सा नि सा रे सा नि सा रे सा ध नि प म प  ध नि रे सा
मपध धनि प मपसारे निसारे धनि प मप मगमरे सा गा
सा नि सा रे सा नि सा रे सा ध नि प म प  ध नि रे सा
आजु नाथ एक व्रत महा सुख - 3
लागत हे 
तोहें सिव धरु नट वेष कि 
डमरू बजाबहे
आजु नाथ एक व्रत महा सुख - 2
लागत हे 
तोहें सिव धरु नट वेष कि 
डमरू बजाबहे
आजु नाथ एक व्रत महा सुख - 2
लागत हे 
तोहें गोरी कहे छनाछब हम कोना नाचब हे...
चारि सोच मोहि होय कौन विधि बांचव हे...
अमि अचुमिय भूमि खसत बघम्बर जानत हे...
होत बघम्बर बाघ बसहा धरि खायत हे...
आजु नाथ एक व्रत महा सुख - 2
लागत हे 
तोहें सिव धरु नट वेष कि 
डमरू बजाबहे
आजु नाथ एक व्रत महा सुख लागत हे 
सिरसँ ससरत साँप भूमि लोटायत हे...
कार्तिक पोसल मजूर सेहो धरि खायत हे...
जटा सं छिलकत गंग भूमि पर पाटत हे...
होय तो सहस्त्र मुखी धार समेटलो ने जायत हे...
आजु नाथ एक व्रत महा सुख - 2
लागत हे 
तोहें सिव धरु नट वेष कि 
डमरू बजाबहे
आजु नाथ एक व्रत महा सुख लागत हे 
मुंडमाल टूटी खसत मसानी जानत हे...
तोहें गौरी जैबा पराय नाचके देखत हे...
भनहि विद्यापति गाओल गावि सुनाओल हे...
राखल गौरी के मान चारू उपजाओल हे...
आजु नाथ एक व्रत महा सुख - 2,
लागत हे 
तोहें सिव धरु नट वेष कि 
डमरू बजाबहे
आजु नाथ एक व्रत महा सुख - 2
लागत हे 
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Bahut sunder
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