الأحد، 18 مايو 2025

मैथिली पंचांग 2025 - 2026 - Mithila Panchang 2025-26


पाबनिक नामजुलाई 2025
देवशयनी एकादशी6 जुलाई, रविदिन
अषाढ़ी एकादशी6 जुलाई, रविदिन
मधुश्रावणी पूजारम्भ12 जुलाई, शनिदिन
भदबा आरम्भ13 जुलाई, रविदिन
मौना पंचमी  15 जुलाई, मंगलदिन
मनसा देवी देव्युत्थान पूजन 15 जुलाई, मंगलदिन
मासांत, भदबा समाप्ति 16 जुलाई, बुधदिन
मधुश्रावणी व्रत, संक्रांति27 जुलाई, रविदिन
नागपंचमी29 जुलाई, मंगलदिन


पाबनिक नामअगस्त 2025
भदबा आरम्भ1 अगस्त
श्रीधर द्वादशी  7 अगस्त
रक्षाबंधन 9 अगस्त
भदबा समाप्ति 14 अगस्त
मासान्त 16 अगस्त
कृष्णाष्टमी व्रत 17 अगस्त
कुशोत्पाटन, भाद्री अमावस्या23 अगस्त
चौठचन्द्र पूजा, हरितालिका व्रत  26 अगस्त


पाबनिक नामअक्टूबर 2025
इन्द्रपुजा आरम्भ 4 सितम्बर
भदबा आरम्भ (रा. 11:25)5 सितम्बर
अनन्त डोरक 14 व्रत6 सितम्बर
अगस्त्या अर्घ्य दान 7 सितम्बर
पितृपक्ष आरम्भ, महाल आरम्भ8 सितम्बर
भदबा समाप्ति (रा. 7:43)10 सितम्बर
ओठगन13 सितम्बर
जीमूतवाहन व्रत (जितिया)14 सितम्बर
जीमूतवाहन व्रत पारण, मातृनवमी 15 सितम्बर
विश्वकर्मा पूजा 17 सितम्बर
पितृपक्ष अंत21 सितम्बर
कलशस्थापना 22 सितम्बर
बेलनौती, भदबा आरम्भ (दि. 7:10)28 सितम्बर
निशा पूजा29 सितम्बर


पाबनिक नामअक्टूबर 2025
विजयानवमी, देवी विसर्जन 2 अक्टूबर
कोजगरा6 अक्टूबर
भदबा समाप्ति (रा. 3:42) 7 अक्टूबर
करक तृतीया 10 अक्टूबर
धनतेरस18 अक्टूबर
काली पूजा, दियावाती,20 अक्टूबर
सोमवती अमावस्या, उल्का भृमण20 अक्टूबर
भरद्वितीया, चित्रगुप्त पूजा23 अक्टूबर
नहाय खाय, अरबा अरबाइन25 अक्टूबर
छठि व्रतक खरना 26 अक्टूबर
छठि व्रतक सांझुक अर्धदान27 अक्टूबर
सामा चकेबा पूजा आरम्भ28 अक्तूबर
भदबा आरम्भ (दि. 2:51)29 अक्टूबर
अक्षयनवमी 30 सितम्बर


पाबनिक नामनवम्बर 2025
देवोत्थान एकादशी1 नवम्बर
श्री दामोदर द्वादशी2 नवम्बर
विद्यापति स्मृति दिवस3 नवम्बर
भदबा समाप्ति (दि. 12:01)4 नवम्बर
सामा विसर्जन, कार्तिक पूणिमा,5 नवम्बर
बीड पँचमी, विशहरा पूजन10 नवम्बर
विवाह पँचमी15 नवम्बर
भदबा आरम्भ (रा. 10:24)22 नवम्बर
नवान्न पार्वण, षा० रविव्रत रम्भ23 नवम्बर
भदबा समाप्ति (रा. 8:01)30 नवम्बर


पाबनिक नामदिसम्बर 2025
गीता जयंती 1 दिसम्बर
मासांत15 दिसम्बर
दशतारका आरम्भ,
पौषी आमावस्या
19 दिसम्बर
दशतारका अंत21 दिसम्बर
भदबा आरम्भ (रा. 5:54)23 दिसम्बर
भदबा समाप्ति (रा. 4:03)28 दिसम्बर


पाबनिक नामजनवरी 2025
मकर संक्रांति 14 जनवरी
नरक निवारण व्रत 17 जनवरी
माघी मौनी अमावस्या 18 जनवरी
नवरात्रारम्भ, कलशस्थापना 19 जनवरी
भदबा आरम्भ (दि. 1:26) 20 जनवरी
सरस्वती पूजा, बसंत पंचमी 23 जनवरी
अचला सप्तमी 24 जनवरी
भदबा समाप्ती (दि. 12:02) 24 जनवरी
विजय दशमी, देवी विसर्जन 28 जनवरी

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الجمعة، 16 مايو 2025

Madhushravani Puja Date 2025 - मैथिल नवविवाहिता के पाबैन मधुश्रावणी पूजा कहिया सं छी 2025 मे

मधुश्रावणी पूजा व्रत 2025 आरम्भ 12 जुलाई 2025, समाप्त मधुश्रावणी व्रत 27 जुलाई 2025 (मैथिली पंचांग अनुसार)

