मधुबनी : मिथिलाक केंद्र बिन्दु रहबाक कारण सौराठ के धरती पवित्र मानल जाइत अछि। जनक वंश के राजा के सेहो अहि ग्राम सं सम्बद्ध रहबाक जनश्रुति प्रचलित अछि।
प्राचीन अछि शिवलिंग : मधुबनी जिला मुख्यालय सं लगभग सात किलोमीटर पश्चिमोत्तर दिशा मे मधुबनी - पोखरौनी रोड पर मैथिल ब्राह्मण के वैवाहिक सभास्थल विश्व प्रसिद्ध सौराठ सभा गाछी सं एक किलोमीटर उत्तर एकटा खरंजा सड़क कात मध्य गाँव मे प्रसिद्ध सोमनाथ महादेव केर मंदिर अवस्थित अछि ( Somnath Mahadev Saurath Madhubani ) । जे अपन प्राचीनता आ विशिष्टताक कारण सदियों सं विख्यात अछि। ईशान कोण मे किछ दूर हैट के श्मशान भूमि अछि। दु टा पवित्र नदि के बीच अवस्थित मैथिल ब्राह्मण के सभागाछी आ प्राचीन सोमनाथ महादेव मंदिर रहबाक कारण अहि गामक ख्याति और बेसी बैढ़ गेल अछि। मंदिर छोट अछि । पुरना देवालय ध्वस्त भ चुकल अछि। प्राचीन मंदिर के स्थान पर मंदिर के पुनर्निर्माण ग्रामीणक सहयोग सं भेल अछि।
कुंड मे स्थापित अछि शिवलिंग : मंदिर के मध्य मे एकटा कुंड मे शिवलिंग स्थापित अछि। शिवलिंग के अधिकाश हमेशा जलकुंड मे डूबल रहल श्रद्धालु के रहस्यमय आ अचरज भरल लागैत अछि। मंदिर ऊंचगर मे स्थित अछि और कमला आ जीवछ नदि दूर बहैत अछि, तैइयो कुंड मे जल के भरल रहनाय लोग के उत्सुकता के बढ़ाबैत अछि । तीन फुट नमहर चौड़गर आ गंहिर कुंड मे लगभग दस इंच व्यास के कारी प्रस्तर के शिवलिंग के मात्र ऊपरका कनि हिस्सा ज'लक ऊपर देखाय परैत अछि। शिवलिंग के ऊपरका भाग उर्ध्वमुख चन्द्राकार आ कटावदार अछि। बीच मे एकटा सूक्ष्म दरार रेखा लम्बवत नीच्चा दिस गेल देखाइत अछि।
लोक आस्था : इ मंदिर कहिया बनल एकर कुनो प्रमाण नै अछि। 'सौराष्ट्रे सोमनाथं च' के आधार पर विद्वान लोग अहिके सौराष्ट्र के शिवलिंग बुझय छथि। जे मुसलमानी आक्रमण के समय गुप्तरूप सं पुजारि द्वारा देवता के भ्रष्ट होबाक भय सं एतय आनल गेल। अहि स्थान पर घनगर जंगल रहब आ दुनू दिस पवित्र नदी के बीच सुरक्षा के दृष्टि सं एतय स्थापित कैल गेल। गुजरात सं सुदूर इ स्थान सुरक्षित जैन के शिव केर सचल साकेतिक मूर्ति के एतय स्थापित कैल गेनाइ व्यावहारिक सेहो लागय अछि। यैह कारण अहि क्षेत्र के सौराष्ट्र कहल जाय लागल और शिव सोमनाथ केर रूप मे प्रसिद्ध भेलथि।
कोना पहुंचब : एतय जेबाक लेल मधुबनी मुख्यालय सं बस आ आन बाहन द्वारा अहाँ एतय पहुंच सकै छिं।
कोना पहुंचब : एतय जेबाक लेल मधुबनी मुख्यालय सं बस आ आन बाहन द्वारा अहाँ एतय पहुंच सकै छिं।
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