गुरुवार, 19 अक्टूबर 2023

झमकि झहरि छवि रस बरसे, अनमोल दुलहवा लिरिक्स - Jhamki Jhari Chhavi Ras Barse Lyrics

झमकि झहरि छवि रस बरसे, अनमोल दुलहवा।

स्यामघटा छवि छटा छहरि रहौ,
लखि प्रेमिन मन-मोर हरसे, अनमोल.॥1॥

जनम-जनम के सूखल जियरा,
छवि रस बस रस-रस सरसे, अनमोल.॥2॥

छवि-माधुरि-रस सरस बरसि रहे,
तइयो प्रेमीगन पियास तरसे, अनमोल.॥3॥

ई छवि लखि सखि सब जग छूटल,
चलि भई अब पहु-प्रेम डगर से, अनमोल.॥4॥

सतत ‘करील’ सजनि लागी रहे,
लगन की डोरी सियावर से, अनमोल.॥5॥

लोक धुन - ताल दादरा

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