गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

राम रस बूँदिया झहरि बरसे, भींजे सब प्रेमीगनवाँ लिरिक्स - Ram Ras Bundiya Zhari Barse Lyrics

राम रस बूँदिया झहरि बरसे, भींजे सब प्रेमीगनवाँ।
संत सुजान एहि बूँदन भींजे।
कूर-कुटिल मन-मन तरसे, भींजे सब.॥1॥

प्रेम घन-घटा हृदय नभ उमड़े,
नाचि नाचि मन-मोर हरसे, भींजे सब.॥2॥

एहि रस बूँदन नेकहू भींजत।
सब विषयन-रस लागे जहर-सें, भींजे सब.॥3॥

ज्ञान विराग जोग जप तप सब।
तुलत न प्रेम रस एक लहर से, भींजे सब.॥4॥

नाम-नेह-चिकनाई भरल मन।
नाहीं ‘करील’ माया-जल परसे, भींजे सब.॥5॥


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