मिथिला संस्कृति सौं धनी! झंझारपुर सौं पाँच किलोमीटर उत्तर पूर्व हररी गाम में विराजित छथि अंकुरित महादेव चन्देश्वर नाथ ( Baba Chandeshwar Nath Mahadev, Jhanjharpur )। सत्य मन से कयल कामना अवश्य पूर्ण होई छैक। औढरदानीक कृपा सौं कतेको लोक संतान संपत्ति प्राप्त केलथि। प्राचीन समय में इ क्षेत्र जंगलमय छल दिनों के लोक सब अबै से डराइ छला।
एकदिन एकटा महात्मा अहि रस्ते जाई छला। कनिकाल आराम करक लेल कोनो गाछ पीठ सौं लगा बैसला आ निंदक भक लगलनि कि स्वप्न देखला जे महादेव कहि रहल छथि-हम ओहि साहोर गाछ तर में छी दरभंगा महाराज सौं कहि हमर स्थापना कराऊ। एतबे देखला कि चौंक के ऊठला कनि दूर में देखला सपना में देखल वेह साहोरक गाछ छल, टहलि के गेला त जंगल झारेटा नजैर एलनि। अनमनाह ढंग सौं सोचैत विदा भेला इ सपना छल कि सत्य? राजा के कहबनि आ जौं महादेव नै हेथिन त राजा हमरा जिवे नै देत, नै हम नै जेब दरभंगा दरबार में, सोचैत अपन गन्तव्य चल गेला।
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राति में जखन सुतला त फेर देखलनि महादेव कहि रहल छथि हमरा पर विश्वास नहिं भेल आहाँ डर सौं नै गेलौ दरबार हम छी आहाँ जाऊ हमरा स्थापित करू। फेर चौंकि उठला राति भैर निंद नै भेलनि नाना प्रकारक शारिरिक मानसिक कष्ट भेलनि। भोरेभोर पहुंचला राजदरबार आ सब वृतांत राजा से कहला।दरभंगा महाराज स्वयं भक्त छला एतबे सुनि आनन फानन में सेना लय एतय आबि मजदूर सौं जंगल झाड साफ कराय खोघबेला त सत्य निकलल महात्माक बात। सुन्दर सन महादेवक लिंग भेटल। राजाक आदेश भेलनि खोधि के दरभंगा ल चलैलेल। जते खोधल जाई ओतेक नीचा महादेव गेल जाइथ तें मंदिरक गर्भगृह सहर जमीन सौं बहुत नीचा छनि, किछु कालक पश्चात ओहि खाधि सौं मधुमाछी पचहिया संग संग सांप कीडा सब निकलय लागल सब मजदूर भागल आ राजाक आदेश भेलनि अहिठाम मंदिरक निर्माण करै जाऊ महादेव अहिठाम रहता। मंदिरक निर्माण होमय लागल आ महाकवि विद्यापतिक पितामह धिरेश्वर ठाकुरक जेठ भाई चंदेश्वेर ठाकुरक नाम पर चन्देश्वरनाथ महादेव नमकरण कयल गेलनि।
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मंदिरक पुजाक भार बोदइ निवासी के भेटलनि। एखन धरि ओहि परिवारक पुजारी छथि जिनक दरमाहा एखनो धरि दरभंगा महाराज सौं भेटै छनि। समय बीतल गेल आरो देवता हनुमान, कृष्ण, गायत्री, अनेक मंदिर निर्मित भेल। बाबा स्थान में भक्तक द्वारा बराबर कीर्तन भजन होईत रहै अछि। लडडू जिलेबी नमकीन चाह पान आदिक दुकान अहिठाम अछि। भक्त सबहक बराबर भीड रहैये खासकय भोर साँझ त आनंद मंगल।
*ज्ञातव्य होई दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंहक मुण्डन संस्कार अहि मंदिर प्रांगण में चंदेश्वेरनाथक सम्मुख भेलनि।
Har Har Maha Dev
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