बम भोला हमरा चाकर रखता कहबनि हे गौरी ।।
भांग निशामे बेमत रहता रखतनि के झोड़ी।
हम तऽ हरदम हाजिर रहबनि दुनू कर जोड़ी।।
बाघ-बड़द-मुस-मयुर साँपमे उठतनि हरहोरी।
बिनु हमरे नहि झगड़ मेटायत भगता घर छोड़ी।।
नित उठि फूल अकोनक आनब बेलपात तोरी ।
बाबाके सिंगार सजायब नाचब भय भोरी ।।
जखने कहता पीसि पिआयब भांग-धथुर तोड़ी।
स्नेहलता लतराय चरण पर लतरब बलजोड़ी ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !