बुधवार, 15 सितंबर 2021

मिथिलांचल के परम्परा, धरोहर सं जुड़ल कला अछि सिक्की कला

मिथिला धरोहर : मिथिलाक एकटा कला आय अपन अस्तित्व आ प्रचार-प्रसार के लेल जी-तोड़ मेहनत कऽ रहल अछि। इ कला अछि - सिक्की कला ( Sikki Art, Sikkim Kala )। सिक्की कला सं बनय बला कलाकृति नै केवल सुंदर होइत अछि,  बल्कि महिला के स्वरोजगार सेहो उपलब्ध करय मे सक्षम अछि। बहुते लोग एकरा मिथिलांचल के गरीबी के सौंदर्य कहय छथि। सच तऽ इहो अछि जे लोग के कठिन परिस्थिति मे रहय बला जीवनशैली सं प्रमुखता सं उभैर कऽ निकलल गरीबी आ कठिन परिस्थिति मे कला कोन प्रकार जन्म लइत अछि आ पहचान बनाबैत अछि सिक्की कला अहिके प्रतीक अछि।

सिक्की कला : काइल, आय आ काइल

सिक्की कला मिथिलांचल के प्रमुख कला मे सं एक अछि। सिक्की एक तरहक खऽर (घास) होइत अछि, जे मिथिलांचल मे नदी आ धार, पोखैरिक कात पैल जाइत अछि। सिक्की सं बनल कलाकृति अतेक मनमोहक होइत अछि जे अहिसे नजैर हटेने नै हटय। इ कला देशक संगे विदेश मे सेहो खूब पसंद कैल जाइत अछि। पीढ़ी दर पीढ़ी अहि कला के उत्थान होइत रहल आ आय इ कला अपन नव अवतार मे आगू बैढ़ रहल अछि। अहि कला के लेल रैयाम गांमक विदेश्वरी देवी के वर्ष 1969 मे तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान कैल गेल छलनी। 

सिक्की के इतिहास

सिक्की कला के इतिहास बताबैत अछि जे सिक्की तकरीबन 100 वर्षो सं पहिले सं चली रहल अछि।  अहि कला के सटीक समय बतेनाए कनि कठिन अछि, मुदा एकर उलेख प्राचीन भारत मे भेटैत आबि रहल अछि। मिथिलांचल के मिथिलानी आइयो सिक्की सं वस्तु बनाबैत छथि। सिक्की कला हुनका लेल एकटा नीक रोजगारक साधन साबित भेल ऐछ।


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सबसं पहिले सिक्की के काइट कऽ सुखाओल जाइत अछि। ओहिके उपरांत रंग बिरंगा रंऽग मे रंगल जाइत अछि। अहि सब के बाद टकुआ (एक तरहक सुइया) कऽ मदद सं अलग अलग वस्तु मे एकरा ढालल जाइत अछि।

सिक्की सं बनाबल जाइ बला वस्तु

मौनी - एक तरहक ट्रे जाहिमे फल आ पानक पत्ता राखल जाइत अछि। 

पौती - पौती एकटा छोट डब्बा होइत अछि जे मेवा, आभूषण आ कीमती वस्तु जे रखबाक काज आबैत अछि।

झप्पा- एकटा बड़का कंटेनर होइत अछि।

गुलमा- छोटका कंटेनर होइत अछि।

सजी- फूलदान के लेल उपयोग होइत अछि।

बास्केट्स, आभूषण, खिलौना


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केहन अछि वर्तमान स्थिति ?

आय सिक्की कला मे बहुते बदलाव आबि गेल अछि। सिक्की के कम मात्रा मे भेटनाय अहि कला के लेल एक तरहक अभिशाप भ जाइत अछि। सिक्की के व्यापारिक उद्देश्य के लेल उत्पादन नै के बराबर भ रहल अछि, जाहिसँ अहि कला के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न भ गेल अछि। मुदा आयो मिथिलांचल के मधुबनी, दरभंगा आ सीतामढ़ी के किछ महिला सिक्की सं वस्तु बनाबैत छथि। राज्य सरकार के दिस सं सेहो कतेको प्रयास कैल गेल हन। अहि दिशा मे रैयाम गावं मे पश्चिमी टोला के सिक्की कला सेंटर सिक्की कलाकार के लेल वरदान साबित भ रहल अछि। आब सिक्की सं पारंपरिक वस्तु के संगे-संग पेन बॉक्स, मोबाइल केस, खिलोना एहन वस्तु सेहो बनायल जा रहल अछि। 

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