मण्डप परिक्रमा गीतक लिरिक्स -
दुलहा मण्डप के करू परिकरमा
तिरथ भेत अपने के।
तीन वेर परिकरमा करियौ
शक्ति मिलन के सुमिरन करियौ
मण्डप से सिखु कुल धर्मा तीरथ भेल अपने के
ई मण्डप प्रभु सफल बनाओत
दम्पति के कर्तव्य सिखओत
मण्डप से सीखू कुल धर्मा, तीरथ भेल अपने के
चलू दुलहा अब देर न करियों
तीन प्रणाम से स्वागत करियो
गांठ जोड़ि करू भरमण, तीरथ भेल अपने के
घुमि घुमि स्नेहलता लतराबू
स्नेह के वन्दनवार लगाबू
मंडप रचल विश्वकर्मा जी
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