शनिवार, 9 अगस्त 2025

Chaurchan Puja 2025 in Mithila - Chauth Chandra Puja 2025

मिथिला धरोहर : भादव मासक शुक्ल पक्षक चतुर्थी (चौठ) तिथिमे साँझखन चौठचन्द्र कऽ पूजा होइत अछि जकरा लोक चौरचन पाबनि कहै छथि। एहि बेरा इ पावनि 26 अगस्त (2025) के परत। एहि समय चन्द्रमा कनी काल रहि कऽ डूबि जै छथि। एहि दुर्लभताकऽ कारणेँ लोकमे प्रचलित अछि जे कोनो व्यक्ति के बहुत दिनपर देखबापर कहै छथि जे अहाँ तँ ‘अलखख चान’ (अलक्ष्य चान) भऽ गेलहुँ। पुराणमे प्रसिद्ध अछि जे चन्द्रमा कऽ एहि दिन कलंक लागल छलनि। तेँ एहि समयमे हुनख दर्शनकेँ दोषापूर्ण मानल जैत अछि। मान्यता अछि जे एहि समयक चन्द्रमाकऽ दर्शन करबापर फूसिकऽ कलंक लगैत अछि। एहि दोषक निवारण करबाक लेल "सिंह: प्रसेन" वला मन्त्रक पाठ कैल जैत अछि।

चौरचन पूजा 2025 मे 26 अगस्त, 2025 के अछि।
Chaurchan Puja 2025 Date: 26 Aug 2025, मिथिला पंचांग अनुसार

ई मिथिला सँ भिन्न प्रान्तक व्यवहार थिक। मिथिलामे भादवकऽ इजोरियाकऽ चौठमे मिथ्या कलंक नञि लागय ताहि हेतु रोहिणी सहित चतुर्थी चन्द्रक पूजा होइत अछ।



एहि पावनि सँ जुरल एकटा कथा अछि जे एक बेर गणेश भगवान केर देखि चन्द्रमा हँसि देलैथ, एहिपर ओं चन्द्रमा के सराप देलैथ जे अहाँ कऽ देखबा सँ लोक कलंकी होयत। तखन चन्द्रमा भादव शुक्ल चतुर्थी मे गणेशक पूजा केलनि। ओं प्रसन्न भऽ कहलथिन:- अहाँ निष्पाप छी, जे व्यक्ति भादव शुक्ल चतुर्थीकेँ अहाँक  पूजा कऽ ‘सिंह प्रसेन...’ मन्त्रसँ अहाँक दर्शन करत तकरा मिथ्या कलंक नञि लगतै ओकर सभ मनोरथ पूर्ण होयत।
चौठचन्द्र केर पूजा:- ई चतुर्थी सूर्यास्तक बाद अढ़ाइ घण्टा धरिक, लेल जाइछ। जँ तिथि दू दिन एहि समय म पड़य तँ अगिला दिन व्रत ओ पूजा हो। भरि दिन व्रत कऽ साँझखन अंगना मे पिठार सँ अरिपन देल जाइछ। गोलाकार चन्द्र मण्डलपर केराक भालरि (पात) दऽ ओहिपर पकमान, मधुर, पूड़ी, ठकुआ, पिड़ुकिया, मालपूआ पायस आदि राखी। मुकुट सहित चन्द्रमाक मुँहक अरिपनपर केराकऽ भालरि दऽ रोहिणी सहित चतुर्थी चन्द्रक पूजा उज्जर फूल सँ पच्छिम मुहेँ करी। परिवारक सदस्यकऽ संख्यामे पकमान युक्त डाली आ दहीक छाँछी कऽ अरिपनपर राखी। केराक घौर, दीप युक्त कुड़वार (माटिक कलश), लावन आदिकऽ अरिपनपर राखी। एक-एक डाली, दही, केराक घौर उठाऽ ‘सिंह: प्रसेन....’ मंत्रक संग             ‘दधिशंखतुषाराभम्...’ मन्त्र पढ़ि समर्पित करी। प्रत्येक व्यक्ति एक-एक फल हाथमे लऽ ओहि मन्त्र सँ चन्द्रमाकऽ दर्शन कऽ प्रणाम करी। दक्षिणा उत्सर्ग कऽ प्रसाद ग्रहण करी। चन्द्रमण्डलपर राखल प्रसाद कऽ उपस्थित पुरुषवर्ग ओकर चारू भर गोलाकार पंक्तिबद्ध कऽ पातपर फराक-फराक भोजन कऽ ओही ठाम खैद खूनि गाड़ि दी एकरा मड़र भाङब कहल जाईत अछि। चन्द्रमाक आराधना सँ बहुतो व्यक्ति कऽ कामना पूर्ण भेलनि अछि। मिथिलाकऽ विशेष पर्व चौरचन अपना मे एहि ठामक संस्कृति केर अनेक बिन्दु कऽ समेटने अछि।

