गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024

गौरी हमर कसुरबा हे लिरिक्स - Gauri Hamar Kasurba He Lyrics Shiv Bhajan

गौरी हमर कसुरबा हे
माफ करथि शंकर सौं कहबनि हमर कसुरबा हे 
अपन शुभाशुभ कर्म दोषसँ सभटा भोग भोगइ छी

जेहि विधि रखने छथि बमभोला तेहिना हमहुँ रहइ छी
जे जीवनमे कहियो ने देखल, से सभ आब देखइ छी
बितल घड़ी सभी याद परैयै, तदपि ने चेत रखै छी
 
जनिका-जनिका अप्पन बुझल, से विरान भय गेला 
आइ बुझड़ छी अइ दुनिया मे, सब स्वारथ के खेला

थाकल तन-मन थाकल पैरुख, आब होइछ पछतावा 
स्नेहलता बुझि पड़ल आब जे, हमर अपन छथि बाबा

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