आजु करत विधिवत सीया जुके छैन मटकोरवा
आजु करत विधिवत वैदेही पुजन कमला तीर हे
नारि वृन्द सब मंगल गावति के कहे कतवा भीर हे ।।
लोक लाज से सकुचित लोचन मुख मण्डल गम्भीर हे
हियमंदिर में रघुवर राजति पुलकीत सकल शरीर हे जिनका चरण कमल पर निर्भर जल थल गगन समीर हे
से सिया कमला जी सं मांगथि, दीन जंका तकदीर हे
विनय करथि पुनि पुनि कमला से तु अयश चहुं युग थीर हे।
स्नेह लता कृपा कर वरदे होथि हमर रघुवीर हे ।।
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