शनिवार, 3 जनवरी 2015

मिथिला धरोहर : एक बरख मातृभाषाक लेल

मिथिला धरोहर : जा धरी गाम मे छलो ता धरी अप्पन मातृभाषाक प्रति किछ करवाक  अतेक चाह नै छल। मुदा गाम छोरला के बाद अप्पन मातृभाषाक प्रति तेहन ने भुत सवार भेल जे इन्टरनेट पर राईत-दिन अगवे मिथिली आ मैथिलि सर्च करैत रही। कहल गेल अछि जे 'आवश्कता अविष्कार के जननी होईत अछि, गाम सँ दूर भेलक बाद अप्पन मातृभाषाक संग लगाव "मिथिला धरोहर" ब्लॉगक निर्माण केलक।

30 दिसंबर, 2014 के 'मिथिला धरोहर' (ब्लॉग) अप्पन एख बरख पूर्ण क लेलक अछि। अप्पन मात्रि भाखा मैथिलि लेल कैल गेल एही प्रयास के पसंद करवा के लेल हमर मिथिला धरोहर टीम तमाम पाठक के ऋणी छिं।

एही एख बरख मे अहाँ सभ गोटे 'मिथिला धरोहर' के जे सनेह प्रदान केलो ओ मैथिली पत्रकारिता के लेल अमृतक समान अछि। 

एही सनेह के देखैत 'मिथिला धरोहर' के डॉट कॉम (.com) बना देल गेल। मि.ध. टीम नव साज-सज्‍जा के संग कंटेंटक आ बहुते किछ बदलै के कोशिश क रहल अछि। उम्‍मीद अछि जे अहाँ सभ के इ बदलाव पसिन आयत। पाठक ओ अपन सभ सहयोगीक प्रति आभार प्रकट करैत नव बरख मे नूतन चुनौतीक संग आओर बेसी निक कार्य करब ताहि शुभकामना संग नव वर्षक बधाइ. जय मिथिला! जय मैथिली!  
- प्रभाकर मिश्रा : संस्थापक / सम्पादक 

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