राम लला सन सुंदर वर के,
जुनि पढ़ियौ किओ गारी हे
केवल हास-विनोदक पूछियन्हु,
उचित कथा दुई चारी हे,
सुनू सखी एक अनुपम घटना,
अजगुत लागत भारी हे,
खीर खाए बालक जनमा ओल,
अबधपुर के नारी हे,
स्नेहलता किछु आब ण कहियन्दु,
बिपदा पड़तन्ही भारी हे
खुशी खुसी मिथिला से जयता,
भेज देता महतारी हे
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