लाले लाल सुन्दर वदनवाँ हो,
जय गौरी के ललनवाँ।
तीन नयन गजवदन मनोहर,
सोभे संग मूषिक वाहनबाँ हो॥जय.॥1॥
रिधि-सिधि निसिदिन चरनन चेरी,
नाम लेत काटे विघनवाँ हो॥जय.॥2॥
नाम के महिमा सबहिं जनाये,
होत जग प्रथम पूजनवाँ हो॥जय.॥3॥
माँगे ‘करील’ जोरि कर निसदिन,
बसैं हिय नन्द नन्दनवाँ हो॥जय.॥4॥
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