मिथिला धरोहर : मिथिलाक नवविवाहिता केर सुहागक पाबैन मधुश्रावणी पूजा (Madhusarwani Puja 2025 )  12 जुलाई 2025, शनिदिन सं मिथिला मे शुरू होयत। सदि सँ अखंड सौभाग्य आ पति के दीर्धायु हेबाक कामना करैत मिथिला के नवविवाहिता श्रावण कृष्ण पंचमी सँ श्रावन शुक्ल तृतीया धरि पूर्ण आस्थाक संग मधुश्रावणी व्रत करै छथि। एक पखवारा धरि चलय वला अहि पाबैन के ओना तऽ सब वर्गक लोग मानैत अछि, मुदा मिथिला के मैथिल बाहम्ण मे अहि पाबैन के खास महत्व छैक। 
नव विवाहिता के विवाहक पहिल सावन मे अहि पाबैन के मनेबाक परंपरा अछि। श्रावण् कृष्ण चौथ तिथि सँ मधुश्रावणी पूजय वाली नवविवाहिता जिनका पवनैतिन कहल जाइत अछि, अगिला दिन के पूजाक लेल सखि - सहेलीक संग फुल लोढ़ी के लाबैत छथि, अहि दौरान नव विवाहिता द्वारा गाबल जाय वाली श्रृंगार आ भक्ति रस के गीत सँ गांमक बगिया, मंदिर, स्कूल महैक उठैत अछि। अहि गीतक माध्यम सँ भगवान शंकर के खुश करबाक प्रयास कैल जाइत अछि। 

नागपंचमी के दिन कोहबर घर यानी जाहि घर मे विवाहक विधी भेल रहैत छैक, ओहि घर के गाय के गोबर सँ निप कऽ ओहिपर सेनुर पिठार सँ नागिन आ विषहरी के चित्र बना कऽ ओहिपर माटीक बनल नाग देवता के स्थापित कैल जाइत अछि। नवका वस्त्र आ गहना सँ  सुसज्जित नव विवाहिता पूजा करबाक लेल बैठय छथि। महिला पुरोहित लौकिक मंत्र द्वारा  सावधि पूजा कराबय छथि। पूजाक उपरांत पवनैतिन अपन हाथ मे लाल कपड़ा मे बान्हल धानक पोटरी जेकरा बिन्नी कहैत छैक, ओकरा  लऽके कथा सुनय छथि। प्रथम दिनक कथा मे नाग पंचमी के महत्व के बताओल जाइत अछि।कथाक उपरांत महिला पुरोहित बिन्नी नामक एकटा विशेष पद के पाठ करय छथि। अहि दौरान नव विवाहिता ठाड़ भऽ के नाग देवता पर फुल चढ़ाबय छथि। नाग पंचमी के पांच् टा अहिबाति के तेल-सेनुर आ खोईचा दऽ हुनका बगैर नूनक भोजन कराओल जाइत अछि।
लोगक कहब छैक जे सृष्टि आरंभक समये सँ मिथिला मे अहि पाबैन के मनायल जाइत छैक। मिथिला केर नव विवहिता लेल अहि पाबैन के खास महत्व छैक। 15 दिनक पूजा के अवधी मे नव विवाहिता के दु दिन नागपंचमी ( Nag Panchami ) के कथा सुनाओल जाइत अछि, शेष 13 दिन सावित्री, सत्यवान, शंकर पार्वती, राम सीता, कृष्ण राधा आदि देवता केर कथा सुनाओल जाइत अछि। अहि देवता केर कथा सुनेबाक भाव इश्वर पूजाक संगेह गृहस्थ जीवन मे आबय बला बाधा सँ से मुक्ति के सीख देबाक होइत छैक।ताकि नव विवाहिता अपन दांपत्य जीवनक सुखी पूर्वक निर्वहन कऽ सकय।

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السبت، 5 أبريل 2025

सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै लिरिक्स Sunai Chaliye Bhola Bada Dayalu Lyrics

Sunai Chaliye Bhola Bada Dayalu Lyrics
कुंज बुहारी मिश्रा मैथिली शिव भजन

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, 
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, 

सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार 
सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार 

अँगने अँगने भीख मांगै छै
लेने मरुआ धान गे, लेने मरुआ धान गे,
खाय नै मेवा पूरी मिश्री
भांगक रकटल प्राण गे, भांगक रकटल प्राण गे, 
गरवा में सोभय सांपक हार गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार 
हो....सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै गे बहिना
दुखिया के करै उद्धार...

सिर पर जटा विशाल दसो दिश
समेट-समेट लेपटौने गे, समेट-समेट लेपटौने गे,
भाल चंद्रमा तिलक वीराजय 
जगमग ज्योत जगाने गे, जगमग ज्योत जगाने गे, 
जटवा सं बहै गंगा धार गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार 
हो....सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै गे बहिना
दुखिया के करै उद्धार...

नीलकण्ठ अधहर शुव शंकर 
तपशी रूप बनौने गे, तपशी रूप बनौने गे
हाथ मे डिम डिम डमरू बजाय
अंग में भस्म लगौने गे, अंग में भस्म लगौने गे, 
नागवा छोराय छै फुफकार गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार 
हो....सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार
हो....दुखिया के करै उद्धार...।

स्वर : कुंज बिहारी मिश्रा

छोटी मोटी टूटली मडैय्या में गौरी दाई लिरिक्स Chhoti Moti Tutli Maraiya Lyrics

छोटी मोटी टुटली मडैय्या में गौरी दाई,
कोना के रहथिन हे
कोना के रहथि, कते दुख सहति
छोटी मोटी टुटली मडैय्या में गौरी दाई,
कोना के रहथिन हे

हमरो गौरी दाई बर सहलोला
कोना के पिसथी भांगक गोला
पैर जेतैन हाथो में लोड़ही के ठेला
भांग कोना के पिसती हे
छोटी मोटी टुटली मडैय्या में गौरी दाई,
कोना के रहथिन हे

शिव जी दु धुर भांगक बारी
कोना कऽ करता खेती पथारी
धिया पुता के पेटो बखारी
गौरी कोना के भरति हे
छोटी मोटी टुटली मडैय्या में गौरी दाई,
कोना के रहथिन हे

अपने महादेव गेला मसानी
के देतैन बसहा के गूरा आ सानि
भूत प्रेतक डरे भवानी संगे कोना के रहथिन हे
छोटी मोटी टुटली मडैय्या में गौरी दाई,
कोना के रहथिन हे

गीतकार : महाकवि विद्यापति

الجمعة، 21 فبراير 2025

भरदुतिया (भ्रातृ द्वितीया) मंत्र - Bhardutiya Mantra Maithili

भाई-बहिनक प्रेमकऽ प्रतीक भरदुतिया (भ्रातृ द्वितीया) कऽ पर्व दीवाली कऽ दू दिनक बाद, कार्तिक मासक शुक्ल पक्ष केर द्वितीया तिथि केँ मनाओल जाईत अछि। एही पर्व में बहिन भाई केँ निमंत्रण दऽ केँ अप्पन घर बजावैत छथि। अरिपन बना कऽ पिड़ही पर भाई केँ बैसायल जाईत अछि। ललाठ पर पिठार आ सिंदुरक ठोप कऽ, पान सुपारी भाई केँ हाथ में दकेँ बहिन एही पन्ती केँ उचारण करैत छथि - 

मिथिला के भरदुतिया मंत्र :-

"गंगा नोतय छैथ यमुना के,  हम नोतय छी भाई केँ 
जहिना जहिना गंगा-यमुना केँ धार बहय, हमर भाय सबहक औरदा बढ़य" 

الخميس، 20 فبراير 2025

बाबा कोन कलम सँ लिखलौं हमर कपार यौ लिरिक्स - Baba Kon Kalam Sa Likhalau Lyrics

बाबा कोन कलम सँ लिखलौं हमर कपार यौ
फसलौं हम मजधार यौ ना
बाबा कोन कलम सँ घसलौं हमर कपार यौ
फसलौं हम मजधार यौ ना

माथा नाचय सदखन काल,
दुख सं रहै छी बेहाल, 
माथा नाचय सदखन काल,
दुख सं रहै छी बेहाल, 
कष्टक लागल रहै आठोधरि भरमार यौ
फसलौं हम मजधार यौ ना

क्यो नहि सुनय हमर ई बतिया,
सोचिते फाटत रहय छतिया,
क्यो नहि सुनय हमर ई बतिया,
सोचिते फाटत रहय छतिया,
बिपति परल ऐछ माथा पर अपार यौ
फसलौं हम मजधार यौ ना

रहल अपनेहि टा पर आस,
बनब अहि केर हम दास,
रहल अपनेहि टा पर आस,
बनब अहि केर हम दास,
मणिकांत सरण में आयल करियौ ने उधार यौ
फसलौं हम मजधार यौ ना
बाबा कोन कलम सँ लिखलौं हमर कपार यौ
फसलौं हम मजधार यौ ना
बाबा कोन कलम सँ लिखलौं हमर कपार यौ
फसलौं हम मजधार यौ ना

الأحد، 2 فبراير 2025

मैथिली सरस्वती लोकगीत लिरिक्स - मैथिली सरस्वती वन्दना

सरस्वती वन्दना - 1

जयति जय जय ज्ञानदात्री जयति शुभ्र वस्त्रा 
जयति जय जय जगतव्यापणि जयति ज्ञान स्वरुपा,
अज्ञानके अन्धकार हटाउ माँ, ज्ञान ज्योति देखाउ हे माँ । 
श्वेतपद्मासना सुशोभिता, जयति मंगलाकारणी
जयति विद्यादायनी माँ, विद्या करियाँ प्रदान है माँ
मनवाञ्छित फल दिय हे मैया, कलजोरी करै छी प्रार्थना ॥


सरस्वती वन्दना - 2

“हे ! जग जननी ,मातु शारदे , बुद्धि ज्ञान भण्डार भरू माँ !
दास केँ नहि कखनहुँ बिसरू माँ ,  अज्ञानक अन्हार  हरू माँ !
भव केर माया बिचरि रहल छी ,गरिमा ज्ञानक कोष भरू माँ ।
मोह जाल  तुअ बिसरि रहल छी ,भाव बंधन मे ससरि रहल छी ,
महासरस्वती हे ,कुल देवी ,हे ,वरदायिनी ,दया करू माँ ।


सरस्वती वन्दना - 3

महाभाग्यवती मैया आऊ पुन हे मैया अहाँ आऊ पुनः हे मैया।
वेद वेदान्त वेदांग विद्या स्वरुपा मैया

सवदेवता सँ वन्दिता अहां थिकौ हे मैया । 
अयलहुँ शरण अहाँ के विद्या दिय हे मैया अहां के विद्या दिय हे मैया........!


सरस्वती वन्दना - 4

हे उदार बुद्धिवाली बुद्धि स्वरुपा मैया, 
अज्ञानताक अन्धकार अहां हटाउ मैया। 
अएलहू शरण अहां के बुद्धि दिय हे मैया अहां बुद्धि दिय हे मैया।

श्वेत कमलासन ज्ञानस्वरुपा मैया, 
हे विशाल नेत्रवाली ज्ञानदात्री मैया। 
ज्ञानरुपी ज्योती अहां देखाउ मैया, अहां देखाउ मैया। 
जगतव्यापिणी छी आद्या थिक हे मैया,
मञ्जुल मूखवाली ब्रम्हाप्रिया छी मैया
विणा के सूरसं माँ जगके लुभाउ मैया, जग के लुभाउ मैया । 

स्वर लय तालमात्रा किरण ने किछु जनैया
सवहोय है माँ सुखी कलजोरिक कहैया 
दियौ माँ सबके आशिष रहियौ माँ प्रसन्न रहियाँ माँ प्रसन्न रहियौ।


सरस्वती गीत- 5

हंसपर स्वेत कमल आसन ताहि उपर सरस्वती॥
शुभवस्त्र के धारण कयने वीणा सँ शुशोभिता ।
हंसपर स्वेत कमल आसन ताहि उपर सरस्वती।

