँ ताजमहल एहने लागय अछि, चमक त आयो भी ताजमहल सँ बेसी अछि, मुदा दुर्भाग्य छैक मिथिला (बिहार) मे एकर देखभाल और प्रचार प्रसार  शून्य छैक। वीरान पड़ल इ ऐतिहासिक धरोहर दिनरात अपन पीढ़िक उदासीनता पर नोर बहा रहल अछि।समाजसेवी, इतिहासकार, साहित्यकार, कलाकार और सरकार की घोर उपेक्षा के कारण मिथिलाक इ बेशकीमती धरोहर सुन पड़ल अछि। सन्निकट के कतेको बेशक़ीमती मंदिर और इमारत धराशायी भ चुका अछि। अगर एकरा बचा लेल गेल और प्रचारित कैल गेल त निश्चित तौर पर उत्तर बिहार मे लाखों लोग के पर्यटन सँ रोजगार भेटबाक उम्मीद जागय लागत। अगर बर्बाद भ गेल त आबय बला पीढ़ी अपन पूवज के कहियो माफ नै करत। उम्मीद अछि मिथिला, और मिथिला सँ बाहरक लोग एकरा बचेबाक मुहिम मे मिथिला धरोहर के संग दैथ, अपन धरोहर के बचेबा मे  सहयोग करैथ। #MithilakTaj




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