शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

कुच-जुग अंकुर उतपत् भेल - लिरिक्स

रचनाकार - श्री विद्यापति

कुच-जुग अंकुर उतपत् भेल।
चरन-चपल गति लोचन लेल।।

अब सब अन रह आँचर हाथ।
लाजे सखीजन न पूछय बात।।

कि कहब माधव वयसक संधि।
हेरइत मानसिज मन रहु बंधि।।

तइअओ काम हृदय अनुपाम।
रोपल कलस ऊँच कम ठाम।।

सुनइत रस-कथा थापय चीत।
जइसे कुरंगिनि सुय संगीत।।

सैसव जीवन उपजल बाद।
केओ नहि मानय जय अवसाद।।

विद्यापति कौतुक बलिहारि।
सैसव से तनु छोडनहि पारि।।

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