दहिन हाथमे स्फटिक माला वाम हाथ पोथी नेने। 
हंसपर स्वेत कमल आसन ताहि उपर सरस्वती।
ब्रम्हा विष्णु महेश जिनकर सदत स्तुती बंदिता। 
सदा प्रशन्न रहु किरण पर दिअ अभय वरदान सबके। 
हंस पर स्वेत कमल आसन ताही उपर सरस्वती।

السبت، 1 فبراير 2025

मिथिला पद्धतिक अनुसार सरस्वती पूजा विधि मंत्र सहित - Mithila Saraswati Puja Vidhi Mantra

-: सरस्वती पूजा-विधि :-

पूर्व दिन निरामिष एकभुक्त कए प्रतिमा आदि पूजा - सामग्रीक संकलन करी ।

पूजाक दिन अपन नित्यकर्म कए (सूर्यादिपंचदेवताक आ विष्णुक पूजाकए) कुश, तिल आ जल लए- 

ॐ तत्सत् ॐ विष्णुः विष्णुः ।

संकल्प - ॐ अद्य माघे मकरार्के शुक्लपक्षे पञ्चम्यां
तिथावमुकगोत्रास्यामुकशर्मणः सदारापत्यस्य अतुलविभूतिपुत्रपौत्रादिसद्विद्या- लाभपूर्वकसरस्वतीप्रीतिकामो लक्ष्म्याद्यङ्गदेवतापूजनपूर्वकसरस्वतीपूजन महङ्करिष्ये।। 
प्रतिमा में, घटक जल में, शालग्राम मे, फोटो मे अथवा ऐनामे सरस्वती कें स्नान कराए।

सां एहि मन्त्र सँ मूर्ति में आँखिक स्पर्श कए, आँखि दए तीन बेरि प्राणायाम करी।

मूर्तिक हृदय पर दहिना हाथ दए वामा हाथ सँ कच्छप- मुद्रा बनाए एहि मन्त्र सँ ध्यान करी ।

ॐ तरुण- शकलमिन्दोर्बिभ्रती शुभ्रक्रान्तिः । 
कुचभर - नमिताङ्गी सन्निषण्णा सिताब्जे ।
निजकर-कमलोद्यल्लेखनीपुस्तकश्रीः । सकलविभवसिद्ध्यै पातु वाग्देवता नः ।।

ध्यान कए प्राणप्रतिष्ठा करी । तेकुशा हाथ मे लए नीचाँ लिखल मन्त्र पढी ।

ॐ आँ ह्रीं क्रीं यं रं लं वं शं षं सं हौं हं सः श्रीसरस्वतीदेव्या इह प्राणाः । 
ॐ आँ ह्रीं क्रीं यं रं लं वं शं षं सं हौं हं सः श्रीसरस्वतीदेव्या इह प्राणाः ।
ॐ आँ ह्रीं क्रीं यं रं लं वं शं षं सं हौं हं सः श्रीसरस्वतीदेव्या इह स्थितिः । 
ॐ आँ ह्रीं क्रीं यं रं लं वं शं षं सं हौं हं सः इह श्री सरस्वतीदेव्याः सर्वेन्द्रियाणि ।

ॐ आँ ह्रीं क्रीं यं रं लं वं शं षं सं हौं हं सः श्रीसरस्वतीदेव्या वाङ्मनः चक्षुः श्रोत्रघाणप्राणा इहागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा । 

ॐ मनोजूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमन्तनोत्वरिष्टं यज्ञं समिमन्दधातु विश्वेदेवास इह मादयन्तामोम् प्रतिष्ठ ॥ ॐ सरस्वतीदेवि ! इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठिता भव ॥

ॐ अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च । अस्यै देवत्वसंख्यायै स्वाहा ॥

देवीक हृदय पर हाथ धेने सां ई मूलमन्त्र तीन बेरि जप कए, देवीक शरीरक अङ्गन्यास आ करन्यास कए, ऐँ एहि बीज सँ संनिरोधनी मुद्रा देखाबी आ सां एहि मूलमन्त्रसँ पुष्पाञ्जलि दी।

-: कलश स्थापना :-

तखनि आसन पर बैसि कलश स्थापित करी। जल छीटि, बीचमे पूजा करी।

आवाहन - अक्षत लए, ॐ कलशाधारशक्ते इहागच्छ इह तिष्ठ ।

जल - एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ कलशाधारशक्तये नमः ।

श्रीखण्ड चानन - इदमनुलेपनं कलशाधारशक्तये नमः। 
रक्तचानन - इदं रक्तचन्दनम् कलशाधारशक्तये नमः।
रोली - इदं कुङ्कुमं कलशाधारशक्तये नमः। 
सिन्दूर - इदं सिन्दूरं कलशाधारशक्तये नमः। 
अक्षत- इदमक्षतं कलशाधारशक्तये नमः। 
फूल - एतानि पुष्पाणि कलशाधारशक्तये नमः।
नैवेद्य - एतानि नानाविधनैवेद्यानि कलशाधारशक्तये नमः । 
आचमन - इदमाचमनीयं कलशाधारशक्तये नमः । पुष्पाञ्जलि - एष पुष्पाञ्जलिः कलशाधारशक्तये नमः । 
भूमिक स्पर्श कए, ॐ भूरसि भूमिरसि अदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्री । पृथिवीं यच्छ पृथिवीं ह पृथ्वीं मा हिंसीः । 

गायक गोबरसँ निपबाक मन्त्र- ॐ मानस्तोके तनये मान आयुषि मानो गोषु मानोऽअश्वेषुरीरिषः । मानोव्वीरान् रुद्रभामिनोव्वधीर्हविष्मन्तः सदभित्त्वा हवामहे ।

गंगाजल छिटबाक मन्त्र - वेद्या वेदिः समाप्यते बर्हिषा बर्हि इन्द्रियम् । यूपेन यूपआप्यते प्रणीतोऽअग्निरग्निना ।।

