मिथिला धरोहर : बसंत पंचमी जे सालक प्रथम पूजाक रूप मे समूर्ण देश वासि मनावैत छथि, और देवी सरस्वती के आराधता के उपरांते साल सुगम आ सुचारू रूप सँ चलय अछि। माँ सरस्वती के पूजा-अर्चना सम्पूर्ण मिथिलावासी सहित देश के हर कोना मे मनायल जाइत अछि। मुदा मिथिलावासी मे अलग उत्साह आ किछु भिन्न करवाक जज्बा सदिखन देखल गेल अछि, जे एही साल माँ सरस्वती के मिथिला पेंटिंगक रंग रूप मे सजायल गेल अछि। मधुबनी सँ सटल जितवारपुर जे की मिथिला पेंटिंग के गढ़ मानल जाइत अछि, एतय मैय्या के मूर्ति के मिथिला पेंटिंग के रंग मे सजायल गेल अछि। मुख्य रूप सँ माँ सरस्वती जे मधुबनी पेंटिंग के परम्परागत रंग मे सजेवाक विचार प्रभाकर झा रखलैथ और ओ क देखेलैत।
मिथिला (मधुबनी) के इ पहिल पूजा अछि जे कोलकता जँका मूल विषय (थीम) पूजा के रूप मे जानल जा सकैत अछि। सर्वप्रथम माटी सँ मैय्या के रूप देल गेलनि, फेर हुनक सबटा आभूषण मिथिला पेंटिंग मे सजायल गेलनि। हिनक वीणा, साड़ी, मुकुट, हँस सबटा मिथिला पेंटिंग के रूप मे सजायल गेल अछि
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