देवोत्थान एकादशी पूजन मंत्र - देव उठाओन मंत्र
( Devutthana Ekadashi Mantra, Dev Uthaun Mantra ):-
ब्रह्मेन्द्ररुद्ररभिवन्द्यमानो भवानुषिर्वन्दित वन्दनीयः।
प्राप्ता तवेयं किलकौमुदाख्या जागृष्व जागृष्व च लोकनाथ॥
मेघा गता निर्मल पूर्णचन्द्रः शारद्यपुष्पाणि मनोहराणि।
अहं ददानीति च पुण्यहेतो जागृष्व च लोकनाथ॥
उत्तिष्ठोतिष्ठ गोविन्द त्यज निन्द्रां जगत्पते।
त्वय चोत्थीय मानेन उत्थितं भुवनत्रयम्॥
प्राप्ता तवेयं किलकौमुदाख्या जागृष्व जागृष्व च लोकनाथ॥
मेघा गता निर्मल पूर्णचन्द्रः शारद्यपुष्पाणि मनोहराणि।
अहं ददानीति च पुण्यहेतो जागृष्व च लोकनाथ॥
उत्तिष्ठोतिष्ठ गोविन्द त्यज निन्द्रां जगत्पते।
त्वय चोत्थीय मानेन उत्थितं भुवनत्रयम्॥
तदर्थ भगवान के जगेबाक मंत्र :-
ऊँ ब्रह्मेन्द्र रुद्रैरभिवन्द्यमानो भवान ऋषिर्वन्दितवन्दनीय:।
प्राप्तां तवेयं किल कौमुदाख्या जागृष्व-जागृष्व च लोकनाथ।।
मेघागता निर्मल पूर्ण चन्द्र: शरद्यपुष्पाणि मानोहराणि।
अहं ददानीति च पुण्यहेतोर्जागृष्व च लोकनाथ।।
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द! त्यज निद्रां जगत्पते।
त्वया चोत्थीयमानेन उत्थितं भुवनत्रयम्
ऊँ ब्रह्मेन्द्र रुद्रैरभिवन्द्यमानो भवान ऋषिर्वन्दितवन्दनीय:।
प्राप्तां तवेयं किल कौमुदाख्या जागृष्व-जागृष्व च लोकनाथ।।
मेघागता निर्मल पूर्ण चन्द्र: शरद्यपुष्पाणि मानोहराणि।
अहं ददानीति च पुण्यहेतोर्जागृष्व च लोकनाथ।।
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द! त्यज निद्रां जगत्पते।
त्वया चोत्थीयमानेन उत्थितं भुवनत्रयम्
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