गुरुवार, 25 जुलाई 2019

पहुनमा मोर, सखि अँखिया में बसलै लिरिक्स - Pahunma Mor Sakhi Ankhiyan Mein Baslai Lyrics

पहुनमा मोर, सखि अँखिया में बसलै॥धु्रव॥

रूपरस-नदिया में आनन्द-लहरिया।
सहजे सहज मोर कुल लाज भँसलै॥1॥

रस-रस नस-नस सिथिल सजनियाँ।
प्रीति नगिनियाँ अंग-अंग डसलै॥2॥

छवि-केरऽ जाल सखि सुन्दर सजन के।
मन के मिरिग हँसि-हँसि कसि फँसलै॥3॥

चोट चितचोर करे तीर चितवनियाँ।
काजर-जहरबा-भरल हिया धँसलै॥4॥

पातहीन काँटमय कुटिल ‘करील’ तरु।
रंग भरि चिर-नव मधुरित हँसलै॥5॥

लोक धुन - ताल-दादरा

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