एकादशीक शुभ मुहूर्त 2025, निर्जला एकादशी पूजा 2025 - Nirjala Ekadashi 2025 के तारीख व कैलेंडर:
- साल 2025 मे निर्जला एकादशी व्रत 31 मई, 2025, बुधदिन के अछि।
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 30 मई 2025, 1:07 बजे दुपहर
- एकादशी तिथि समाप्ति : 31 मई 2023 पूर्वाह्न 1:45 बजे दुपहर
- निर्जला एकादशी पारणा मुहूर्त : 05:23:39 सं 08:09:45 धरि 1, जून
- अवधि : 2 घंटे 46 मिनट
ज्येष्ठ मासक शुक्ल पक्ष के एकादशी के निर्जला एकादशी कहल जाइत अछि। निर्जला एकादशी के व्रत मे पाइन पीनाय वर्जित होइत अछि अर्थता पूरा व्रत मे एको बूंद पाइन तक नै पीयल जाइत अछि। ताहिलेल अहि एकादशी के निर्जला एकादशी कहल जाइत अछि। अहि एकादशी के भीमसेन एकादशी सेहो कहल जाइत अछि जाहिके कथा अहि लेख मे बताओल गेल अछि।
साल भरिक चैबीस एकादशि मे सं ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सर्वोत्तम मानल गेल अछि। इ व्रत केला सं सबटा एकादशिक व्रत के फल भेट जाइत अछि।
विधान
एकादशीक व्रत दशमी के समाप्ति के एकादशी के तिथि सं आरंभ होइत अछि। अहि व्रत के समापन द्वादशी के तिथि के कैल जाइत अछि। इ व्रत स्त्री आ पुरुख दुनू के करबाक चाहि। अहि दिन निर्जल व्रत करैत शेषशायी रूप मे भगवान विष्णु केर आराधना के विशेष महत्त अछि। अहि दिन ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवायः’ के जाप क के गोदान, वस्त्र दान, छत्र, फल आदि के दान करबाक चाहि।
निर्जला एकादशी कथा मैथिल में
एक बेरा महर्षि व्यास पांडव के एतय पधारलनी। भीम महर्षि व्यास सं कहलथि, भगवान! युधिष्ठर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, माता कुन्ती आ द्रौपदी सभ एकादशी के व्रत करय छथि आ हमरो सं व्रत रखबाक लेल कहय छथि मुदा हम बिना खेने रैह नै सकय छी ताहिलेल चैबीसो एकादशि पर निरहार रहबाक कष्ट साधना सं बचा क हमरा कुनो एहन व्रत बताबीयौ जेकरा केनाय मे हमरा विशेष असुविधा नै होय और सबटा फल सेहो हमरा भेट जाय। महर्षि व्यास जानैत छलखिन जे भीम के उदर मे बृक नामक अग्नि अछि ताहिलेल बेसी मात्रा मे भोजन केला पर तैइयो भूख शान्त नै होइत अछि।
इहो पढ़ब :-
महर्षि भीम सं कहलखिन अहाँ ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के व्रत राखल करू। अहि दिन अन्न आ जल दुनु के त्याग करय परैत अछि जे भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय सं द्वादशी तिथि के सूर्योदय धरि बिना पाइन पीने रहैत अछि आ श्रद्धा पूर्वक सं निर्जला व्रत के पालन करय अछि, हुनका साल मे जतेक एकादशी आबैत अछि ओहि सब एकादशीक फल अहि एकटा एकादशी के व्रत केला सं भेट जाइत अछि। तहन भीम व्यास जी केर आज्ञा के पालन क निर्जला एकादशी के व्रत केने छलथि। जाहिके परिणाम स्वरूप प्रातः होइत होइत भीम सज्ञाहीन भ गेलथि तहन पांडव गंगाजल, तुलसी चरणामृत प्रसाद, द के हुनकर मुर्छा दुर केलनि। ताहिलेल अहि के भीमसेन एकादशी सेहो कहल जाइत अछि।
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