मिथिला धरोहर : मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ धाम वर्षों सँ श्रद्धालु केर आस्था और श्रद्धाक केन्द्र रहल अछि मनोकामना लिंगक रूप मे भक्तक बीच ख्याति पेने बाबा केर महिमाक प्रसिद्धि सब साल बढैते जा रहल छैन। ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता केर अनुसार बाबा गरीबनाथ धाम केर तीन सौ साल पुरान इतिहास रहल अछि। मुदा भेटल दस्तावेजक अनुसार 1812 ई. मे अहि स्थान पर छोटका मंदिर मे बाबा केर पूजा-अर्चना होइत रहल अछि।
बाबा गरीबनाथ केर प्रादुर्भाव के किछु कथा :-
पहिल कथा
मान्यता छैक जे सातटा पीपड़क गाछ एतुका घनगर जंगल मे छलै। पीपड़क गाछ काटैत समय एकटा लकड़हारा मजदूरक कुल्हाड़ीक प्रहार सँ शिवलिंग के प्राकट्य भेल अछि। शिवलिंग पर एखनहु कटल के निशान अछि। गरीबनाथ जन के नामे पर, "गरीबनाथ बाबा" नाम पड़लनी। कहल जाइत अछि कि, शिवलिंग पर कुल्हाड़ी के वार पड़िते, लिंग सँ रक्त के धार निकलय लागल छल।
दोसर कथा
मुजफ्फरपुर शहर मे एकटा साहूकार छल जेकर व्यवसायक देख-रेख एकटा मुंशी जी करैत छल। मुंशी जी बाबा गरीबनाथ केर परम भक्त छल। एकाएक साहूकार के व्यवसाय मे घाटा लागल और मुंशी जी के नौकरी चैल गेल।
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मुंशी जी अपन पत्नी और विवाहित पुत्री के संग जीवन जी रहल छला। मुंशी जी के पुत्री के विवाह एकटा संपन्न घराना मे भेल छल, समयक संगे पुत्रीक द्विरागमनक दिन निकट आबि रहल छल मुदा अहि काजक लेल धन के वयवस्था नै भ पाइब रहल छल। मुदा मुंशी जी नियमपूर्वक मंदिर आबैत छला और बाबा केर विधिपूर्वक पूजा करैत छला। पुत्रीक द्विरागमनक हेतु मुंशी जी अपन जमीन बेचबाक निश्चय केलनि मुदा अहि दिन निबंधक के नै एला सँ मकानक रजिस्ट्री नै भऽ सकल। मुंशी जी बड़ दुखी मन सँ घर लौटला और पत्नी के सबटा कथा सुलैथ। पत्नी आश्चर्य सँ मुंशी जी दिस देखलनी और कहली जे किछ देर पहिले तऽ अहाँ पकवान बनेबाक सबटा समान ,गहना ,कपड़ा राइख मंदिर गेल छलु।
इ सबटा द्विरागमनक सामान स्वं बाबा गरीबनाथ मुंशी भक्त के एतय पहुचेने छलखिन और फेर मुंशी जी धूमधाम सँ पुत्री के द्विरागमन केलनि। चुकि मुंशी जी गरीब छला और बाबा गरीब के कल्याण केलनि ताहिलेल बाबा के नाम गरीबनाथ पैर गेलनि।
तेसर कथा
चारिम कथा इ अछि जे एक दिन भोरे बाबा केर आरती भऽ रहल छलैन और आरती के समये वट-वृक्षक तना सँ लटकल एकटा सर्प ता धरि झूलैथ रहल जा धरि आरती ख़त्म नै भऽ गेल, आरती ख़त्म भेलाक उपरांत सर्प अदृश्य भऽ गेल। अहि स्थिति के फोटोग्राफ मंदिरक रिकॉर्ड मे उपलब्ध अछि।
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चारिम कथा
आगिल कथा, एकटा ट्रेन ड्राईवर छल जे बाबा के अनन्य भक्त छला। शिवरात्रि के दिन ड्राईवर मंदिर एला। बाबा केर पूजा कऽ हुनक आँखि लगी गेल और ओ सूइत रहला। ओहि दिन हुनका ट्रेन लऽके मुजफ्फरपुर सँ बाहर जेबाक छल। जेखन हुनक नींद खुजल तऽ ओ बहुते घबरा गेला और ओ स्टेशन फ़ोन केलैथ फ़ोन पर स्टेशन सँ जानकारी भेटल जे ओ ड्राईवर जे सुइत गेल छल ट्रेन लऽके मुजफ्फरपुर सँ बाहर जा चुका अछि। इ किछ नै बल्कि बाबा स्वयं ट्रेन ड्राईवर के रूप मे गेल छला। अहि अद्भुत चमत्कार सँ ड्राईवर अतेक प्रभावित भेला जे ओ रेलवे सेवा सँ त्यागपत्र दऽ बाबा केर सेवा मे दिन-राइत लागि गेला।
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