गुरुवार, 14 नवंबर 2019

ससुररिया में लुटै बहार हो चारो पहुना अलवेलवा लिरिक्स - Sasurariyaa Me Lutau Bahar Lyrics

ससुररिया में लुटै बहार,
हो चारो पहुना अलवेलवा॥धु्रव॥

हिलि-मिलि अलिन नवेली चलीं लै,
कोहबर भवन कुमार, हो चारो.॥1॥

संकर-मानस-हंस लखहु सखि,
उड़ि आये मिथिला-किनार, हो चारो.॥2॥

छवि-सुषमा उपमा सब लाजै,
रोम-रोम लुठत सिंगार, हो चारो.॥3॥

कमल वदन अलकें जनु अलिगन,
झुमत करत गुंजार, हो चारो.॥4॥

घाव करै हिय तियगन के ये,
तिरछे नयन कजरार, हो चारो.॥5॥

छवि लोलुप अँग-अँग समाई,
सकुचि बसंत बहार, हो चारो.॥6॥

त्रिभुवन-सुन्दर पाहुन छवि पर,
जीवन ‘करील’ निसार, हो चारो.॥7॥

लोक धुन। ताल दादरा

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