मंगलवार, 22 जुलाई 2025

कांमर सजेबै बाबा धाम जेबै लिरिक्स - Baba Dham Jebai Kamar Sajebai Lyrics

कांमर सजेबै बाबा धाम जेबै,
कांमर सजेबै बाबा धाम जेबै,
हम सब कांवरिया मिल के, 
हम सब कांवरिया मिल के, 
गेबै बजेबै, 
कांमर सजेबै बाबा धाम जेबै,
कांमर सजेबै बाबा धाम जेबै,

सुल्तानगंज से भरी भरी कांवर उठेबै,
सुल्तानगंज से भरी भरी कांवर उठेबै,
धूप, दीप आरती बाबा के देखेबै,
धूप, दीप आरती बाबा के देखेबै,
बम-बम के नारा लऽ कऽ,
बम-बम के नारा लऽ कऽ,
बाबा लग जेबै,
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,

गंगा जली भरी-भरी कांवर सजेबै,
गंगा जली भरी-भरी कांवर सजेबै,
बाट ऊच नीच बाबा कोना के जेबै
कतेक दुख सही के बाबा, 
कतेक दुख सही के बाबा, 
गंगा जल चढेबै,
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,
हम सब कांवरिया मिल के, 
हम सब कांवरिया मिल के, 
गेबै बजेबै, 
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,
कांवर सजेबै बाबा धाम जेबै,

शारदा सिन्हा मैथिली शिव भजन नचारी लिरिक्स - Sharda Sinha Maithili Shiv Bhajan Lyrics

रविवार, 13 जुलाई 2025

एक सेहेन्ता हमरा मोन में लिरिक्स - मैथिली शिव भजन गीत

एक सेहेन्ता हमरा मोन में 
होय यै बारम बार 
पहुँचितौं बाबा के दरबार...

गंगा सं गंगा जल भरितौं
कांवर लै हम नैन जुराबितौं 
बनितौ सेवक कहार
पहुँचितौं बाबा के दरबार
एक सेहन्ता हमरा मोन में 
होय यै बारम बार 
पहुँचितौं बाबा के दरबार...

कांवर ले के चलल कहरिया 
बनल कांवरिया शिव के भरिया
हर-हर बम-बम नारा लगावबैत
महुँचव शिव के द्वार 
पहुँचितौं बाबा के दरबार...

बूढ़ बरद छैन शिव के सबारी
बैसला दिगम्बर विष के आहारे
चौदह दिसा में घूमी-घूमी देखल
शिव के रूप हजार
पहुँचितौं बाबा के दरबार...

असरन शरण ध्यान हम धेलौ 
अहाँ के शरण मे हम लेपटेलौ
कल जोड़ी विनय करै छी यौ बाबा
कष्ट हरु सरकार
पहुँचितौं बाबा के दरबार...

शुक्रवार, 4 जुलाई 2025

Sohar Geet Lyrics - मैथिली सोहर गीत Lyrics - सोहर मैथिली लोकगीत लिरिक्स

1. देवकी यशोदा दुनू बहिनी लिरिक्स

देवकी यशोदा दुनू बहिनी कि दुनू सहोदर रे
ललना रे, 
मिथिला गोकुल दुइ नग्र कि ताहि बिच जमुना बहू रे
अहि पार देवकी नहाएल, ओहि पार यशोदा रे
ललना रे, दुनू केर भए गेल भेंट दुनू बतिआएल रे
कुशल-पूछय देवकी, यशोदा मुह तोहर मलीन हे
मुह तोहर मलीन बहिनी, वदन तोहर उदास हे
सैह सुनि देवकी के नोर खसु, बदन उदास भइ रे
ललना रे, सात पुत्र दैव देलनि, कंस हरि लेलनि रे
कंस छथि निरवंश, बालक नहि छनि दया धर्म यौ
तेहन वीर अवतार लेतनि, करत हुनको नाश यौ



2. कहमा से आयल पिअरिया लिरिक्स

कहमा से आयल पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो
ललना कहमा से आयल सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो
ललना नैहर से आयल पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो
ललना, सासुर सऽ आयल सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो
ललना रे कहमा धरबै पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो
ललना कहमा में धरबै सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो
ललना झपिया में रखबै पिअरिया, पिअरिया लागल झालर हो
ललना, कोठी पर धरबै सिंघोरबा, सिंघोरबा भरल सिन्दूर हो


3. केबार लागल धनी सोचथि लिरिक्स

केबार लागल धनी सोचथि, माय बाप सुमिरथि रे
ललना रे, उठल पंजरबा मे तीर, कि केकरा जगायब रे
सासु जे सुतल भानस घर, ननदो कोबर घर रे
ललना रे, मोरो पिया सूतल दरबज्जा, कि ककरा जगायब रे
अही अवसर पिया पबितहुँ, झुलफी झुलबितहुँ रे
ललना रे, भइया जी सँ मारि खुअबितहुँ, वेदन वेयाकुल रे
होइत भिनसर पह फाटल, हारिला जनम लेल रे
ललना रे, गाबय सब सोहर गीत, कि ननदो बधैया मांगय रे



4. एक त हम धनि पातरि लिअ

एक तऽ हम धनि पातरि, दोसर गरभ संओ रे
ललना रे, तेसर पिया केर दुलारि, दर्द कोना सहब रे
उठू-उठू नन्दो, दिया लेसू, बाबा के जगाबहु रे
बाबू यौ तोरो पुतहु दरदे बेयाकुल, दगरिन चाही रे
एहि बेर जँओ प्राण बांचत, देव सुख बूझब रे
ललना रे, फेरू ने करब एहन काज, पलंग भीर जायब रे
एहि अवसर पिया पबितहुँ, जुलफी पकड़ितहुँ रे
ललना रे, बन्हितहुँ चंपा फूल डाड़ि, ताहि तर कहितहुँ रे
भेल भिनसर पह फाटल, होरिला जनम लेल रे
ललना रे, गाबय सब सोहर, कि ननदो बधैया माँगय रे



5. पिया सूतल सुख निन्दिया लिरिक्स

पिया सूतल सुख निन्दिया, जगाबहु से ने जागय हे
ललना हे, घेरी आयल करी रे बदरबा, सुन्न घरमे डर लागू हे
बादरि घेरल घनघोर, दामिनि चमकाओल हे
ललना हे, चिहुँकि चिहँकि भेल भोर, बालम नहि जागल हे
सासु ननदिया बरिनियां, असोरबामे जागल हे
ललना हे, बाजय पयरक पैजनियाँ, कि झनाझन उठय हे
दादुर चहुँदिसि बोलय, तन जागय, छतिया धड़कि उठय हे



6बाबा केर अंगना चानन गाछ लिरिक्स

बाबा केर अंगना चानन गाछ उगल तरेगन रे
ललना रे ताहि अवसर होरिला जनम लेल पुत्र बड़ सुन्दर रे
भनसा करैत अहाँ सासु कि सेहो हंसि पूछथि रे
ललना रे पुतहु कओन-कओन फल खयलहुँ पुत्र बड़ सुन्दर रे
पहिने खयलहुँ नारिकेर तखन छोहारा रे
ललना रे तखन खयलहुँ दाड़िम फड़ पुत्र बड़ सुन्दर रे
मचिया बैसलि तोहें गोतनो कि सेहो हंसि पूछथि रे
गोतनो हे कौने व्रत तोहें कयलह कि पुत्र बड़ सुन्दर रे
गंगा पैसि नहयलहुँ हरिवंश सुनलहुँ रे
ललना रे कयलहुँ जे रवि उपवास कि पुत्र बड़ सुन्दर रे
घरबा नीपैते आहे ननदो कि सेहो हंसि पूछथि रे
भउजी हे ककरा-ककरा संग तों गेलह कि पुत्र बड़ सुन्दर रे
पहिने जे गेलहुँ देओर संग तखन ननदोसि संग रे
ललना रे तखन जे गेलहुँ पिया संग तेँ पुत्र बड़ सुन्दर रे
जे इहो सोहर गाओल गाबि सुनाओल रे
ललना रे तिनको बास बैकुण्ठ से पुत्र फल पाओत रे




7. यशोमति अद्भुत लेखल, बालक देखल रे लिरिक्स

यशोमति अद्भुत लेखल, बालक देखल रे
सुन्दर हुनकर गात, कि बात पकठोसल रे
कंस केँ जी थर-थर काँपय, अपन घर पहुँचल रे
पूतना केँ देल विचार, जाहु तोहें गोकुल रे
पूतना थन विष लेल घोरि बिदा भेल गोकुल रे
घर सौं बहार भेली यशुमती, बालक लइली रे
ललना रे, देलनि पूतनाकेँ कोर, बालक बड़ सुन्दर रे
पूतना दूध पिआओल, आओर विष पसारल रे
हरि देलनि दसन बइसाइ, खसल मुरछाई रे



8. जीर सन छथि धनि पातरि लिरिक्स

जीर सन छथि धनि पातरि, फूल सन सुन्दरि रे
ललना रे, तेसर छथि बाबाकेँ दुलारू, दर्द कोना अंगेजत रे

कथी लेल बाबा बिआहलनि, देलनि ससुर घर रे
ललना रे, रहितहुँ बारी कुमारि, दर्द नहीं जनितौं रे

एक पयर देलनि एहरि पर, दोसर देहरी पर रे
ललना रे, तेसरमे होरिला जनम लेल, सब मन हर्षित रे

निक लय बाबा बिआहलनि, देलनि ससुर घर रे
ललना रे, रहितहुँ बारी कुमारि, होरिला कहाँ पबितहुँ रे



9. चैत बैसाखकेँ पुरइनी लिरिक्स

चैत बैसाखकेँ पुरइनी, पुरइनी थइर लहर मारू रे
ललना रे, ताहि तर बेटी जनम लेल, पुरुष बेपक्ष भेल रे
कथीए ओढ़न कथीए पहिरन, कथिए पथ भोजन रे
ललना रे, कथीए जरायब सोइरी घर, पुरुष बेपक्ष भेल रे
गुदड़ी ओढ़न गुदड़ी पहिरन, कोदो पथ भोजन रे
ललना रे, कड़री जरायब सोइरो घर, पुरुष वेपक्ष भेल रे
चैत बैसाखकेँ पुरइनी, पुरइनी थइर लहर मारू रे
ललना रे, ताहि तर होरिला जनम लेल, पुरुष अपन भेल रे
लाले ओढ़न लाले पहिरन, सारिल पथ-भोजन रे
ललना रे, चानन जरायब सोइरी घर, पुरुष अपन भेल रे



10. उतरहि साओन चढ़ल भादव लिरिक्स

उतरहि साओन चढ़ल भादव, चहुदिसि कारी रे
ललना रे, रिमिक-झिमिक मेघ बरिसत, बादल हरखित रे
देवकी दरदे बेयाकुल, दगरिन चाहीअ रे
ललना रे, गोकुल निकट एक नग्र, तहाँ बसु दगरिन रे
जब जन्म लेल यदुनन्दन, बन्हन खुजि गेल रे
ललना रे, खुजि गेल बज्र केबार, पहरू सब सूतल रे
माथ मुकुट कर कंगन, डांरहि घुँघरू बाजु रे
ललना रे, सैह देखि देवकी कानल, देहरी मुरछाइ खसु रे
कीए दैव देलनि, जे कंस हरि लेलनि रे
जूनि कानू अहाँ देवकी, जुनि पछताउ रे
ललना रे, इहो बालक दुखमोचन, ललित अभिलोचन रे
सखि सभ सोहर गाओल, गाबि सुनाओल रे
ललना रे, देवकी भेल बैकुण्ठ, कि पुत्र फल पाओल रे



11. प्रथम गणेश पद गायब, देबता मनाएब हे लिरिक्स

प्रथम गणेश पद गायब, देबता मनाएब हे
ललना हे, जब मोर होइहैं बलकबा, मोहर लुटाएब हे
दोसर मास जब आयल, चित फरिआएल हे
ललना हे, पानक बीड़ा ने सोहाय, मोन अकुलाएत हे
तेसर मास जब आयल, ननदी दान मांगू हे
भउजी हे, हम लेब हाथकेँ कंगनमा, कि सोइरी निपाओनि हे
छठम आओर सातम मास लग आयल हे
ललना हे, गोतनो करथि चौल, किए बबुा सुताओल हे
सातम गेल मास, आठम आएल हे
ललना हे, आठो अंग भारी भय गेल हे
नवम मास जब आयल, होरिला जनम लेल हे
ललना हे, बाजऽ लागल आनन्द-बधैया, महलिया गूंजय सोहर हे



12. पिया चलल परदेश कि आओर दूर देश लिरिक्स

पिया चलल परदेश कि आओर दूर देश बसु रे
ललना रे ककरा कहब दिलकेँ बात चढ़ल मास तेसर रे
सासु चलल नइहर ननदी ससुर घर रे
ललना रे घरबामे देओर नादान चढ़ल मास चारिम रे
बाट रे बटोहिया कि भइया कि तोँहि मोर हित बंधु रे
ललना रे नेने जाहि पियाकेँ समाद चढ़ल मास पाँचम रे
अन्न पानि किछु ने मन भावय जिया डोलय पात रे
ललना रे देह जे लागय सरिसों फूल चढ़ल मास छठम रे
डाँर जे उठय कड़-कड़ देह काँपय थर-थर रे
ललना रे उत्पन्न श्री नन्दलाल चढ़ल मास सातम रे
आठम मास जब आयल आठो अंग भारी भेल रे
ललना रे खने-खने चीर ससरि गेल छने-छने पहिरथि रे
नओम मास जब चढ़ल ननदी हरखि बरजु रे
ललना रे हमहूँ तँ लेब नकबेसरि होरिला खेलाएब रे
दसम मास जब आएल होरिला जनम लेल रे
ललना रे जनम लेल श्री नन्दलाल कि गोकुल आनन्द भेल रे

शुक्रवार, 13 जून 2025

चौठचन्द्र पूजा 2025 : चंद्रोपासनाक पर्व चौठचन्द्र के कथा आ पूजाविधि मंत्र सहित

@मिथिला धरोहर : Chaurchan Puja Vidhi - भादव मासक शुक्ल पक्षक चतुर्थी (चौठ) तिथिमे साँझखन चौठचन्द्र कऽ पूजा होइत अछि जकरा लोक चौरचन पाबनि कहै छथि। एहि समय चन्द्रमा कनी काल रहि कऽ डूबि जै छथि। एहि दुर्लभताकऽ कारणेँ लोकमे प्रचलित अछि जे कोनो व्यक्ति कऽ बहुत दिनपर देखबापर कहै छथि जे अहाँ तँ ‘अलखख चान’ (अलक्ष्य चान) भऽ गेलहुँ। पुराणमे प्रसिद्ध अछि जे चन्द्रमा कऽ एहि दिन कलंक लागल छलनि। तेँ एहि समयमे हुनख दर्शनकेँ दोषापूर्ण मानल जैत अछि। मान्यता अछि जे एहि समयक चन्द्रमाकऽ दर्शन करबापर फूसिकऽ कलंक लगैत अछि। एहि दोषक निवारण करबाक लेल "सिंह: प्रसेन" वला मन्त्रक पाठ कैल जैत अछि।

मिथिला पंचांग अनुसार चौरचन पूजा 2025 मे 26 अगस्त, 2025 के अछि।


ई मिथिला सँ भिन्न प्रान्तक व्यवहार थिक। मिथिलामे भादवकऽ इजोरियाकऽ चौठमे मिथ्या कलंक नञि लागय ताहि हेतु रोहिणी सहित चतुर्थी चन्द्रक पूजा होइत अछ। 

एहि पावनि सँ जुरल एकटा कथा अछि जे एक बेर गणेश भगवान कऽ देखि चन्द्रमा हँसि देलैथ, एहिपर ओं चन्द्रमा कऽ सराप देलैथ जे अहाँ कऽ देखबा सँ लोक कलंकी होयत। तखन चन्द्रमा भादव शुक्ल चतुर्थी मे गणेशक पूजा केलनि। ओं प्रसन्न भऽ कहलथिन:- अहाँ निष्पाप छी, जे व्यक्ति भादव शुक्ल चतुर्थीकेँ अहाँक  पूजा कऽ ‘सिंह प्रसेन...’ मन्त्रसँ अहाँक दर्शन करत तकरा मिथ्या कलंक नञि लगतै ओकर सभ मनोरथ पूर्ण होयत।

चठचन्द्रकऽ पूजा:- ई चतुर्थी सूर्यास्तक बाद अढ़ाइ घण्टा धरिक, लेल जाइछ। जँ तिथि दू दिन एहि समय म पड़य तँ अगिला दिन व्रत ओ पूजा हो। भरि दिन व्रत कऽ साँझखन अंगना म पिठार सँ अरिपन देल जाइछ। गोलाकार चन्द्र मण्डलपर केराक भालरि (पात) दऽ ओहिपर पकमान, मधुर, पूड़ी, ठकुआ, पिड़ुकिया, मालपूआ पायस आदि राखी। मुकुट सहित चन्द्रमाक मुँहक अरिपनपर केराकऽ भालरि दऽ रोहिणी सहित चतुर्थी चन्द्रक पूजा उज्जर फूल सँ पच्छिम मुहेँ करी। परिवारक सदस्यकऽ संख्यामे पकमान युक्त डाली आ दहीक छाँछी कऽ अरिपनपर राखी। केराक घौर, दीप युक्त कुड़वार (माटिक कलश), लावन आदिकऽ अरिपनपर राखी। एक-एक डाली, दही, केराक घौर उठाऽ ‘सिंह: प्रसेन....’ मंत्रक संग       ‘दधिशंखतुषाराभम्...’ मन्त्र पढ़ि समर्पित करी। प्रत्येक व्यक्ति एक-एक फल हाथमे लऽ ओहि मन्त्र सँ चन्द्रमाकऽ दर्शन कऽ प्रणाम करी। दक्षिणा उत्सर्ग कऽ प्रसाद ग्रहण करी। चन्द्रमण्डलपर राखल प्रसाद कऽ उपस्थित पुरुषवर्ग ओकर चारू भर गोलाकार पंक्तिबद्ध कऽ पातपर फराक-फराक भोजन कऽ ओही ठाम खैद खूनि गाड़ि दी एकरा मड़र भाङब कहल जाईत अछि। चन्द्रमाक आराधना सँ बहुतो व्यक्ति कऽ कामना पूर्ण भेलनि अछि। मिथिलाकऽ विशेष पर्व चौरचन अपना मे एहि ठामक संस्कृति केर अनेक बिन्दु कऽ समेटने अछि।

रविवार, 18 मई 2025

मैथिली पंचांग 2025 - 2026 - Mithila Panchang 2025-26


पाबनिक नामजुलाई 2025
देवशयनी एकादशी6 जुलाई, रविदिन
अषाढ़ी एकादशी6 जुलाई, रविदिन
मधुश्रावणी पूजारम्भ12 जुलाई, शनिदिन
भदबा आरम्भ13 जुलाई, रविदिन
मौना पंचमी  15 जुलाई, मंगलदिन
मनसा देवी देव्युत्थान पूजन 15 जुलाई, मंगलदिन
मासांत, भदबा समाप्ति 16 जुलाई, बुधदिन
मधुश्रावणी व्रत, संक्रांति27 जुलाई, रविदिन
नागपंचमी29 जुलाई, मंगलदिन


पाबनिक नामअगस्त 2025
भदबा आरम्भ1 अगस्त
श्रीधर द्वादशी  7 अगस्त
रक्षाबंधन 9 अगस्त
भदबा समाप्ति 14 अगस्त
मासान्त 16 अगस्त
कृष्णाष्टमी व्रत 17 अगस्त
कुशोत्पाटन, भाद्री अमावस्या23 अगस्त
चौठचन्द्र पूजा, हरितालिका व्रत  26 अगस्त


पाबनिक नामअक्टूबर 2025
इन्द्रपुजा आरम्भ 4 सितम्बर
भदबा आरम्भ (रा. 11:25)5 सितम्बर
अनन्त डोरक 14 व्रत6 सितम्बर
अगस्त्या अर्घ्य दान 7 सितम्बर
पितृपक्ष आरम्भ, महाल आरम्भ8 सितम्बर
भदबा समाप्ति (रा. 7:43)10 सितम्बर
ओठगन13 सितम्बर
जीमूतवाहन व्रत (जितिया)14 सितम्बर
जीमूतवाहन व्रत पारण, मातृनवमी 15 सितम्बर
विश्वकर्मा पूजा 17 सितम्बर
पितृपक्ष अंत21 सितम्बर
कलशस्थापना 22 सितम्बर
बेलनौती, भदबा आरम्भ (दि. 7:10)28 सितम्बर
निशा पूजा29 सितम्बर


पाबनिक नामअक्टूबर 2025
विजयानवमी, देवी विसर्जन 2 अक्टूबर
कोजगरा6 अक्टूबर
भदबा समाप्ति (रा. 3:42) 7 अक्टूबर
करक तृतीया 10 अक्टूबर
धनतेरस18 अक्टूबर
काली पूजा, दियावाती,20 अक्टूबर
सोमवती अमावस्या, उल्का भृमण20 अक्टूबर
भरद्वितीया, चित्रगुप्त पूजा23 अक्टूबर
नहाय खाय, अरबा अरबाइन25 अक्टूबर
छठि व्रतक खरना 26 अक्टूबर
छठि व्रतक सांझुक अर्धदान27 अक्टूबर
सामा चकेबा पूजा आरम्भ28 अक्तूबर
भदबा आरम्भ (दि. 2:51)29 अक्टूबर
अक्षयनवमी 30 सितम्बर


पाबनिक नामनवम्बर 2025
देवोत्थान एकादशी1 नवम्बर
श्री दामोदर द्वादशी2 नवम्बर
विद्यापति स्मृति दिवस3 नवम्बर
भदबा समाप्ति (दि. 12:01)4 नवम्बर
सामा विसर्जन, कार्तिक पूणिमा,5 नवम्बर
बीड पँचमी, विशहरा पूजन10 नवम्बर
विवाह पँचमी15 नवम्बर
भदबा आरम्भ (रा. 10:24)22 नवम्बर
नवान्न पार्वण, षा० रविव्रत रम्भ23 नवम्बर
भदबा समाप्ति (रा. 8:01)30 नवम्बर


पाबनिक नामदिसम्बर 2025
गीता जयंती 1 दिसम्बर
मासांत15 दिसम्बर
दशतारका आरम्भ,
पौषी आमावस्या
19 दिसम्बर
दशतारका अंत21 दिसम्बर
भदबा आरम्भ (रा. 5:54)23 दिसम्बर
भदबा समाप्ति (रा. 4:03)28 दिसम्बर


पाबनिक नामजनवरी 2025
मकर संक्रांति 14 जनवरी
नरक निवारण व्रत 17 जनवरी
माघी मौनी अमावस्या 18 जनवरी
नवरात्रारम्भ, कलशस्थापना 19 जनवरी
भदबा आरम्भ (दि. 1:26) 20 जनवरी
सरस्वती पूजा, बसंत पंचमी 23 जनवरी
अचला सप्तमी 24 जनवरी
भदबा समाप्ती (दि. 12:02) 24 जनवरी
विजय दशमी, देवी विसर्जन 28 जनवरी

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शुक्रवार, 16 मई 2025

Madhushravani Puja Date 2025 - मैथिल नवविवाहिता के पाबैन मधुश्रावणी पूजा कहिया सं छी 2025 मे

मधुश्रावणी पूजा व्रत 2025 आरम्भ 12 जुलाई 2025, समाप्त मधुश्रावणी व्रत 27 जुलाई 2025 (मैथिली पंचांग अनुसार)

मिथिला धरोहर : मिथिलाक नवविवाहिता केर सुहागक पाबैन मधुश्रावणी पूजा (Madhusarwani Puja 2025 )  12 जुलाई 2025, शनिदिन सं मिथिला मे शुरू होयत। सदि सँ अखंड सौभाग्य आ पति के दीर्धायु हेबाक कामना करैत मिथिला के नवविवाहिता श्रावण कृष्ण पंचमी सँ श्रावन शुक्ल तृतीया धरि पूर्ण आस्थाक संग मधुश्रावणी व्रत करै छथि। एक पखवारा धरि चलय वला अहि पाबैन के ओना तऽ सब वर्गक लोग मानैत अछि, मुदा मिथिला के मैथिल बाहम्ण मे अहि पाबैन के खास महत्व छैक। 
नव विवाहिता के विवाहक पहिल सावन मे अहि पाबैन के मनेबाक परंपरा अछि। श्रावण् कृष्ण चौथ तिथि सँ मधुश्रावणी पूजय वाली नवविवाहिता जिनका पवनैतिन कहल जाइत अछि, अगिला दिन के पूजाक लेल सखि - सहेलीक संग फुल लोढ़ी के लाबैत छथि, अहि दौरान नव विवाहिता द्वारा गाबल जाय वाली श्रृंगार आ भक्ति रस के गीत सँ गांमक बगिया, मंदिर, स्कूल महैक उठैत अछि। अहि गीतक माध्यम सँ भगवान शंकर के खुश करबाक प्रयास कैल जाइत अछि। 

नागपंचमी के दिन कोहबर घर यानी जाहि घर मे विवाहक विधी भेल रहैत छैक, ओहि घर के गाय के गोबर सँ निप कऽ ओहिपर सेनुर पिठार सँ नागिन आ विषहरी के चित्र बना कऽ ओहिपर माटीक बनल नाग देवता के स्थापित कैल जाइत अछि। नवका वस्त्र आ गहना सँ  सुसज्जित नव विवाहिता पूजा करबाक लेल बैठय छथि। महिला पुरोहित लौकिक मंत्र द्वारा  सावधि पूजा कराबय छथि। पूजाक उपरांत पवनैतिन अपन हाथ मे लाल कपड़ा मे बान्हल धानक पोटरी जेकरा बिन्नी कहैत छैक, ओकरा  लऽके कथा सुनय छथि। प्रथम दिनक कथा मे नाग पंचमी के महत्व के बताओल जाइत अछि।कथाक उपरांत महिला पुरोहित बिन्नी नामक एकटा विशेष पद के पाठ करय छथि। अहि दौरान नव विवाहिता ठाड़ भऽ के नाग देवता पर फुल चढ़ाबय छथि। नाग पंचमी के पांच् टा अहिबाति के तेल-सेनुर आ खोईचा दऽ हुनका बगैर नूनक भोजन कराओल जाइत अछि।
लोगक कहब छैक जे सृष्टि आरंभक समये सँ मिथिला मे अहि पाबैन के मनायल जाइत छैक। मिथिला केर नव विवहिता लेल अहि पाबैन के खास महत्व छैक। 15 दिनक पूजा के अवधी मे नव विवाहिता के दु दिन नागपंचमी ( Nag Panchami ) के कथा सुनाओल जाइत अछि, शेष 13 दिन सावित्री, सत्यवान, शंकर पार्वती, राम सीता, कृष्ण राधा आदि देवता केर कथा सुनाओल जाइत अछि। अहि देवता केर कथा सुनेबाक भाव इश्वर पूजाक संगेह गृहस्थ जीवन मे आबय बला बाधा सँ से मुक्ति के सीख देबाक होइत छैक।ताकि नव विवाहिता अपन दांपत्य जीवनक सुखी पूर्वक निर्वहन कऽ सकय।

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शनिवार, 5 अप्रैल 2025

सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै लिरिक्स Sunai Chaliye Bhola Bada Dayalu Lyrics

Sunai Chaliye Bhola Bada Dayalu Lyrics
कुंज बुहारी मिश्रा मैथिली शिव भजन

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, 
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, 

सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार 
सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार 

अँगने अँगने भीख मांगै छै
लेने मरुआ धान गे, लेने मरुआ धान गे,
खाय नै मेवा पूरी मिश्री
भांगक रकटल प्राण गे, भांगक रकटल प्राण गे, 
गरवा में सोभय सांपक हार गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार 
हो....सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै गे बहिना
दुखिया के करै उद्धार...

सिर पर जटा विशाल दसो दिश
समेट-समेट लेपटौने गे, समेट-समेट लेपटौने गे,
भाल चंद्रमा तिलक वीराजय 
जगमग ज्योत जगाने गे, जगमग ज्योत जगाने गे, 
जटवा सं बहै गंगा धार गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार 
हो....सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै गे बहिना
दुखिया के करै उद्धार...

नीलकण्ठ अधहर शुव शंकर 
तपशी रूप बनौने गे, तपशी रूप बनौने गे
हाथ मे डिम डिम डमरू बजाय
अंग में भस्म लगौने गे, अंग में भस्म लगौने गे, 
नागवा छोराय छै फुफकार गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार 
हो....सुने छलियै भोला बड़ दयालु छै गे बहिना
दुखिया के करै छै उद्धार
हो....दुखिया के करै उद्धार...।

स्वर : कुंज बिहारी मिश्रा

छोटी मोटी टूटली मडैय्या में गौरी दाई लिरिक्स Chhoti Moti Tutli Maraiya Lyrics

छोटी मोटी टुटली मडैय्या में गौरी दाई,
कोना के रहथिन हे
कोना के रहथि, कते दुख सहति
छोटी मोटी टुटली मडैय्या में गौरी दाई,
कोना के रहथिन हे

हमरो गौरी दाई बर सहलोला
कोना के पिसथी भांगक गोला
पैर जेतैन हाथो में लोड़ही के ठेला
भांग कोना के पिसती हे
छोटी मोटी टुटली मडैय्या में गौरी दाई,
कोना के रहथिन हे

शिव जी दु धुर भांगक बारी
कोना कऽ करता खेती पथारी
धिया पुता के पेटो बखारी
गौरी कोना के भरति हे
छोटी मोटी टुटली मडैय्या में गौरी दाई,
कोना के रहथिन हे

अपने महादेव गेला मसानी
के देतैन बसहा के गूरा आ सानि
भूत प्रेतक डरे भवानी संगे कोना के रहथिन हे
छोटी मोटी टुटली मडैय्या में गौरी दाई,
कोना के रहथिन हे

गीतकार : महाकवि विद्यापति