सखि देखिते बनैत,
जेहन देखल हम शिव के अबैत,
मुँहमे न दाँत एको फकफक हँसैत,
अचरज देखल सिर गंगा बहैत,
तीन गोट आँखि देखल टकटक तकैत,
गरदनिमे लटकल विषधर करैत,
बूढ़े बड़द एक दुब्बर टगैत,
तेहि पर चढ़ल बूढ़ भांग छकैत,
देखल कपिलदेव बड़ के अबैत,
नांगड़ लुल्ह सब भटभट खसैत
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