झाँखथिन जनकजी रिषि
आब सीता रहली कुमारी गे माई
आऽबऽ हे वशिष्ट मुनि दिनमा विचारहु
सीता के लगन बड़ उताहूल गे माई
गाय के गोबर, अंगना निपायल
सोनमा के कलश गरायल के माई
आबहो बजनिया भईया बजबा बजाबहु
सीता के होइता बियाह गे माई
दान करय लऽ बैसलन, दान करय लऽ बैसलन
बाबा जनक ऋषि
मोती जंका झहरय नोर गे माई
बेटबा जे रैहिता बेटी खेलिते बियाहितौं
बेटी के बियाहल ने जाय गे माई
सोनमा जे रिहिता बेटी फेर सं गरहबीतौं
सिनुर फेरल नही जाई गे माई
सिनुर फेरल नही जाई गे माई
इसका हिन्दी में अर्थ अगर हो तो और भी अच्छा होगा।
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