एकर बाद एहि पर पिठारसँ अष्टदल कमल बनाबी। कमलक बीच में धान अथवा जौ राखी, तकर मन्त्र- धान्यमसि घिनुहि देवान् प्राणय त्वोदानाय त्वा व्यानाय त्वा । दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणि: प्रतिगृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि ।

खाली कलश रखबाक मन्त्र - ॐ आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्वन्दवः

पुनुरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्त्रं धुवोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशाद्रयिः । कलश पर दही आ अक्षतक लेप करी । तकर मन्त्र- ॐ दधिक्राव्णोऽअकारिषं जिष्णोरश्वस्य वाजिनः । सुरभि नो मुखाकरत्प्रण आयूंषि तारिषत् ।

लोटासँ कलश में जल भरबाक मन्त्र- ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्कम्भ सर्ज्जनीस्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद ।

पंचरत्न - ॐ सरलानि दाशुषे अरातिसहिता भगो भाग्यन्य तत्र मीमहे ।

सप्तमृत्तिका - ॐ उद्धृतासि वराहेण कृष्णेन शतबाहुना । नमस्ते सर्वदेवानां प्रभुवारिणि सुव्रते । 

सर्वौषधी- ॐ या ओषधीः पूर्व्वा जाता देवेभ्यस्त्रियुगं पुरा । मनैनु बभ्रूणामहं शतं धामानि सप्त च ।

श्रीखण्ड चानन- ॐ गन्धद्वारां दुराधर्षा नित्यपुष्टां करीषिणीम ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपहये श्रियम् ।

सुपारी- ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः । बृहस्पति प्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्वं हसः ॥

पंचपल्लव अथवा केवल आमक पल्लव- ॐ अम्बे अम्बिके अम्बालिके न मानयति कश्चनः । ससस्त्यश्वकः सुभद्रिकाम् काम्पीलवासिनीम् । दूबि - ॐ काण्डात् काण्डात् प्ररोहन्ती परुषः परुषस्परि । एवानो दूर्वे प्रतनु सहस्रेण शतेन च ।

गंगाजल - ॐ इमम्मे वरुण श्रुधीहवमदद्या च मृडय त्वामवस्युराचके । गंगाद्याः सरितः सर्वाः समुद्राश्च सरांसि च । 
सर्वे समुद्राः सरितः सरांसि दलदायकाः ।
आयान्तु यजमानस्य दुरितक्षयकारकाः 

ॐ आपो हि ष्ठा मयोभुवः, ता नऽऊर्जे दधातन । महे रणाय चक्षसे । ॐ यो वः शिवतमो रसः, तस्य भाजयतेह नः । उशतीरिव मातरः । ॐ तस्माऽअरंगमामवो, यस्य क्षयाय जिन्वथ । आपो जन यथा च नः । 

पानक पात - ॐ प्राणाय स्वाहा । ॐ अपानाय स्वाहा । ॐ व्यानाय स्वाहा । 
पाइ - ॐ हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेकासीत । स दाधार पृथ्वीं ध्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम । 
नारिकेर - ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः । बृहस्पति प्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्वं हसः ।

वस्त्र - ॐ युवा सुवासाः परिवीत आगात् स उ श्रेयान् भवति जायमानः । तं धीरासः कवय उन्नयन्ति स्वाध्यो मनसा देवयन्तः । 
कलशक कात अरवा चाउर भरल ढकना राखी- ॐ धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणयत्वोदानाय त्वा व्यानाय त्वा । दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वरू सविता हिरण्यपाणिरू प्रतिगृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि ।

ओहि धान पर दीप राखी- ॐ अग्निर्ज्योतिः ज्योतिरग्निः स्वाहा। सूर्यो ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा। अग्निर्वर्चो ज्योतिर्वर्चः स्वाहा। सूर्यो वर्चो ज्योतिः वर्चः स्वाहा । ज्योतिः सूर्यः सूर्यो ज्योतिः स्वाहा । 

दही आ अक्षत लए कलशक स्पर्श करैत- ॐ मनोजूतिर्जुषता माज्यस्य बृहस्पति र्यज्ञमिमं तन्नोत्वरिष्टं यज्ञं समिमं दधातु । विश्वे देवास इह मादयन्तामों

प्रतिष्ठ। कलशस्थितगणेशादिदेवता इह सुप्रतिष्ठिता भवन्तु । ॐ कलशस्थितगणेशादिदेवताभ्यो नमः एहि मन्त्रसँ कलश पर पूजा करी ।
।। इति कलशस्थापन विधि ।।

कलश स्थापित कए विघ्नापसारण करी । पयरक एंडी पर तीन बेरि थपकी दए, तीन बेरि ताली बजाए, आँखि कड़ा कए चारूकात देखि, ॐ फट् एहि मन्त्रसँ तीन बेरि ताली बजा कए दसो दिशा मे चुटकी बजाबी । चानन आ फूलसँ हाथ के शोधित कए नाराच मुद्रासँ ओकरा ईशानकोण में फेंकि आसन पर बैसी -
ॐ पृथ्वीति मन्त्रस्य मेरुपृष्ठ ऋषिः, सुतलं छन्दः, कूर्मो देवता आसनोपवेशने विनियोगः ॥

ॐ पृथ्वि त्वया धृता लोका: देवि त्वं विष्णुना धृता । त्वं च धारय मां नित्यं पवित्रं कुरु चासनम् । ॐ आधारशक्तिकमलासनाय नमः ।

