भागु भागु भागु सखि छोडु ई नगर हे।
भूत-प्रेत संग अनला गिरिजा के वर हे।
नहि छनि बाड़ी झाड़ी नहि छनि घर हे।
भांग ओ धथुर पर करथिन गुजर हे।
झोखरल अंग-अंग तनमे ठठर हे।
खाक लेपि अयला भोला देह मे उजर हे।
संग कोना रहथिन धिया कण्ठमे लहर हे।
सौंसे देह साप करे सहर सहर हे।
कहथिन स्नेहलता जनि करु डर हे।
विधना के लीखल सभसँ ऊपर हे।
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