मंगलवार, 1 नवंबर 2022

Dev Uthani Ekadashi 2023 - देव उठाओन एकादशी 2023 मुहूर्त, पूजा विधि आ कथा

देवउठनी एकादशी व्रत 2023
2023 Mein Dev Uthani Ekadashi

साल 2023 मे देव उठनी एकादशी 23 नवंबर, 2023, गुरुवार के अछि।

देवउठनी एकादशी पारणा मुहूर्त : 

मिथिला धरोहर, प्रभाकर मिश्रा : कातिक शुक्ल पक्ष के एकादशी जे दीयाबाति के बाद आबय अछि ओहिके देवोत्थान एकादशी Dev Uthani Ekadashi (देब उठाओन Dev Uthaun ) या देव प्रबोधिनी एकादशी कहल जाइत अछि। भाद्रपद के एकादशी के भगवान विष्णु क्षीर सागर मे शयन करवाक लेल चैल जाइत छथि और चाईर मास उपरांत कातिक मासक शुक्ल पक्ष'क एकादशी के दिन निद्रा सं जागय छथि। ताहि लेल एहि दिन के देवोत्थान या देव उठाओन एकादशी के नाम सं जानल जाइत अछि। 

पूजाक विधि
एहि दिन प्रात: काल स्नान आदि सं निवृत्त भ के भगवान् नारायण के ध्यान राखैत व्रत के संकल्प लिअ। ताहि उपरांत विष्णु सहस्रनाम के पाठ करु और घंटावादन आदि करैत एहि मंत्र सं भगवान् नारायण के जगाबु :-

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भगवान् के जगेबाक बाद हुनक पूजन अर्चना और आरती करु। मान्यता अछि जे एहि दिन व्रत रखला सं बड़का सं बड़का पाप सेहो नष्ट भ जाइत अछि। एहि दिन दान के विशेष महत्व अछि ताहि लेल अपन सामर्थ्य'क अनुसार दान अवश्य करवाक चाहि।

देवोत्थान एकादशी के कथा
एक समय भगवान नारायण सं लक्ष्मी जी  कहलखिन - 'हे नाथ! आब अहाँ दिन-राईत जागल करय छिं और फेर लाखों-करोड़ों बरख धरि लेल सुईत जाय छिं आ ओहि समय समस्त चराचर के नाश सेहो क दय छिं। अत: अहाँ नियम सं प्रतिवर्ष निद्रा लेल करु। एहि सं हमरा सेहो किछ समय विश्राम करवाक समय भेट जायत।' लक्ष्मी जी के गप्प सुनि के नारायण मुस्कुरेला और बजला- 'देवी'! अहाँ उचित कहलु। हमरा जागला सं सब देवता के खास क अहाँ के कष्ट होइत अछि। अहाँके हमरा सेवा सं कनिको अवकाश नय भेटय अछि। ताहिलेल, अहाँ के कथनानुसार आय सं हम प्रति वर्ष चाईर मास शुतल करव। ओहि समय अहाँके और देवगण के अवकाश रहत। हमर इ निद्रा अल्पनिद्रा कहल जायत। इ हमर अल्पनिद्रा हमर भक्त के परम मंगलकारी उत्सवप्रद तथा पुण्यवर्धक होयत। एहि काल मे हमर जे भक्त हमर शयन के भावना क हमर सेवा करत आ शयन और उत्पादन'क उत्सव आनन्दपूर्वक आयोजित करत हुँनक घर मे अहाँ संगे सहित निवास करब।

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मिथिलांचल मे साँझ के भगवती के घर करबाक पारम्परिक विध सेहो होइत अछि। अरबा चाउर'क पिठार सं तुलसी चौड़ा लग सं गोसाउनक चिनुआर धरि भगवान के पैरक छाप'क अरिपन देल जाइत अछि आ ओहि ऊपर सिनुर लागयल जाइत अछि आ अछिञ्जल भरल लोटा सं भगवती के घर करबाक विध पूरा कयल जाइत अछि।

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