स्वर्ण सिनूर दूल्हा धीरे सऽ उठाउ हे
दशरथ जी के बबुआ
धीरे धीरे लली के लगाउ हे
दशरथ जी के बबुआ
लाज ने करू दुलहा हृदय के सम्हारू
हे दशरथ जी के बबुआ
जल्दी सँ करू सिन्दूरदान हे
दशरथ जी के बबुआ
कँपैत कर के करू स्थिर हे
दशरथ जी के बबुआ
लली के हृदय लगाउ हे
दशरथ जी के बबुआ
इहो पढ़ब :-
ليست هناك تعليقات:
إرسال تعليق
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !