मिथिला मे सीता पर बहुते दंत खिस्सा-पिहानी प्रचलित अछि। आयो मिथिला मे बेटी के नाम सीता या मैथिली नय रखाल जाइत अछि। एकटा कथा के मुताबिक, सीता के दुर्भाग्य पर सीता के चाचा और बाद मे मिथिला नरेश बनल कुशध्वज अतेक दुखी भेलैथ जे ओ मिथिला मे कतेक रास पाबंदि लगा देलथि।
विवाह पंचमी केर दिन विवाह केनाय मना क देल जेल, जेखनकि परंपरा के मुताबिक ओ वियाह के सर्वोत्तम दिन मानल जाइत छल। एकटा घर मे तीनटा बेटि केर वियाह मना क देल गेल।, कियाकि उर्मिला के अकारणे 14 साल धरि पति के वियोग झेलय पड़ल छल! मिथिला मे ओहि समय सँ इ परंपरा बना देल गेल जे पश्चिम मे बेटी के वियाह नय होयत। एकटा कथा इहो अछि जे कुशध्वज के बेटा राम द्वारा सीता केर वनवास देल जेवाक कारण विद्रोह केने छलथि।
इ एकट लोककथा अछि। राम केर जीवनीकार एकर केतउ जिक्र नय करैत छथि। राम ओहि विद्रोह के कुचैल देने छलथि आ ओहि विद्रोह मे मिथिलाक सेना अपन राजा के संग नय द राम केर संग देलक। ओहि लोककथा केर अनुसार, सीता एही सँ बहुते क्षुब्ध भेलि और ओ मिथिला के श्राप देली जे विद्रोह एकर स्वभाव सँ खत्म भ जायत। मैथिल कखनो भी विद्रोही नय बैन पायत। लोककथा के माध्यम सँ मिथिला आयो ओहि संत्रास, ओहि विद्रोह आ ओहि दुख के जीवैत अछि। मिथिला के दादी-नानि आयो काशी-मथुरा-जगन्नाथपुरी के नाम लैइत अछि अयोध्या के नय!
आईचौक: सुशांत झा
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