नूतन वसन गीत
नूतन वसन पिताम्बर, कटि कस पावन हे।
पीत जनेऊ सुमंगल परम सुहावन हे।।
अलिगन कहि मृदु वचन करथि परतारन हे।
जकिकरू लाल मनावन उठिकरू धारन हे।।
विहँसि कहल एक नारी ललन करू लाजन हे।
छाडू कुलक निज रीति तखन करू चायन हे।।
लखि पुरहित असमंजस देल अनुशासन हे।
उठि उठि पहिरल वस्त्र हरष हिय लालन हे।।
स्नेहलता हँसि कहथिन कयल विचारन हे।
अहाँ मानल विप्रक बात अवश किछु कारण हे।।
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