गुरुवार, 14 मार्च 2019

परबत पर शिवजी खेलथि होरी लिरिक्स - Parvat Par Shivji Khelthi Hori Lyrics

परबत पर शिवजी खेलथि होरी।

अपनहि हाथ भांग पिबि भोला, 
सबके पियाबथि बरजोरी। 
भूत-पिशाचिनि-डाकिनि-शाकिनि, 
गाबथि फाग भेल भोरी। 

झोंकल शंभु अबीरक बदला, 
विभुति उठा झोरी-झोरी।
सबके आँखि कान-मुँह भरि गेल, 
आपस उठल कपर फोड़ी। 

स्नेहलता शिव रूसि पड़यला,
गौरी मनाबथि करजोरी। 
देखि तपस्या घोर अति भेला प्रकट महेश । 
धाय धयल रानी सहित चरण कमल मिथिलेश ।।

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