मिथिला धरोहर : श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोकधाम मे मिथिला के लखीसराय जिलाक वार्ड नंबर एक रजौना चौकी मे स्थित अछि। ( Indradamneshwar Mahadev Mandir Ashokdham, Lakhisarai ) कहल जाइत अछि जे भगवान श्रीराम अपन माता कौशल्या संगेह हरिद्र (हरहर) नदी तट पर अपन बड़की बहिन शांता सं भेंट करए आयल छलथि। ओहि समय भगवान श्रीराम अपन माता कौशल्या आ शांता के संगेह अहि मंदिर मे स्थित शिवलिंग के पूजा केने छलथि। कालांतर मे जगदगुरू आदि शंकराचार्य द्वारा अहि शिवलिंग के प्राण-प्रतिष्ठा के गेल।
अहिके उपरांत सन् 1192 ई॰ मे पालवंश के अंतिम शासक राजा इंद्रदमन शिवलिंग के चारु दिस एकटा भव्य मंदिर के निर्माण करौलनि। महादेव केर आदेश पर इंद्रदमन के देवराज इन्द्र के कृपा सं अनावृष्टि सं मुक्ति भेटलनि आ हुनके नाम पर इ शिवलिंग इंद्रदमनेश्वर महादेव केर नाम सं विख्यात भेल अछि।
सन् 1197 ई॰ मे जहन विदेशी आक्रांता बख्तियार खिलजी इंद्रदमन पर आक्रमण केलक आ धोखा सं इंद्रदमन के हरा कऽ हुनक सत्ता के हथिया लेलक। ओहिके उपरांत अहि मंदिर के ध्वस्त करबाक लेल सेना सहित आयल मुदा ता धरि शिवलिंग अन्तर्ध्यान भऽ चुका छल। ओ मंदिर तऽ ध्वस्त कऽ देलक मुदा ओकरा शिवलिंग के कुनो भांज-खबर नै लागल।
ओहिके के पश्चात करीब 800 वर्षों धरि इ शिवलिंग आश्चर्यजनक रूप सं भूमिगत मे रहल। भगवान शंकर केर प्रेरणा सं 7 अप्रैल 1977 के एकटा अशोक नाम'क चरबाहै के गुल्ली - डंडा खेलए क्रम मे एक शिवलिंग के ऊपरका सतह दिखाए पड़ल बाद मे स्थानीय लोगक सहायता सं ओहि स्थान के खुदाई केला पर एकटा विशालकाय शिवलिंग निकलल। ओहि बालक अशोक के द्वारा शिवलिंग खोजए गेला सं अहि स्थान'क नाम 'अशोक धाम' पड़ल।
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शिवलिंग के पुनः प्रादुर्भाव के चर्चा जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य धरि पहुंचलनी आ शंकराचार्य जी अहि शिवलिंग के लेल पहिले एहन एकटा मंदिर बनेबाक घोषणा केलथि। 11 फरवरी 1993 के जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य केर द्वारा मंदिर परिसर'क पुनर्निर्माण के उद्घाटन कैल गेलनी। वर्ष 2001 मे श्री इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के स्थापना भेल। वर्ष 2002 मे तत्कालीन जिलाधिकारी डीएन मंडल द्वारा मंदिर निर्माण कार्य शुरू कैल गेल छल। ताहि उपरांत भव्य मंदिर के निर्माण कराओल गेल। जाहिके भव्यता आ दिव्यता पुरा मिथिला मे प्रसिद्ध अछि।
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सावन मास मे भक्तगण सिमरिया के गंगा घाट सं गंगाजल ल'के पैदल अशोक धाम चली बाबा केर जलाभिषेक करए छथि।
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