गुरुवार, 27 सितंबर 2018

घीढारी करथि नर नारी सुमंगल के फूल बरसे - घीढारी गीत लिरिक्स Gheedhari karthi nar nari geet

-: घीढारी गीत :-

घीढारी करथि नर नारी
सुमंगल के फूल बरसे

पुरजन परिजन कोउ बेढावे
नारि सोहागिन मंगल गावे
रोपल बांस विचार, सुमंगल के फूल बरसे...

आनन्द मंगल सगुन सब नीचे
पुरहित धेल पोथी बांचे
आनन्द मगन नर नारी, सुमंगल के फूल बरसे...

माली हजाम के किस्मत जागल
याचक वृन्द निछल जागल 
मंगलनाचथि पौनी पसारी, सुमंगल के फूल बरसे...

बाजय विविध ढोल शहनाई 
स्नेहलता उर आनन्द गाई 
नाचे फुआ महतारी, सुमंगल के फूल बरसे....

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