सहरसा : राजा विराट के धरती सोनबरसा प्रखंड के विराटपुर गांव में अवस्थित मां चंडिका स्थान अहि इलाका के धरोहर अछि। ( Chandi Sthan Biratpur, Saharsa ) एतय महाभारत काल अज्ञातवास के दौरान पांडव सेहो माँ केर पूजा-अर्चना केने छलथि। एतय पुरातत्व विभाग के खुदाई में हजारों वर्ष पुरान अवशेष भेटी चुकल अछि। कहल जाइत अछि जे इ मंदिर हजारों वर्ष पुरान अछि और माँ चंडी एतय स्वयं अंकुरित भेल छलथि।
मान्यता अछि जे महाभारत काल के दौरान जखन पांडव के अज्ञातवास करय पड़ल छलनी, ओहि समय पांडव आयल छलथि। ओहि दौरान पांडव माँ चंडी के पूजा-अर्चना केने छलथि। बहुते दिन धरिक पूजा-अर्चना के उपरांत माँ ने प्रसन्न होकर पांडवों को विजयश्री का आर्शीवाद दिया था और पांडवों ने महाभारत युद्ध में विजयश्री भी हासिल की थी।
इ सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध सिद्धपीठ में सं एक आ जाग्रत अवस्था में अछि। जे माँ चण्डिका स्थान के नाम सं प्रचलित अछि। मंदिर अतेक विशाल अछि जे दु कि०मी० के दूरी सं एकर गुम्बद दिखाय दै लागय अछि। मंदिर सं सटल विशाल वटवृक्ष ऐछ जे मंदिर आ लगपासक जगह के छायादार राखैत अछि। लगपासक आबादी कम भेलाक कारण इ स्थल अत्यंत शांत और सुन्दर आ वातावरण स्वच्छ अछि।
मंदिरक समीप एकटा पोखरी ऐछ जेकरा जीवछ कुण्ड कहल जाइत छैक। मान्यता छैक जे नि:संतान स्त्री अहि कुंड में स्नान क मंदिर के पुजारी सं आदेश पुष्प ल के माँ चण्डी केर पुजा अर्चना करैत छथि, हुनका अवश्ये संतान प्राप्ति होइत अछि। विशाल मंदिरक ऊंचाई 52 हाथ अछि। लगभग 20 हाथक ऊंचाई पर मंदिरक चारु दिस स्तूप बनायल गेल अछि। जे नव दुर्गा केर प्रतीक अछि। मंदिरक गर्भगृह में माँ चण्डिका केर प्रतिमाक अलाबा महिषासुर मर्दिनी तथा अष्टभुजा दुर्गा के प्रतिमा अछि। अहि स्थल के सबसं विचित्र बात इ अछि जे माँ चण्डिका केर प्रतिमा के बगल में एकटा छोट सन जलकुंड अछि। जेकर निकासी बाहरक दिस नै अछि। भगवती केर केतबो रास जल चढ़ायल जाइन तैओं जलकुंड क जलस्तर हैरदम एक समान रहैत अछि। कहल जाइत अछि जे एतय चढ़ायल गेल जल गुप्त मार्ग सं महिषी के उग्रतारा आ खगड़िया जिलाक स्थित माँ कात्यायनी धरि पहुंच जाइत अछि। अहि तरहे मात्र एतय पूजन केला सं तीनों स्थान के भगवती केर पूजनक फल भक्तजन के प्राप्त होइत अछि। एतय सालों भरी प्रत्येक मंगल दिन के विशेष पूजा अर्चना होइत अछि। दशहरा पर्व में सब दस दिन भव्य मेला मे दूर-दूर सं आयल भक्त के भीड़ रहैत अछि।
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