बुधवार, 26 जुलाई 2017

मैथिली किस्सा : गोनू झा और चोरक मजदूरी

मिथिला धरोहर : एक बेरक बात अछि। एकटा राजा अपन दरबार मे कुनो विषय पर भारी शास्त्रार्थ आयोजित केलक। राजा जीतय वला कऽ सौ बीघा जमीन इनाम मे देबाक एलान केने छल। सब गाँव सँ शास्त्रार्थक लेल विद्वान सब राजा के दरवार मे पहुँच रहल छल।

गोनू झा के गाँवबला हुनका सँ शास्त्रार्थ के लेल जेबाक आग्रह केलक। गोनू झा कहलैथ, ”इ राजा शास्त्रार्थ के हम तीतर-बटेर कऽ लड़ाई बुझय छि। हम एहन शास्त्रार्थ मे नै जायब”

मुदा, गाँव बला कहाँ मानय बला छल! आखिर गामक प्रतिष्ठा कऽ प्रश्न छल। सब गोनू झा के बहुते मान –मनाओल कऽ बाद शास्त्रार्थ के लेल तैयार कऽ लेलक। गाँव बला गोनू झा के लोभ देलक, ''अहाँ एहि बेरा शास्त्रार्थ मे जीत गेलु, तऽ बस बुझु जे अहाँक गरीबी हमेशाक लेल समाप्त भऽ गेल। सौ बीघा कऽ जोत कऽ जमीन अय समूचा इलाका मे केकरो लऽग नय छै''।

गोनू झा ओहि शास्त्रार्थ मे सबके पराजित कऽ देलैथ। आब राजा के अपन वचनक अनुसार सौ बीघा जमीन गोनू झा के देबाक छल। राजा के किछ दरबारि हुनकर कान भैर देलक। राजा दरबारि कऽ षडयंत्र मे पैड़ कऽ बंजर पड़ल जमीन मऽ सँ सौ बीघा जमीन गोनू झा के दऽ देलक। गोनू झा आ हुनकर गाँवबला जेखन जमीन देखलक तऽ हुनका बहुते दुःख भेलनि। ओहि बंजर जमीन कऽ किओ मजदूर हाथ नै लगाबय छल। जमीन अतेक ऊसर छलय जे केतउ घासो नजर नै आबि रहल छल। मुदा गोनू झा गाँवबला के समझाबैत कहलैथ “अहाँ चिंता नै करू, एक-दु-दिने मे हम एकर कुनो नीक उपाय कऽ लेब। खाली अहाँ सब गाँव मे इ कहबय जे गोनू झा भारी शास्त्रार्थ जीत कऽ एला हन” सब गोनू झा के कहले अनुसार केलक।


बात जंगलक आगिक जंका चोरक टोली तक पहुँच गेल। गोनू झा अपने सेहो दिन भैर घूमि-घूमि कऽ अपन विजय कऽ कथा और राजा द्वारा कैल गेल मान - सम्मानक बात पसारैत रहला। राइत भेल, तऽ गोनू झा घर पहुंचला हुनकर बिछायल जालक अनुसारे सब किछ होमय लागल। हुनका बाडी मे किछ हलचल लगलनि ओ बुझी गेला जे चोर आबि गेल छै। तहने कनियाँ पुछलखिन, “चाईर दिन केतए सँ बेगारी कऽ के एलो हं?”
“पहले लोटा दीअ, खाना लगाबु, फेर कहै छि।”

“खाना केतए सँ बना कऽ राखितो, तेल-मसला तऽ खत्म भऽ गेल छै, कहि तऽ चूड़ा- दही दऽ दूँ।”

“कुनो बात नै, आय भैर चूड़ा - दहीए दऽ दिअ। काइल सँ तऽ पूआ-पूरी, और पकवाने खेबय”

“किया कुनो खजाना हाथ लगल हन ?” गोनू झा केर कनियाँ खोखिया कऽ पुछलनि।

”अस्थीरे बाजू, अस्थीरे। एकटा खजाना नै सैकड़ों खजाना. राजा कतेको पुस्त के खजाना खुश भऽके हमरा दऽ देलखिन हन।”

“कि कही रहल छी” कनि नीक जंका कहु ने - गोनू झा केर कनियाँ पूछलखिन, ता धैर तऽ चोरक कान खुइज कऽ सूप सन भऽ गेल छल। ओ गोनू झा के घरक भीत सँ कान सटेने, साँस रोकने खजाने कऽ राज सुनय चाहय छल।

