मिथिला धरोहर : मिथिला में आदिशक्ति जगदम्बा के कतेको प्रसिद्ध धार्मिक स्थान उपस्थित अछि एहने स्थान मे सं एक अछि मधुबनी जिला अंतर्गत मधेपुर के पचही गामक (Pachahi Village, Madhepur Block in Madhubani District ) माँ चामुण्डा स्थान ( Chamunda Sthan Pachahi )। जप-तप करबाक लेल सेहो ई स्थान एतेक रमणीय अछि जेकर अनुभूति एतय अबिते कोनो श्रद्धालू-साधक केँ होइत अछि। नितांत शांत आ निर्जन वन सदृश एहि स्थान मे प्रवेश करितहि चंचल मन स्थिरताकेँ प्राप्त करैत अछि। शायद यैह कारण छैक जे आइयो एहिठाम साधक लोकनिक हुजुम नित्य पूजा-दर्शन लेल दूर-दूर प्रदेश सँ अबैत अछि।
किम्बदन्ती छै जे सैकड़ो बरख पूर्व एकटा विद्वान ब्राह्मण छलाह हुनका तीनटा पुत्री छलनि जयमंगला, जयदुर्गा आ चामुण्डा सभ दिन भोर में पिताजी के पूजा हेतु फूल तोड़ै लेल जाई छली। एक दिन यवन राजकुमार शिकार हेतु ओम्हरे गेल तीनू बहिन के देख पाछु केलक तीनू बहिन भगली किन्तु ओ सब घोड़ा पर छल। जखन ओ सब देखली जे आब नै बचब तऽ धरती माता सं आग्रह कयल हे माँ! आहाँ हमरा अपन शरण में लिय नै ते इ उद्दण्ड हमरा अपवित्र कऽ देत माँ धरती इ करूण पुकार सुनि फैट गेली आ ओ तीनू बहिन ओई में समा गेली।
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बिलंब भेला पर पिता ताकय लगलैथ तऽ जंगल दिश देखला जे केश बाहर में छै तऽ ध्यान केला सौं सब बात सं अवगत भऽ गेला। अकाल मृत्यु के समाधानकऽ लेल ओ ईश्वर सं हठ केला तऽ गंगा स्वयं अवतरित भऽ हुनका तीनू बहिन के मुक्त केलनि। ओही स्थान कऽ नाम चामुण्डा स्थान परल। पहिने तऽ ओहीठाम फूसघरे छल आब ग्रामीण सब इ मंदिरक निर्माण केलनि। एखनो स्थान आ मधेपुर कऽ बीच चर में सब दिन जल जमाव रहै छै कहबी छै जे गंगा जे एलखिन वैह जल नै सुखै छै आ ओ स्थान सिद्ध पीठ भेल भक्त सत हृदय सं जे कामना करई छथि पूर्ण होई छैक।
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एहि तपोभूमि मैयाजीक स्थान मे सालों भरि विभिन्न प्रकारकऽ धार्मिक अनुष्ठान चलिते रहैत अछि। कहियो सवा लाख महादेवक पूजन तऽ कहियो सामूहिक कुमारि-ब्राह्मण भोजन, वार्षिक शक्ति पूजा दुर्गा पूजा कैल जाइत अछि।
जय मां चामुण्डा ।मां चामुण्डा स्थान बहुत ही पवित्र स्थान है। मुझे भी मां का आशीर्वाद मिला है। मां के आशीर्वाद से काम शुरू किए। मंदिर के मेन स्टील दरवाजा रंगने का काम दिए श्री विश्वनाथ चाचा जी।जो कि 16000 की लागत लगी उसमे हम 8000 सहयोग किए।8000 मुझे विश्वनाथ जी देने को कहे की दरवाजा रंग दीजिए हम पैसा आपको देंगे ।हम ही इस मंदिर का कोसा अध्यक्ष हैं ।हम उनके कहने पर दरवाजा रंग दिए।लेकिन उसके बाद विश्वनाथ जी मुझे पैसा नही दिए।और फोन भी नहीं रिसिव्ड करते हैं।
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