दरभंगा जिलाक जाले प्रखंड स्थित रतनपुर गांव मे लगभग 75 फीट ऊंचगर डीह पर अवस्थित मां रत्नेश्वरी केर महिमा अपरंपार छनि। रतनपुर स्थित माता रत्नेश्वरी स्थान ( Ratneshwari Mandir Sthan, Jale, Ratanpur, Mata Ratneshwari Place ) मिथिला में वैष्णवी दुर्गा पीठ के रूप में प्रसिद्ध अछि। निक भाव सं हिनक पूजा केनिहार भक्त के माता तत्क्षणे मनोकामना पर्ण क दै छथि। एतय माता दुर्गा के प्रतिमा नै बनायल जाइत अछि, मंदिर में अवस्थित माता केर अंकुरित पींड़ी (प्रतिमा) के पूजा-अर्चना कैल जाइत अछि।
माता रत्नेश्वरी स्थानक प्राचीन इतिहास अछि। बंगाल में 1234-1293 में सेन राजवंश छल। देवा राजवंश के उदय उपरांत सेन वंश के वारिस ओतय सं दोसर जगह लेल पलायन करय लागल। अंतिम शासक केशव सेन के परपौत्र रत्नसेन बंगाल सं पलायन क मिथिला पहुंचला। ओ माता दूर्गा केर परम उपासक छलाह। ओ रतनपुर के तत्कालीन दुर्गा स्थान के लगे अपन एकटा किला बनेलथि। राजा रत्नसेन के नामे पर अहि बस्ती के नाम रत्नपुर परल। आब इ रतनपुर के नाम सं प्रसिद्ध अछि।
ग्रामीण के करैत छथि रक्षा
अहि ठाकम ग्रामीण के कहब छनि जे माता आयो राजा रत्नसेन के अकूत संपत्ति संगे-संग ग्रामीण के रक्षा कर रहल छथि। राजा रत्नसेन के किला भग्नावशेष पर अवस्थित माता रत्नेश्वरी परम वरदायणी आ करुणामयी छथि। हिनकर अराधना सं भक्त के मनोवांछित फल के प्राप्ति होइत अछि। रतनपुर और ब्रह्मपुर के सब एकटा मांगलिक काज हिनकर पूजा आराधना बगैर संपन्न नै होइत अछि।
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