गोनू झा सेहो दीवार दिस कनियाँ के लऽ गेलैथ आ फुसफुसाइत बजला, “अहाँ तऽ जानीते छी सब बेरा हम शास्त्रार्थ जीत कऽ आबय छी, तऽ राजा - महाराजा सोना-चाँदी, अशर्फी दऽ के भेजय छथि और तेकर बाद चोर सेंध मारबाक लेल ताक लगेने रहय छै। हम अहि बेरा राजा सँ कहलियन जे हमरा घर लऽ जेबाक लेल किछ नै दिअ। अहाँ लोगक देल चीज हमर राइत के नींद लऽ उरैय अछि।”

“तऽ फेर किछ देबो केलैथ या अहाँ बस ज्ञान लऽ-दऽ के आबि गेलहुँ ?”- गोनू झा के कनियाँ केर चिंता जायज छल। चोरक जिज्ञासा सेहो हुनकर कनियाँ के संगे बेसी भऽ रहल छल।

“सुनु, राजा के पूर्वज हजारों साल सँ अपन खजाना एकतब सुरक्षित राजकीय भूमि कऽ अंदर नुकेने आयल छथि। एखन धैर ओ खजाना सौ बीघहा मे दबैल जा चुकल अछि। चूँकि जमीन बंजर छै तैं भूलो सँ किओ महिसों चराबै लेल नै जाइत छै। राजा ओ सौ बीघहा के पूरा जमीन हमरा दऽ देलक। आब जेखन भी जरूरत पड़त एक तोला सोना खजाना खोइद कऽ लऽ आनब। आब बुझु अपन आबय बला सौ पुस्त बैठ कऽ आराम सँ जिन्गी बसर कऽ लेत।"

“मुदा, ओ छै केतए”- गोनू झा के कनियाँ पुछलनि ?

“ओ हम कहब। अहाँ बहुते खर्चा करय छी और कुनो गप्प अहाँक पेट मे पचैतो नै ऐछ”- गोनू झा बजला।

“ओ तऽ ठीक छै, मुदा भगवान नै करय, अहाँक किछ भऽ गेल, तऽ सौ पुस्तक लेल धन रहितो हम सब भूखे मरब” – कनियाँ के अहि गप्प पर  गोनू झा फुसफुसाइत ओ जगह बता देलैथ।जाहि ठाम राजा गोनू झा के जमीन देने छलैथ।

“अहाँ भोरे जा कऽ एक तौला खजाना तऽ लऽए कानब“- हुनकर कनियाँ गोनू झा सँ कहलनि।

“ठीक छै, मुदा आब हमरा किछ खाय लेल दिअ। हम थकल छी। भोरे सूरज उगय सँ पहिले हम जा कऽ एक तौला खजाना लऽ आनब। ”- गोनू झा के गप्प पूरा भेल कि सबटा चोर उडन – छू भऽ गेल। ओ एक-दु तौला, नै साबटा दाबल खजाना निकालए चाहैत छल। चोरक सरदार चोरक टोली सँ एक-एकटा चोर के बजा लेलक और सब कोदाइर- खंती लऽके ओहि बंजर खेत मे कूईद पड़ल। पूरा ताकत लगा कऽ और बिजली कऽ फुर्ती सँ ओ खेत कोड़य लागल।

चोर सब सूरज उगय सँ पहिले साबटा खेत कोइड देलक। मुदा खजाना तऽ दूर, एकटा कौड़ी नै भेटल। अहिसे पहिले कि ओ गोनू झा के होशियारी और अपन बेवकूफी पर खौजायत, गोनू झा खखसाइत आबैत देखेला।हुनका देखिते सबटा चोर नौ दु ग्यारह भऽ गेल। गोनू झा चोर के अबाज दैइत बजला, “यौ भाई राइत-भैर अतेक मेहनत केलोहू, मजदूरी तऽ लेने जाऊ। कम-सँ-कम जलपाने करैत जाऊ।”

गोनू झा अपना संगे आठ - दसटा मजदूर और बिया (बीज) लऽके ऐल छला। बिया बौ कऽ देलैथ। ओहि साल और ओकर बाद सब साल गोनू झा के खेत मे अतेक फसल भेल जे सचमुच हुनकर सबटा दरिद्रता खत्म भऽ गेल। गाँव बला एक बेरा फेर गोनू झा केर बुद्धिमत्ता के कायल भऽ गेल।

Tags : # Gonu Jha aur Choron ki Majduri Maithili Folklore

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