मिथिला धरोहर : मैथिली भाषाक चर्चित गायक हेमकान्त झा ( Mithila Ratan Hemkant Jha ) जीक जन्म दरभंगा जिला अन्तर्गत शुभंकरपुर ग्राम मे सूर्यकांत झा के घर 1949 ई० भेल छलनी। पिता दरभंगा व्यवहार न्यायालय के बहुते नमहर वकील छलथी। नबका पीढ़ी के युवा भले ही हेमकान्त जी के नै चिनहैत हेता मुदा हिनक गाओल गेल गीत के कहियो नै कहियो अवश्य सुनने हेता। मैथिलि भाषा मे हिनक गीत ‘मामा यौ कनी खैनी दिया’ अस्सी के दशक मे बहुते प्रचलित भेल छल।
दुर्भाग्यवश, हेमकान्त झा के 50 बरख के उम्र मे दरभंगा मे निधन भय गेलनी। हुनका ब्रेनहेम्ब्रेज भेल छलनी। प्रसिद्द मैथिलि गायक मिथिला रत्न हेमकान्त झा ओना आब अपना सबक बीच नै छथि मुदा हिनक अबाज और शैली आयो बेमिसाल छनि। ‘ कैसेट युग’ मे मैथिली लोकगीत के प्रसिद्द गायक हेमकान्त जी एक के बाद एक सुपरहिट गाना द के मिथिला भाषी लोगक दिल मे तेजी सं अपन एकटा ख़ास स्थान बना लेने छलथि।
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हेमकान्त जी लगभग 6000 सं बेसी गीत गेने छथि। हिनकर पहिल कसैट एस एम सीरिज सं निकलल छल जे बाद में नीलम कसैटक नाम सं प्रसिद्ध भेल। हिनकर मैथिली गीत ‘दुमका में झुमका हेरौलनि काशी में कनवाली', ‘नाक में नथुनियाँ रे सजावे रे सजनियाँ’ कखनो मिथिलांचल के लोगक मुंह पर छल।
हेमकान्त जी लगभग सबटा बरका म्यूजिक कंपनि जेना जेना टी-सीरिज, टीप्स, एचएमवी, नीलम कैसेट्स लेल गीत गेलथि। बाद मे अपन कैसेट सेहो निकालनाय शुरू क देने छलथि और गायल गीतक पहिल कैसेट छल “सनेस” जे बजारमे एलाकबाद मैथिली संगीतक दुनिया मे तहलका मचौने छल।
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स्व० हेमकान्त झा जी अनेको लोकप्रिय मैथिली गीत गेलथि हिनकर द्वारा गाओल गीत “मामा यो कनि खैनी दिअ अपनों खाऊ कनि हमरो दीअ बाबू मान्गैय छै सेहो दिऔ” बहुते लोकप्रिय साबित भेल। हिनक एलबम्स ‘चल मिथिला में चल’ , ‘हिमरेखा’ , ‘सनेस’ , ‘ममता’ ,’ भौजी’ , ‘कखन हरब दुःख मोर’ और ‘सौगात’ आदि सेहो बहुते बेसी लोकप्रियता प्राप्त केलक।
जहाँ धरि मैथिलि संगीत क्षेत्र के बात करि त एक दिस जहाँ सुर के राजकुमार संगीतकार रवीन्द्र आ महेंद्र केर जोड़ी अहि भाषा के संगीतबद्ध रूप के जन जन धरि पहुचेलानी ओतय स्व० हेमकान्त जी अहिके विस्तार करैत ‘मिथिला के रफ़ी’ एहन छवि प्राप्त केलनि।
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