जनि पूछू हाल चाल
तोहरो जमाय मैना परम कंगाल,
अपना जे पाँच मुख बड़ विकराल,
कातिक के छओ मुख खाइ लय बेहाल,
गौरीजी के कहु हम कओन हवाल,
गणपति के सौंसे देहमे पेटे विशाल,
एकेटा मुँह से तड होइ अछि काल,
जै घर तेरह मुँह तकर कोन हाल,
हमरा देखेत दौड़ल भूत वैताल,
पेट दिस ताकि ताकि बजबय ताल,
सुनि-सुनि मैना पीटथि कपार,
बजर पड़ौ नारद पर देलक भौजाल,
जनि राखू मैना मन मे मलाल,
कहे कपिलेश भोलादानी दयाल,
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