एहि तरहें आसनक पूजा कए - 
ॐ अस्त्राय फट् ई मन्त्र पढ़ेत पूर्व अथवा उत्तरमुख बैसि
वाम भागमे ॐ गुरुभ्यो नमः। 
दहिन भागमे ॐ गणेशाय नमः । 
सोझाँमे - ॐ सरस्वत्यै नमः । एहि मन्त्रसँ एक एक फूल राखी । तकर बाद ऋष्यादिन्यास करी - 
बिचला तीन आँगुरसँ माथक स्पर्श करी- ॐ ब्रह्मणे ऋषये नमः । 
बिचला तीन आँगुरसँ मुखक स्पर्श करी ॐ गायत्रीच्छन्दसे नमः । 
बिचला तीन आँगुरसँ हृदयक स्पर्श करी- ॐ ऐं सरस्वतीदेवतायै नमः । तकर बाद ऐं एहि बीजमन्त्रसँ तीन बेरि प्राणायाम कए कराङ्गन्यास करी । यथा -
आं हृदयाय नमः || बिचला तीन आँगुरसँ हृदयक स्पर्श करी ई शिरसे स्वाहा । बिचला तीन आँगुरसँ माथक स्पर्श करी ॐ शिखायै वषट् । बिचला तीन आँगुरसँ टीकक स्पर्श करी ऐं कवचाय हुम्। दूनू हाथक बिचला तीन आँगुरसँ उलटा कए दूनू कान्हक स्पर्श करी । (दहिना हाथसँ वामा कान्ह आ वामा हाथसँ दहिना कान्ह । )

ॐ नेत्रत्रयाय वौषट् । अनामिका सँ वामा आँखि, मध्यमासँ भोंह आ तर्जनीसँ दहिना आँखिक स्पर्श करी ।

घुमाए वामा तरहत्थी पर अः अस्त्राय फट् ।। दहिना हाथ के पाँछा दिस सँ बिचला तीन आँगुरसँ थपडी बजाबी ।

एहि प्रकारें करन्यास कए यथाशक्ति प्राणायाम कए सामान्यार्घ स्थापित करी। अपन वामा कात में रक्त चाननसँ त्रिकोण लीखि, फूल, अक्षत चाननसँ पूजा करी।

ॐ आधारशक्तये नमः । ॐ अनन्ताय नमः । ॐ कूर्माय नमः, ॐ पृथिव्यै नमः । एहि प्रकारें पूजा कए, ओतए शंखक बैसना राखि, फट् एहि मन्त्रसँ शंख कें ओहि बैसना पर स्थापित कए शंखक तीन भाग जलसँ भरि,

अंकुश मुद्रासँ - 
ॐ गङ्गे च यमुने चौव गोदावरी सरस्वती ।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेस्मिन् संनिधिं कुरु ।

तीर्थक आवाहन कए

सां एहि मन्त्रसँ ओहि में चानन, पूल, अक्षत दए, धेनुमुद्रा देखा कए आठ बेरि सां जपि, ओहि जलसँ अपना कें आ आनो सामग्री कें सिक्त कए दी।

तखनि पंचोपचारसँ निम्नलिखित देवताक पूजा करी 
सूर्य - भगवन् सूर्य इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवते श्री सूर्याय नमः। इदमनुलेपनं भगवते श्री सूर्याय नमः। इदं रक्तचन्दनम् भगवते श्री सूर्याय नमः। इदं कुङ्कुमं भगवते श्री सूर्याय नमः। इदमक्षतं भगवते श्री सूर्याय नमः। एतानि पुष्पाणि भगवते श्री सूर्याय नमः। एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवते श्री सूर्याय नमः। इदमाचमनीयं भगवते श्री सूर्याय नमः। एष पुष्पाञ्जलिः भगवते श्री सूर्याय नमः ।

विष्णु - भगवन् विष्णो इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवते श्री विष्णवे नमः । इदमनुलेपनं भगवते श्री विष्णवे नमः । एते यवतिलाः भघवते श्रीविष्णवे नमः । एतानि पुष्पाणि भगवते श्री विष्णवे नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवते श्री विष्णवे नमः । इदमाचमनीयं भगवते श्री विष्णवे नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवते श्री विष्णवे नमः ।

शिव - भगवन् शिव इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवते शिवाय नमः । इदमनुलेपनं भगवते शिवाय नमः । इदं रक्तचन्दनम् भगवते शिवाय नमः । इदं कुङ्कुमं भगवते शिवाय नमः । इदमक्षतं भगवते शिवाय नमः । एतानि पुष्पाणि भगवते शिवाय नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवते श्री शिवाय। इदमाचमनीयं भगवते शिवाय नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवते शिवाय नमः ।

दुर्गा - भगवति दुर्गे देवि इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । इदमनुलेपनं भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । इदं रक्तचन्दनम् भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । इदं कुङ्कुमं भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः। एदं सिन्दूरं भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । इदमक्षतं भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । एतानि पुष्पाणि भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । इदमाचमनीयं भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवत्यै दुर्गादेव्यै नमः।

अग्नि - भगवन् अग्निदेव इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवते अग्निदेवाय नमः । इदमनुलेपनं भगवते अग्निदेवाय नमः । इदं रक्तचन्दनम् भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । इदं कुङ्कुमं भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । इदमक्षतं भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । एतानि पुष्पाणि भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । इदमाचमनीयं भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवते भगवते अग्निदेवाय नमः ।

केशव - भगवन् श्रीकेशव इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवते श्रीकेशवाय नमः । इदमनुलेपनं भगवते श्रीकेशवाय नमः। एते यव-तिलाः भगवते श्रीकेशवाय नमः । एतानि पुष्पाणि भगवते श्रीकेशवाय नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवते श्रीकेशवाय नमः । इदमाचमनीयं भगवते श्री केशवाय नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवते श्रीकेशवाय नमः ।

कौशिकी - भगवति कौशिकि देवि इहागच्छ इह तिष्ठ । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ भगवत्यै कौशिक्यै नमः । इदमनुलेपनं भगवत्यै कौशिक्यै नमः । इदं रक्तचन्दनम् भगवत्यै कौशिक्यै नमः । इदं कुङ्कुमं भगवत्यै कौशिक्यै नमः । इदं सिन्दूरं भगवत्यै कौशिक्यै नमः । इदमक्षतं भगवत्यै कौशिक्यै नमः । एतानि पुष्पाणि भगवत्यै कौशिक्यै नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि भगवत्यै कौशिक्यै नमः। इदमाचमनीयं भगवत्यै कौशिक्यै नमः । एष पुष्पाञ्जलिः भगवत्यै कौशिक्यै नमः ।

