ऊँचेरे मड़ऊवा चढ़ी बेठसला श्रीध्वज बाबा,
धिया लेला जाँघिया चढ़ाए गे माई।
एक दिश निरखे बाबा धिया हे श्री जानकी,
एक ओर निरखे जमाई गे माई
मइया सुनैना के धिरजो न रहलैन,
धीया लेल हिया में लगाय गे माई।
थर थर काँपे बेटी मुँहमो न खोलय,
अँखिया से झहरत लोर गे माई।
कहत कहावत बाबा परम विरागी,
सुधि बुधि गेल बिसराय गे माई ।।2।।
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