आदित्यादिनवग्रह - आदित्यादिनवग्रहाः इहागच्छत इह तिष्ठत। एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । इदमनुलेपनं आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । इदं रक्तचन्दनम् आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । इदं कुङ्कुमं आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । इदमक्षतं आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । एतानि पुष्पाणि आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । इदमाचमनीयं आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः । एष पुष्पाजलि: आदित्यादिनवग्रहेभ्यो नमः ।

इन्द्रादिशदिक्पाल - इन्द्रादिदशदिक्पालाः इहागच्छत इह तिष्ठत । एतानि पाद्यार्घाचमनीय स्नानीयपुनराचमनीयानि ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । इदमनुलेपनं ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । इदं रक्तचन्दनम् ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । इदं कुङ्कुमं ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । इदमक्षतं ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । एतानि पुष्पाणि ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । एतानि नानाविधनैवेद्यानि ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । इदमाचमनीयं ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः । एष पुष्पाञ्जलिः ॐ इन्द्रादिदशदिक्पालेभ्यो नमः ।

तखनि लक्ष्मीक ध्यान करी-
ॐ पाशाक्षमालिकाम्भोज शृणिभिर्याम्यसौम्ययोः  ।प्रसनास्थां ध्यायेच्च श्रियं त्रैलोक्यमातरम् । गौरवर्णा सुरूपाञ्च सर्वालङ्कारभूषिताम् । रौक्मपद्मव्यग्रकरां वरदां दक्षिणेन तु । 
ध्यान कए पाद्य आदि उपलब्ध वस्तुसँ ॐ लक्ष्मीदेव्यै नमः एहिसँ पूजा कए,

ॐ लक्ष्मीदेव्यै नमः ई दस बेरि जप करी ।
ॐ नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरिप्रिये ।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्त्वदर्चनात् । 
एहिसँ पुष्पाञ्जलि दए स्तोत्र आदि पाठ कए लक्ष्मीकें प्रणाम करी ।


-: सरस्वतीक पूजा :-

ध्यान - ॐ तरुणशकलमिन्दोर्बिभ्रती शुभकान्तिः ।
कुचभर - नमिताङ्गी सन्निषण्णा सिताब्जे ।
निजकर - कमलोद्यल्लेखनीपुस्तकश्रीः । सकलविभवसिद्धयै पातु वाग्देवता नः ।। 
ध्यान कए अपन माथ पर एकटा फूल राखि मनहिं मन सरस्वतीक पूजा करी । तकर बाद, ॐ ऐं भगवति सरस्वति स्वकीयगणसहिते इहागच्छ इहागच्छ, इह तिष्ठ, इह सन्निधेहि इह सन्निरुद्धा भव, अत्राधिष्ठानं कुरु, मम पूजां गृहाण स्थां स्थों स्थिरा भव ॥

एहिसँ आवाहन कए - 
जल - इदं पाद्यम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

अर्घ्य - एषोर्घ्यः ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । ( अरघा में जल, चानन, अक्षत, दूबि, दूध, दही, कुशक अगिला भाग, पीरा सरिसब, तिल दए ) 
जल - इदमाचमनीयम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

जल - इदं स्नानीयम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः

जल - इदं पुनराचमनीयम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । वस्त्र - इदं शुक्लवस्त्रं वृहस्पतिदैवतम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

श्रीखण्ड चानन - इदमनुलेपनम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

सिन्दूर - इदं सिन्दूरम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

अबीर- इदम् अबीरकं ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । अक्षत इदमक्षतम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।
फूल - एतानि पुष्पाणि ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । 
आमक मज्जर - इदम् आम्रमञ्जरीकं ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।
माला - इदं माल्यम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । 
आभूषण - इदं भूषणम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।
सौन्दर्य-प्रसाधन - एतानि नानाविधसौन्दर्यप्रसाधनानि ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।
धूप - एष धूपः ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।

दीप - एष दीपः ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । 
नैवेद्य - एतानि नानाविधनैवेद्यानि ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । फल - एतानि नानाविधफलानि ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । पकमान- एतानि नानाविधपक्वान्नानि ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः । 
जल - इदमाचमनीयम् ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।
फूल - ॐ पुष्पं मनोहरं दिव्य सुगन्धं देवनिर्मितम् । हृद्यमभुतमायं देवि! तत् प्रतिगृह्यताम् ॥ एष पुष्पाञ्जलिः ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः एहि प्रकारें षोडशोपचारसँ सरस्वतीक पूजा करी ।
तकर बाद पुस्तक पर ॐ पुस्तकाय नमः एहि मंत्रसँ पञ्चोपचारसँ पूजा करी ।

मोसिदानी पर ॐ मस्याधाराय नमः । एहि मंत्रसँ पञ्चोपचारसँ पूजा करी ।

कलम पर ॐ लेखन्यै नमः । एहि मंत्रसँ पञ्चोपचारसँ पूजा करी । 
चक्कू पर ॐ सर्वशस्त्रेभ्यो नमः । एहि मन्त्रसँ पञ्चोपचारसँ पूजा करी । 
ॐ अस्त्रेभ्यो नमः । एहि मंत्रसँ पञ्चोपचारसँ पूजा करी । आरती कए पुष्पाञ्जलि दी

ॐ यथा न देवो भगवान् ब्रह्मा लोकपितामहः । त्वां परित्यज्यं सन्तिष्ठेत्तथा भव वरप्रदा ।। वेदा: पुराणशास्त्राणि नृत्यगीतादिकं च यत् । न विहीनं त्वया देवि तथा मे सन्तु सिद्धयः ।। विशदकुसुमतुष्टा पुण्डरीकोपविष्टा धवलवसनवेशा मालतीबद्धकेशा । शशधरकरवर्णा सुभ्रताटङ्ककर्णा जयति जितसमस्ता, भारती वेणुहस्ता । 
पुष्पाञ्जलिक बाद प्रणाम करी 
ॐ सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमोनमः । वेदवेदान्तवेदाङ्गविद्यास्थानेभ्य एव च ( स्वाहा ) । । 
एहिसँ प्रणाम कए प्रार्थना करी । 
ॐ लक्ष्मीर्मेधा धरापुष्टिगौरी तुष्टिः प्रभा धृतिः । एताभिः पाहि तनुभिरष्टाभिर्मा सरस्वति ।। रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भवगति ! देहि मे । धर्मान् देहि धनं देहि सर्वाविद्याः प्रदेहि मे ॥ सा मे वसतु जिह्वायां वीणां पुस्तकधारिणी । मुरारिवल्लभा देवि ! सर्वशुक्ला सरस्वती ।। भद्रकाल्यै नमो नित्यं सरस्वत्यै नमो नमः । वेदवेदान्त- वेदाङ्ग विद्यां देहि नमोस्तु ते ।। 
एहिसँ प्रार्थना कए प्रणाम करी ।

नाच-गान करैत दिन-राति बिताए, भोरे विसर्जन करी । तखनि कुश, तिल आ जल लए -
ॐ कृतैतत्साङ्गसपरिवार सरस्वती पूजनकर्म-प्रतिष्ठार्थमेतावद्दव्यमूल्यक - हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे । ब्राह्मणकें दय दी।

।। इति सरस्वतीपूजाविधिः॥

الخميس، 28 نوفمبر 2024

यौ हम सासुरे में रहबै लिरिक्स - Hum Sasure Main Rahbai Lyrics

JUNI KARIYO HAMRA VIDA LYRICS

जुनी करियौ हमरा विदा, यौ हम सासुरे में रहबै
जुनी करियौ हमरा विदा, यौ हम सासुरे में रहबै
अपना महारानी जी के चरण दबेबै
यौ हम सासुरे में रहबै
अपना महारानी जी के चरण दबेबै
यौ हम सासुरे में रहबै
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै

सासु ससुरजी के टहल बजेबै
यौ हम नित उठि भोरे
सासु ससुरजी के टहल बजेबै
यौ हम नित उठि भोरे
बनिबै मुंहलगुआ घर जमाई 
हम सासुरे में रहबै
बनिबै मुंहलगुआ घर जमाई 
हम सासुरे में रहबै
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै

भोरे भोरे दूध मिसरी और के पियौतै
यौ मोर ससुआ बेशी
भोरे भोरे दूध मिसरी और के पियौतै
यौ मोर ससुआ बेशी
के सटतै छ नौ के सचार
मोर ससुआ बेशी
के सटतै छ नौ के सचार
मोर ससुआ बेशी
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै

कोहबर में बैस मिठ गप्प के लड़ेतै
यौ छोड़ि सारी सरहोजिनी
कोहबर में बैस मिठ गप्प के लड़ेतै
यौ छोड़ि सारी सरहोजिनी
दस पांच नवयुती सं मिलान
यौ आन करौतै
दस पांच नवयुती सं मिलान
के आन करौतै
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै

ऐहन सुथाम सासुर और कहां पायब
यौ इ मिथिला नगरिया
ऐहन सुथाम सासुर और कहां पायब
यौ इ मिथिला नगरिया
लेबै नै कहियो गामक नाम
यौ इ मिथिला नगरिया
लेबै नै कहियो गामक नाम
छोड़ि मिथिला नगरिया
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै

हमरा सब गाम पर दुरदुर करैया
यौ हम लोक अकाजक
हमरा सब गाम पर दुरदुर करैया
यौ हम लोक अकाजक
कियौ नै कहैया मिठ बोल 
मोर सासुर के छोड़ि क
कियौ नै कहैया मिठ बोल 
मोर सासुर के छोड़ि क
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै

जुनि कानू जुनि खीजू पाहुन लजौउआ
यौ अहां सासुरे में रहियौ
जुनि कानू जुनि खीजू पाहुन लजौउआ
यौ अहां सासुरे में रहियौ
राखब हम आंचर तर नुका
यौ अहां घर नै जइयौ
राखब हम आंचर तर नुका, यौ अहां घर नै जइयौ
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै
राखब हम आंचर तर नुका, यौ अहां घर नै जइयौ
जुनी करियौ हमरा विदा, हम सासुरे में रहबै
राखब हम आंचर तर नुका, यौ घर घुरि नै जइयौ

स्वर- हेमकांत झा

الاثنين، 25 نوفمبر 2024

भोला के देखेला बेकल भैलै जियरा लिरिक्स - Bhola Ke Dekhela Bekal bhaile jiyara Lyrics

भोला के देखेला बेकल भैलै जियरा-3

के चढ़ावे अक्षत चंदन के बेला पतिया-2
के चढावे आहो भोला धतूरा के पतिया-2
भोला के देखेला बेकल भैलै जियरा...

पंडित चढ़ावे पान फूल पुजरिन बेला पतिया-2
हम चढाइव आहो भोला धतूरा के पतिया-2
भोला के देखेला बेकल भैलै जियरा

के मांगे अन धन के मांगे देहिया-2
के मांगे आहो भोला दर्शन देब कहिया-2
भोला के देखेला बेकल भैलै जियरा...

पंडित मांगे अन धन पुजारिन मांगे देहिया-2
हम मांगी आहो भोला दर्शन देब कहिया-2
भोला के देखेला बेकल भैलै जियरा...

स्वर: शारदा सिन्हा